Punishment
बिहार

अगर आपके बच्चों में दिखे असामान्य व्यवहार तो हो जाइए सावधान

बच्चो का व्यक्तित्व Punishment से समन्वय स्थापित कर लेता है। इस बात को संझने कि जरूरत हर माता पिता को है, Punishment नहीं स्नेह से बच्चो को सम्हालने की है जरूरत।

जब कोई अक्सर अपना आपा खो देता है, कभी अपने पहनावे की तरफ ताक-झांक करने वालों से लड़ जाता है, तो कभी किसी को बड़े शहरों की नसीहत देने लगता है। किसी खास मुद्दों को ले कर एक आग्रह पाल लेता है। वह अपनी सोच को सोसाइटी के परंपरागत विचारधारा से अलग प्रस्तुत करता है। मतलब असीमित क्षमता के बावजूद शैक्षिक और प्रोफेशनल गतिविधियों में कोई खास उपलब्धि नहीं हासिल कर पाता है। तो ऐसी आदतों के कारण वह सबसे अलग-थलग पड़ जाता है।
यह एक तरह का भावनात्मक उतार-चढाव होता है। यह कभी-कभी काफी अधिक हो जाता है। ऐसा इंसान कभी दुःख में समान्य ही रह जाता है तो कभी सुखद परिस्थितियों में अपने तेवर को गर्म दिखाता है।
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अगर वह बच्चा है या किशोरावस्था में है तो उसके माता-पिता को यह समझने में परेशानी होती है कि वह किस भाव में सहज रहता है और किस भाव में आक्रोश व आवेगी प्रतिक्रिया देता है। जिससे उनके सभी आपसी रिश्ते में दरार पङता जा रहा है।

दरअसल हम सब के जीवन में सुख देनेवाले और दुःख पहुंचाने वाले रूझान शुरू से ही होते हैं। समाज के मूल्यों से सीखना और आसपास के महौल से मिलने वाली गलत धमकियां हमारे अंदर अलग तरह की मनोग्रंथियों को विकसित करते हैं। इस वजह से व्यक्ति समाज में मौजूद हालात पर नकारात्मक टिप्पणियां देने लगता है

बचपन में मिली ऐसी तेज प्रतिक्रिया इंसान को तीव्र आवेगी बनाती है। जिन बच्चों में शारीरिक गतिविधियों व अन्य तरह के क्रियाकलापों में डांट-फटकार का ज्यादा सामना करना पड़ा हो, उनका व्यक्तित्व Punishment से समन्वय स्थापित करते हैं। इस तरह के लोग समाज के नियमों को नहीं मानना चाहते और अपनी दुनिया इससे अलग चाहते हैं।

आलोचना बिगाङती है क्षमता

गलत तरीके से की गयी आलोचना भी व्यक्तित्व विकास की राह में रोड़ा बन जाते हैं। निगेटिव इवोल्यूशन खासकर सबके सामने की गयी टीका-टीपण्णी बच्चों को आगे जाकर विद्रोही बना देता है। ऐसे हालत में इंसान अपने भावों को नहीं समझ पाता। विपरीत परिस्थितियों में इस तरह के लोग सहज दिखते हैं तो कभी जरा सी बात पर आसमान सिर पर उठा लेते हैं।

संभव हैं समाधान

इस तरह की समस्या पीड़ित युथ्स कहीं न कहीं अनैतिक व्यवहार को ही सच समझ रहे होते हैं। ऐसे में इनका मूल्यांकन किया जाना आवश्यक होता है। इनकी समस्या में सूझ जगाने के साथ-साथ पारिवारिक चिकित्सा की भी जरूरत होती है। भावनात्मक रूप से स्थिरता लाने के लिए मनोचिकित्सकीय सहायता की दरकार हो सकती है। अगर आपके बच्चे में ऐसे कोई लक्षण दिखें तो तुरंत सावधान होले की जरूरत है।जरूरत महसूस होने पर मनोचिकित्सकीय सहायता भी ली जा सकती है।

डॉ॰ मनोज कुमार
(लेखक जाने-माने मनोवैज्ञानिक हैं)

Xpose Now Desk
मुकेश महान-Msc botany, Diploma in Dramatics with Gold Medal,1987 से पत्रकारिता। DD-2 , हमार टीवी,साधना न्यूज बिहार-झारखंड के लिए प्रोग्राम डाइरेक्टर,ETV बिहार के कार्यक्रम सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार के लिए स्क्रिपट हेड,देशलाइव चैनल के लिए प्रोगामिंग हेड, सहित कई पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों में विभिन्न पदों पर कार्य का अनुभव। कई डॉक्यूमेंट्री के निर्माण, निर्देशन और लेखन का अनुभव। विविध विषयों पर सैकड़ों लेख /आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कला और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित। संपर्क-9097342912.