Seasonal Affective Disorder
बिहार

क्या आप सैड या सीजनल अफैक्टिव डिसौर्डर के शिकार तो नहीं…


बदल रहा मौसम, रहें सावधान

मौसम में बदलाव का काफी असर इंसान के तन और मन दोनों पर पड़ता है। यह समस्या अब पहले से ज्यादा बढने लगी है। इस बदलाव का नाकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है। सैड या सीजनल अफैक्टिव डिसौर्डर के रुप में जाना जाता है। एक आंकड़े के अनुसार यह सीजनल अफैक्टिव डिसौर्डर भारत में कुल आबादी के पांच फीसदी लोगों को यह अपना शिकार बनाने लगा है।
सीधे तौर पर यह समस्या मौसम के चढते और उतरते समय ही ज्यादातर देखी जाती है। हर व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक क्षमताएं अलग-अलग होती हैं। इसका प्रभाव भी अलग-अलग लक्षणों के साथ ही दिखता है। एक अध्ययन की बात करें तो हर 10 लोगों में से 1 व्यक्ति को सैड की समस्या किसी न किसी रूप में देखने को मिलती ही रहती है। अच्छी बात यह है कि इस समस्या के लक्षण बगैर उपचार के भी ठीक होते रहते हैं। ज्यादातर मजबूत रोग-प्रतिरोधी क्षमता वाले लोगों में यह खुद ब खुद दो सप्ताह या पंद्रह दिनों में ही ठीक हो जाता है।
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ज्यादातर लोग करते हैं नजरअंदाज
मौसम में तल्खी बढने पर हम में से अधिकत्तर लोग इस बदलाव को फन के रूप में ही लेते हैं। कुछ मामलों को छोड़ दें तो हमारे द्वारा सैड के लक्षणों को नजरअंदाज करना ही और अधिक लक्षणों को उभारने में ट्रिगर का काम करता है।

सूर्य की किरणें सोखतीं हैं ऊर्जा!
जब कभी व्यक्ति सैड की समस्या से गुजर रहा होता है तो ऐसे हालत बनते हैं कि व्यक्ति के शरीर में कोई एनर्जी नहीं बचती और न ही मन में कोई आत्मप्रेरणा जगती है। वास्तव में धूप के तेवर जब अनियंत्रित हो जाते हैं और ऐसे में व्यक्ति का बाहर जाना अनिवार्य होता है। तो उस समय सैड प्रभावित लोगों में मेलाटोनिन रसायन शरीर में अप्रत्याशित मात्रा में बढ जाता है। जिससे हमारे मन की दशा का नियंत्रित नहीं हो पाती। कभी कभी यह हार्मोन घट भी जाता है, तो कभी किसी में बढने भी लगता है। ऐसे हालात में व्यक्ति एक प्रकार से अवसाद ग्रस्त होने लगता है।

ऐसे करें अपना बचाव
आपको यदि इस तरह की समस्या हो रही तो सन ग्लास का उपयोग अवश्य करें ।आप चाहें तो धूप में सीधे जाने से बचे। छाता, गमछे से अपने सिर को जरूर ढंक कर चलें। पेङ के नीचे विश्राम करने पर भी आपको लाभ मिलता है।

नींद में खलल!
सैड से प्रभावित लोगों में नींद की समस्या आम तौर पर देखने को मिलती है। आपको चाहिए कि आप अपना डेली का एक रूटीन बनाकर रखें, और पालन भी करें। कोशिश करें कि आप सोने से पहले पढें जरूर‌।

खास तौर पर ये जरूर करें
आप यदि सैड से सामना कर रहें तो आपको चाहिए कि आप अचानक बढते तापमान में तुरंत न निकलें। मौसम में आद्रर्ता दिखे तो अवश्य ही आपको मानसिक रूप से तैयार होना चाहिए। आपको किसी प्रोफेशनल की मदद भी लेनी चाहिए। कभी भी बाहर से आकर या एयंरकंडीशन से तुरंत बाहर निकलने की कोशिश न करें। आप प्रारंभ से ही पंखे में रहें।
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अल्कोहल, बीयर या ढंडे किसी चीज को हाथ न लगाये। कोल्ड ड्रिंक का सेवन भी आपके इस मर्ज को बढा सकता है।
समाजिक रूप से लोगों से फिजिकल दूरी के साथ संवाद बढाते रहने से भी आपको फायदा होगा। इस समस्या में जिन लोगों की भूख घट जाती है, आपको कुछ-कुछ देर पर कुछ-कुछ खाते रहना चाहिए। ऐसा करके आप अपने आप को सीजनल अफैक्टिव डिसौर्डर से बचा सकते हैं।

डॉ॰ मनोज कुमार
(लेखक जाने-माने मनोवैज्ञानिक हैं।