Ramnavmi
धर्म-ज्योतिष

जब भरत हुए अधीर तो राम हुए गंभीर


Ramnavmi पर्व आने वाला है, इसी संदर्भ में विशेष आलेख।
विद्वानों का मत है कि “राम वन गये, तो बन गए”। इन पंक्तियों में मानवीय संवेदना, भाव और तड़प का मिश्रण है तो वहीं विश्लेषण के महात्म्य से आराध्य को अपने ही हिसाब से रेखांकित करने का एक प्रयास भरा प्रयोग भी।
वनगमन की वचनबद्धता को पूरा कर जब तपस्वी राम अपने अनुज लक्ष्मण और भार्या सीता के साथ अयोध्या आते ही, महात्माओं की तरह रह रहे भाई भरत से मिलते हैं, तो सहृदयता की त्रिवेणी आंखों से परिलक्षित हो जाती है।

माता कैकेयी ने मंथरा के कहने पर जो कदम उठाया था, भरत उससे उद्विग्न व असंतुलित थे। महात्मा भरत ने सजल नेत्रों से माता कैकेयी के लिए दंडप्रावधान की विनती अग्रज श्री राम से की।
यह सच है कि कोई यूं ही मर्यादापुरुषोत्तम नहीं हो जाता। त्याग, तपस्या, आदर्श, बलिदान, लोभ, मोह, रजो व तमो गुण से इस शरीर को तपाने के बाद ही सिरमौर पहनाकर विभूषित किया जाता है और राम का जीवन एक निष्ठावान, आज्ञाकारी पुत्र धर्म से युक्त पितृवचनवद्धता पर अर्पित व समर्पित रहा। वे अंतर्द्वंद्व में नहीं होते हुए एक विधिप्रणेता बने रहे ताकि रामावतार की महत्ता सभी के लिए प्रेरणास्रोत बन सके। रघुनाथ के समक्ष सभी शांत थे तो उन्होंने कहा कि स्नेह के समक्ष सभी समकक्ष हैं।


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लंका पर जीत की प्रसन्नता के साथ संभवतः भरत जी को माता कैकेयी की टीस भरी बातों ने पीछा नहीं छोड़ा था। उन्होंने श्री राम से कैकेयी को न्यायोचित दंड देन की अपील की जिसे रघुवर ने कुशल मंगल पूछ टाल दिया।

कहते हैं राम से बड़ा राम का नाम को चरितार्थ कर भक्त वत्सल राम ने भरत से कहा कि जिस माता से उसके चार पुत्र विलग हो गये हों, जो पति का संताप झेल रही हो, राजकाज थम सा गया हो, संतति वन गमन कर गया हो और अपराधबोध से ग्रसित जीवन जी रही हों भला वह और कितने समय तक प्रायश्चित की अग्नि में जलती रहे।

समस्त वैभव को भव ने अपने तरीके से निवटाया है। भला ऐसी स्थिति में कोई पुत्र मां के आंसू ना पोछे तो और क्या करे? राम ने तो केवल मां की आज्ञा और पिता के वचन का पालन किया है। रही बात अनुज भरत और शत्रुघ्न की, तो पूरा ब्रह्मांड में तुम दोनों का भ्रातृभाव लोगों के लिए लक्ष्मण रेखा बना रहेगा। माताएं स्नेह की प्रतिमूर्ति बनी रहेंगी।तात्पर्य है कि आज के समय में जब समाज में विखंडन की गर्म हवा सभी महसूस कर रहे हैं तो भगवान श्री राम का अनुसरण ही दैहिक, दैविक भौतिक ताप से त्राण दिला सकता है।

शंभुदेव झा

Xpose Now Desk
मुकेश महान-Msc botany, Diploma in Dramatics with Gold Medal,1987 से पत्रकारिता। DD-2 , हमार टीवी,साधना न्यूज बिहार-झारखंड के लिए प्रोग्राम डाइरेक्टर,ETV बिहार के कार्यक्रम सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार के लिए स्क्रिपट हेड,देशलाइव चैनल के लिए प्रोगामिंग हेड, सहित कई पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों में विभिन्न पदों पर कार्य का अनुभव। कई डॉक्यूमेंट्री के निर्माण, निर्देशन और लेखन का अनुभव। विविध विषयों पर सैकड़ों लेख /आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कला और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित। संपर्क-9097342912.