हास्य व्यंग्य नाटक “त हम कुंआरे रहें?” के लेखक थे मशहूर नाटककार सतीश कुमार मिश्रा।
पटना. विश्व मोहन चौधरी संत। नाटक त हम कुंआरे रहें का कालिदास रंगालय में हुआ मंचन। डिसेबल स्पोर्ट्स एण्ड वेलफेयर एकेडमी द्वारा संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली के सौजन्य से पटना के कालिदास रंगालय में बिहार के मशहूर नाटककार सतीश कुमार मिश्र लिखित एवं कुमार मानव निर्देशित बहुचर्चित हास्य व्यंग्य नाटक त हम कुआँरे रहें? का मंचन किया गया। हास्य कथानक और कलाकारों के हास्य अभिनय देखकर दर्शक हंसी से लोटपोट होते रहे। व्यंग्य के सहारे यह नाटक दहेज प्रथा पर करारा प्रहार करता है। साथ ही दिव्यांगता के दर्द को भी बारिकी से उकेरता है।
नाटक की कथा मानसिक और शारीरिक रूप से दिव्यांग, मंदबुद्धी नायक ज्ञानगुणसागर के आसपास घुमती है। बड़े भाई महावीर विक्रम बजरंगी प्रसाद की शादी हो चुकी है। दिव्यांगता एवं पिता द्वारा मनमानी दहेज मांगेजाने के कारण ज्ञारगुणसागर की शादी तय नहीं हो पाती है। नतीजतन वह पिता और भाई से खिन्न और दुखी रहता है। कहानी का ताना बाना ऐसे बुना गया है कि ज्ञानगुणसागर शादी के पहले तो कुआंरा रहता ही है। शादी के बाद भी वह कुआंरा ही रह जाता है।
प्रस्तुति का प्रदर्शन, कलाकारों का अभिनय और दृश्य संयोजन खुद ही निर्देशक सुमन कुमार की परिपक्व न निर्देशकीय क्षमता को दर्शाता है।
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नाटक में भाग लेने वाले कलाकारों में मंतोष कुमार, भुनेश्वर कुमार, विजय कुमार चौधरी, सरबिन्द कुमार, राजकिशोर पासवान, बलराम कुमार एवं पृथ्वीराज पासवान ने अपनी हास्य अभिनय की प्रतिभा को स्थापित है।
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नाटक त हम कुंआरे रहें में प्रकाश परिकल्पना हिमांशु कुमार, रुप सज्जा माया कुमारी, वस्त्र विन्यास सुनीता कुमारी, मंच सज्जा बलराम कुमार ने किया। अन्य सहयोगियों में धीरज कुमार, कृष्णा तूफानी, रामचंद्र राम, राधा कुमारी इत्यादि ने भी नाटक को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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