पटना, पद्म शिवाकांत। कार्तिक माह में प्रमुखता से षष्ठी अनुष्ठान के बाद अक्षय नवमी मनाई जाती है।कार्तिक माह को सनातन संस्कृति व श्रद्धा-भक्ति के लिए उपयुक्त माना गया है। आज अक्षय नवमी की खास तिथि पर बड़े ही बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ यह मनई गई।
अक्षय नवमी के इस खास मौके पर आज श्रद्धालुओं ने भगवान विष्णु की आराधना के साथ दान कर आंवला -तथा खिचड़ी का प्रसाद प्राप्त किया। इसबार ध्रुवयोग के साथ शतभिषा नक्षत्र में अक्षय नवमी पर्व रहा, जिसे धर्म
ज्ञाताओं ने शुभ माना है।
इसे मानवीय कल्याण से जोड़ते हुए दैवज्ञशिरोमणि पं.गणेश कांत झा ने कहा कि यह मान्यता है कि आंवला वृक्ष में भगवान विष्णु का वास है अतः सामान्य तौर पर लोग आज आंवला वृक्ष की छांव में खिचड़ी,आंवला तथा यथा संभव विन्यास का भोग अर्पित कर प्रेमपूर्वक प्रसाद ग्रहण करते हैं।
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संतान की अभिष्ट कामनाओं की पूर्ति भी इस पूजन से संभव है। नेम नियम के साथ पूजन करने वाले रूद्रदेव ने बताया कि यहां भारतीय जनमानस के बीच श्रद्धा के अनेक अध्याय हैं, जिनमें से
जगत धात्री पूजन विशिष्ट है । दैवज्ञशिरोमणि पं.भाईजी ने इस परंपरा को वैज्ञानिक आधार पर बताते हुए कहा कि “विभिन्न पूजा के उपरांत शरीर में सन्निहित ऊर्जा संचय की क्षमता को समान बनाये रखने के लिए पूर्वजों ने इस आंवला पूजन का विधान लाया है ,ताकि शीत-ताप का शरीर पर कुप्रभाव न हो।