पटना,संवाददाता। इंडियन साइकिएट्रिक सोसाइटी और पाटलिपुत्रा साइकिएट्रिक सोसाइटी ने संयुक्त रूप से आया डॉ संतोष कुमार के पक्ष में। नालंदा मेडिकल कॉलेज, पटना के नशा मुक्ति केंद्र के नोडल ऑफिसर और मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. संतोष कुमार के बारे में मीडिया में प्रकाशित खबरों का इंडियन साइकिएट्रिक सोसाइटी और पाटलिपुत्रा साइकिएट्रिक सोसाइटी ने संयुक्त रूप से खंडन किया है। दोनों सोसाइटी ने उनपर लगे मारपीट और लापरवाही की खबर को अपुष्ट और निराधार बताया। साथ ही उन्होंने इस घटनाक्रम को लेकर वास्तविक स्थिति से अवगत कराया और सरकार से इस मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार मेडिकल बोर्ड द्वारा जांच के बाद किसी कार्रवाई के लिए निर्णय लेने का आग्रह किया।
पाटलिपुत्रा साइकिएट्रिक सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. पंकज कुमार, सचिव डॉ राकेश कुमार और इंडियन साइकिएट्रिक सोसाइटी ईस्ट्रनल जोनल ब्रांच के सचिव अमित पट्टोजोशी और डॉ विनय कुमार ने संयुक्त रुप से पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि साइकिएट्रिक सोसाइटी डॉ संतोष कुमार के बारे में छपी भ्रामक ख़बरों का खंडन करता है। वे एक बेहतरीन मानसिक रोग विशेषज्ञ हैं और अपने कार्य को पूरी निष्ठा से करते रहे हैं। उनकी कर्त्तव्य परायणता, कार्य कुशलता और क्षमता पर संदेह करना उचित नहीं है। सोसाइटी ने इस घटना की वास्तविक घटनाक्रम की व्याख्या करते हुए कहा कि विगत 22 दिसंबर 2022 को आयुष कुमार को डॉ संतोष कुमार के अन्तर्गत इलाज के लिए उनके पिता द्वारा भर्ती किया गया था। आयुष मानसिक रूप से बहुत अस्वस्थ थे और कई प्रकार के नशे जैसे ब्राउन सुगर, गांजा, स्टिम्यूलेंट, कोरेक्स, और नशायुक्त गोलियों के लंबे समय से आदि थे। उनकी मानसिक बीमारियों में व्यवहार संबंधित समस्या जैसे अत्यधिक क्रोध करना, गली गलौज करना, परिवार में मार पीट करना, अत्यधिक नशा करना इत्यादि शामिल था। परिवार के लिए उनको संभलना कठिन हो रहा था, जिसके चलते उन्होंने आयुष को इलाज कराने के लिए भर्ती किया।
उन्होंने कहा कि हम डॉक्टर संतोष कुमार द्वारा बताए गए तथ्यों के आधार पर यह कहना चाहते हैं कि मरीज की मौत मारपीट जैसी वजह से नहीं हुई है। आयुष कई वर्षों से बीमार और नशे की लत के आदि थे जिसकी वजह से पहले भी दिल्ली के किसी नशामुक्ति संस्थान में भर्ती रहे थे।
उन्होंने कहा कि यहाँ भर्ती होने के बाद उनकी हालत में सुधार हो रहा था और वह पहले से काफ़ी बेहतर महसूस कर रहे थे। इसी बीच दिनांक 12 जनवरी 2023 को तक़रीबन 3 बजे उनको उल्टियाँ होने लगीं और उन्हें साँस लेने में कुछ तकलीफ़ महसूस हुई तो उन्हें तत्काल ही प्राथमिक उपचार के लिए पास के अस्पताल में ले जाया गया और उनके पिता और परिवार जन को खबर कर दी गई। हालत में सुधार न आ पाने की सूरत में उन्हें अतिशीघ्र बेहतर उपचार के लिए AIIMS पटना ले जiया गया और वहाँ डॉक्टर्स ने पूरी तात्परता से उनका हर संभव इलाज कर उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की। उन्हें वेंटिलेटर पर रख कर स्टेबलाइज़ करने की कोशिश की पर अथक प्रयासों के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। इस क्रम में उनक पिता द्वारा लगाया गया मारपीट का आरोप बेबुनियाद और निराधार है, क्योंकि ये समस्त घटनाक्रम अस्पताल में लगे CCTV में दर्ज है और किसी भी तरह की मारपीट या लापरवाही की पुष्टि नहीं करते हैं।
इंडियन साइकिएट्रिक सोसाइटी बिहार ब्रांच मीडिया को जारी किए गए असत्यापित सूचनाओं और समाचारों का खंडन करता है और सक्षम पुलिस अधिकारियों से निवेदन करता है कि पूरी जाँच और मेडिकल बोर्ड द्वारा जाँच के बाद ही किसी कार्रवाई का निर्णय लें। इस तरह के मामलों में माननीय उच्चतम न्यायालय का एक फ़ैसला भी यही निर्देश देता है।