बिहार में चल रही जातीय जनगणना पर वृहस्पतिवार को पटना उच्च न्यायालय ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी। पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस वी चन्द्रन...
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जातीय जनगणना : हाईकोर्ट ने लगाई रोक, राज्य सरकार को लगा बड़ा झटका

पटना, जितेन्द्र कुमार सिन्हा। बिहार में चल रही जातीय जनगणना पर वृहस्पतिवार को पटना उच्च न्यायालय ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी। पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस वी चन्द्रन की बेंच ने ये फैसला सुनाया। इस मामले में अगली सुनवाई 3 जुलाई को होनी है। बिहार सरकार ने पिछले साल जातिगत जनगणना कराने का निर्णय लिया था। इसकी शुरुआत जनवरी 2023 से शुरू हुई थाी। मई तक इसे पूरा किए जाने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन अब हाईकोर्ट ने इस पर 3 जुलाई तक रोक लगा दी है। तत्काल लगे इस रोक को नीतीश कुमार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए यह एक महत्वाकांक्षी सर्वेक्षण समझा जाता है। न्यायालय के आदेश में यह भी कहा गया है कि अंतिम आदेश तक सरकार यह सुनिश्चित करे कि संग्रहित डाटा किसी और के साथ साझा न किया जाए।

गौरतलब है कि सरकार ने जातीय जनगणना के प्रथम चरण की शुरुआत राज्य में मकान सर्वे की प्रक्रिया के साथ 7 जनवरी से की थी। इस सर्वे में सबसे पहले मकानों की गिनती, सभी मकानों को एक यूनिट नंबर देना,एक मकान में यदि दो परिवार रहते हैं तो उनका अलग-अलग नंबर देना, एक अपार्टमेंट के सभी फ्लैटों का अलग-अलग नंबर देना, जाति गणना फार्म पर परिवार के मुखिया का हस्ताक्षर अनिवार्य रूप से लेना, राज्य के बाहर नौकरी करने गए परिवार के सदस्यों की भी जानकारी लेना, जाति गणना में उपजाति की गिनती नहीं करना, परिवारों की आर्थिक स्थिति की भी जानकारी लेना, प्रखंड में उपलब्ध सुविधाओं की भी जानकारी लेना जैसे – रेललाइन, तालाब, विद्यालय, डिस्पेंसरी आदि जानकारी इकट्ठा करना था। इसके साथ यह भी जरूरी था कि जनगणना कार्य में लगाए गए कर्मियों को आई कार्ड लगाए रखना जरूरी था।

बिहार में किए जा रहे जातीय जनगणना को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी जिस पर 20 जनवरी को सुनवाई हुई थी। इस जनहित याचिका में बिहार में किए जा रहे जातिगत सर्वेक्षण को रद्द करने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में चल रहे जातिगत सर्वे को चुनौती देने वाली किसी भी याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा है कि याचिकाकर्ता को पटना हाईकोर्ट में अपनी अपील दाखिल करनी चाहिए। याचिकाकर्ता ने पटना उच्य न्यायालय में याचिका दायर की थी

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सरकार ने जाति आधारित सर्वेक्षण को दो चरणों में पूरा करने का लक्ष्य रखा था। पहला चरण 7 जनवरी, 2023 से शुरू हुआ जिसमें आवासीय मकानों पर नंबर डाले गए। यह काम 15 दिनों तक चला। सर्वेक्षण के दूसरे चरण की शुरूआत 15 अप्रैल से शुरू किया गया था। इस चरण में जिनके घरों को पहली चरण में चिन्हित किया गया है उस घरों में रहने वाले लोगों की जाति, उपजाति, सामाजिक-आर्थिक स्थिति आदि की सूचना एकत्र की जा रही थी। इस सर्वेक्षण को पूरा करने का लक्ष्य 31 मई, 2023 तक रखा गया था। इस सर्वेक्षण में जाति की गिनती समेत 26 प्रकार की जानकारियां लोगों से ली जा रही थी। गणना के दूसरे चरण का कार्य 15 अप्रैल से राज्य के सभी 261 निकायों एवं 534 प्रखंडों में चल रहा था। सरकार ने एप में ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित की थी कि अगर कोई व्यक्ति दो बार नाम लिखाने का प्रयास करेगा तो एप ऐसे लोगों को चिन्हित कर लेगा।