शिक्षक हमारे मार्गदर्शक और हमारे व्यक्तित्व के निर्माता होते हैं : डा. नम्रता आनंद। शिक्षक के बिना जीवन में सफलता की कल्पना करना असंभव : राजीव रंजन प्रसाद छात्र के जीवन को सफल बनाने में शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान : विमल जैन। पटना, संवाददाता। सामाजिक संस्था दीदीजी फाउंडेशन के सौजन्य से शिक्षक दिवस 5 सितंबर के अवसर पर शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले 15 शिक्षकों को डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया गया।
सम्मानित होने वाले शिक्षकों में प्रो. डा. अनूप कुमार सिंह, प्रो. सुमन कुमार, प्रो. डा. मोहम्मद नाजीम, प्रो. डा. राजेश रंजन, प्रो. डा. नवीन चंद्र सिन्हा, प्रो. डा. संतोष कुमार, प्रो. डा. राजीव रंजन, प्रो. डा.धनेश्वर प्रसाद सिंह, प्रो. डा. मनोज कुमार सिन्हा, भोला पासवान, आनंद कुमार झा, विश्वनाथ प्रसाद सिन्हा, कृष्नंदन प्रसाद, सुधीर कुमार सिंह और दिवाकर वर्मा को इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि पद्मश्री विमल जैन और जीकेसी के ग्लोवल अध्यक्ष सह जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने संस्था की ओर से मोमेंटो प्रमाणपत्र, और अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।
कार्यक्रम की शुरूआत डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यापर्ण कर की गयी, इसके बाद दीप प्रज्जवलन किया गया। फिर आगंतुक अतिथियों को फूल बुके, मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन अजय अमबष्ठा ने किया। युवराज सरगम सीनू सरगम और कल्याणी सरगम ने गुरु वंदना के साथ कार्यक्रम का आगाज किया गया।
मौके पर दीदीजी फाउंडेशन की संस्थापिका डा. नम्रता आनंद ने कहा कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक विद्वान और महान शिक्षक थे। उन्होंने अपने जीवन के अमूल्य 40 वर्ष एक शिक्षक के रूप में इस देश के भविष्य को संवारने में दिये थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए हर वर्ष उनके जन्म दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। शिक्षक हमारे मार्गदर्शक और हमारे व्यक्तित्व के निर्माता होते हैं। वे जलते हुए दीपक की तरह स्वयं जलकर, हमारी जिंदगियों में उजाला भरते हैं। भारतीय संस्कृति में गुरु का बहुत अधिक महत्व है। ‘गु’ शब्द का अर्थ है अंधकार (अज्ञान) और ‘रु’ शब्द का अर्थ है प्रकाश ज्ञान। मतलब अज्ञान को नष्ट करने वाला जो ब्रह्म रूप प्रकाश है, वह गुरु है। ।”गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर: ।गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः” से डा. नम्रता आनंद ने अपना संबोधन समाप्त किया।
जदयू नेता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा, डा. राधाकृष्णन का जीवन हमें उच्च गुणों को आत्मसात कर एक आदर्श शिक्षक बनने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा छात्र-छात्राओं के व्यक्तित्व को आकार देने और भविष्य को उज्ज्वल बनाने में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका।
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पद्मश्री विमल जैन ने मौके पर अपने संम्बोधन में कहा, कि शिक्षक ज्ञान का महासागर है। बच्चों के भविष्य को सवारने में शिक्षक का योगदान अतुलनीय है।
दीदी जी फुंडेशन के अध्यक्ष अनिल कुमार वर्मा ने कहा देश एवं राष्ट्र के निर्माण में शिक्षक की अहम भूमिका होती है। शिक्षक को समाज के शिल्पकार की संज्ञा भी दी जाती है। भारतीय संस्कृति में केवल शिक्षक को ही माता-पिता तुल्य माना गया है। उन्होंने कहा कि संत कबीर दास जी ने गुरू की गुरूता का वर्णन करते हुए लिखा है, गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताया।