डा. विनय कुमार विष्णुपुरी के निधन पर साहित्य सम्मेलन में आयोजित हुई शोक-गोष्ठी । पटना, मुकेश महान। हिन्दी के प्राध्यापक रहे डा. विनय कुमार विष्णुपुरी एक निरंतर गतिमान और उद्यमशील लेखक थे। उनकी सक्रियता और उनका श्रम प्रेरणादायी था। जीवन के अवसान के समय भी उन्हें कभी शिथिल नहीं देखा गया। इस आयु में भी वे प्रतिदिन २० किलोमीटर की पद-यात्रा करते थे। उनके निधन से समाज की एक बड़ी क्षति पहुँची है।
डा. विष्णुपुरी के निधन पर बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में शुक्रवार को आयोजित एक शोक-गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही।
उन्होंने कहा कि विष्णुपुरी जी का साहित्य सम्मेलन से एक गहरा लगाव था और वे प्रायः प्रति दिन सम्मेलन भवन आया करते थे। वे सम्मेलन की कार्यसमिति के भी लम्बे समय तक सदस्य रहे। उन्हें सम्मेलन की “आपत्ति निराकरण समिति” के अध्यक्ष का भी दायित्व दिया गया था।
शोक व्यक्त करने वालों में सम्मेलन के प्रधानमंत्री डा. शिववंश पाण्डेय, डा आर प्रवेश, डा. शालिनी पाण्डेय, श्रीकान्त व्यास, कवि सदानन्द प्रसाद, ज्ञानेश्वर शर्मा, विशाल शेखर, धर्मेश प्रसाद, डा. अर्चना त्रिपाठी के नाम सम्मिलित हैं।
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स्मरणीय है कि गत पांच जनवरी को सुबह 11बजे मस्तिष्क-आघात से उनकी मृत्यु हो गई। वे ७१ वर्ष के थे। आज तीसरे पहर गुल्बी घाट पर उनका अग्नि-संस्कार संपन्न हुआ। उनके ज्येष्ठ पुत्र वीरेश विनीत ने मुखाग्नि दी। स्वर्गीय विष्णुपुरी अपनी विधवा सहित दो पुत्र वीरेश और विश्वेन्द्र विनीत समेत अपना भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं।