पवन शास्त्री ।आपने अक्सर देखा होगा कि जब आपके घर में कोई त्यौहार, शादी या पूजा का समय होता है, तो इसकी शुभ शुरुआत व्यक्ति को Tilak लगा कर की जाती है।सब को मालूम है कि पूजा के दौरान व्यक्ति को Tilak लगाया जाता है, कारण है तिलक लगाना शुभ माना जाता है। लेकिन कभी सोचा है आपने कि तिलक के बाद व्यक्ति के माथे पर चावल क्यों लगाए जाते है। आज इस आलेख में इसी पर चर्चा करेंगे कि Tilak लगाने के बाद उसके ऊपर चावल क्यों लगाए जाते है।गौरतलब है कि पूजा के दौरान माथे पर कुमकुम का तिलक लगाते समय चावल के दाने भी ललाट पर जरूर लगाए जाते है। ऐसा क्यों किया जाता है।अगर वैज्ञानिक दृष्टि की बात करें तो माथे पर Tilak लगाने से दिमाग में शांति और शीतलता बनी रहती है।इसके अलावा चावल को शुद्धता का प्रतीक माना जाता है।वही अगर शास्त्रों की बात करें तो चावल को हविष्य यानि हवन में देवी देवताओ को चढ़ाने वाला शुद्ध अन्न माना जाता है।
एक और मान्यता के अनुसार चावल का एक अन्य नाम अक्षत भी है।इसका अर्थ कभी क्षय ना होने वाला या जिसका कभी नाश नही होता है। तभी तो हम हर खास मौके पर चावल जरूर बनाते है।दरअसल ऐसा माना जाता है कि कच्चे चावल व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते है।यही वजह है कि पूजा के दौरान न केवल माथे पर Tilak लगाया जाता है, बल्कि पूजा की विधि संपन्न करने के लिए भी चावलों का इस्तेमाल किया जाता है।
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आपने अक्सर देखा होगा कि पूजा में Tilak और पुष्प के साथ कुछ मीठा और चावल जरूर होते हैं ।वो इसलिए कि पूजा की विधि बिना चावलों के पूरी नहीं हो सकती। यही वजह है कि चावलों को शुद्धता का प्रतीक माना जाता है और इसे माथे पर तिलक के साथ लगाया जाता है।
इसके अलावा पूजा में भी कुमकुम के Tilak के ऊपर चावल के दाने इसलिए लगाए जाते है, ताकि हमारे आस पास की नकारात्मक ऊर्जा जा सके या खत्म हो सके।
अगर आप पूजा के समय माथे पर केवल Tilak लगाते है और चावल के दानों का इस्तेमाल नहीं करते, तो यह सही नहीं है। अगर आप ऐसा करते है, इससे न केवल पूजा अधूरी होने का आभास होता है, बल्कि इससे नकारात्मक ऊर्जा भी आपके आस पास ही भटकती रहती है।