पटना,रंजना कुमारी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चार दिवसीय सूर्योपासना के महापर्व छठ पूजा के मद्देनजर गंगा तटों पर निर्मित/निर्माणाधीन छठ घाटों का निरीक्षण किया। उन्होंने स्टीमर के जरिये दानापुर के नासरीगंज गंगा घाट से पटना सिटी के झाऊगंज घाट तक गंगा तटों पर तैयार किये जा रहे छठ घाटों का निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने घाटों की साफ-सफाई, स्वच्छता, पर्याप्त रौशनी की व्यवस्था, गंगा नदी के किनारे बैरकेटिंग, एप्रोच रोड, वॉच टावर एवं छठ व्रतियों की सुविधा और सुरक्षा के संबंध में अधिकारियों से पूरी जानकारी ली। छठ घाटों का मुआयना करने के क्रम में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को कई आवश्यक दिशा-निर्देश दिये ताकि छठ व्रतियों को किसी प्रकार की कठिनाई न हो।
निरीक्षण के क्रम में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुये कहा कि छठ घाटों तक पहुंच पथ ठीक ढंग से दुरुस्त होनी चाहिए ताकि सुगमतापूर्वक छठ व्रती तटों पहुंच सकें। कलेक्टेरियट घाट पर छठ व्रतियों की भीड़ काफी उमड़ती है, जिसको ध्यान में रखते हुए लोगों की सुरक्षा एवं सुविधा का पुख्ता प्रबंध करें। छठ घाटों पर पर्याप्त संख्या में वॉचटावर की व्यवस्था करें, जिससे घाटों की सतत् निगरानी हो सके। गंगा के जलस्तर को देखते हुए घाटों की घेराबंदी सुनिश्चित करें।
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छठ घाटों के निरीक्षण के उपरांत पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोग 27 अक्टूबर को पहली बार छठ घाटों को देखने आए थे। इस बार पूरे तौर पर छठ मनाया जा रहा है। लोगों को सुविधा मिलनी चाहिए और छठ घाटों का बेहतर तरीके से निर्माण होना चाहिए। उस समय पानी का फ्लो ज्यादा था, अभी पानी का बहाव घटा है। पिछली बार हमलोगों ने जो कहा था उन सभी जगहों पर इनलोगों ने तैयारी कर ली है। अधिकारियों ने साईट पर जाकर देखने के बाद ने घाटों की तैयारी का निर्णय लिया है। छठ घाटों का निर्माण काफी बेहतर तरीके से किया जा रहा है, जिससे छठ व्रतियों को किसी प्रकार की कठिनाई न हो।
“मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली बार हमने अधिकारियों को कई निर्देश दिए थे, इस दिशा में काम हुआ है। अब 6 नवंबर को पुनः हमलोग छठ घाटों को देखने आएंगे। जिन घाटों पर संभव होगा और पूर्ण तैयारी रहेगी, उन्हीं घाटों पर छठ व्रतियों को पूजा करने की अनुमति दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि खतरनाक घाटों पर छठ व्रतियों के अर्घ्य देने की पूरी मनाही रहेगी। छठ के पहले अर्घ्य के दिन हम हमेशा आते ही हैं और उसके पहले भी आकर घाटों की तैयारी का जायजा लेते रहे हैं।