महादेवी वर्मा को समर्पित रहा नटवर साहित्य परिषद का कवि सम्मेलन। श्री नवयुवक समिति के सभागार में रविवार को नटवर साहित्य परिषद द्वारा ...
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महादेवी वर्मा को समर्पित रहा नटवर साहित्य परिषद का कवि सम्मेलन

महादेवी वर्मा को समर्पित रहा नटवर साहित्य परिषद का कवि सम्मेलन। मुजफ्फरपुर, संवाददाता। श्री नवयुवक समिति के सभागार में रविवार को नटवर साहित्य परिषद द्वारा आयोजित मासिक कवि सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि शुभनारायण शुभंकर, मंच संचालन डॉ. लोकनाथ मिश्र, स्वागत भाषण नटवर साहित्य परिषद के संयोजक डॉ.नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी व धन्यवाद ज्ञापन सृजन गवाक्ष पत्रिका के संपादक डॉ.विजय शंकर मिश्र ने किया।

 कवि सम्मेलन में छायावाद की महत्वपूर्ण कवियित्री-लेखिका महादेवी वर्मा को याद करते हुए डॉ.विजय शंकर मिश्र व प्रो. डॉ. पुष्पा गुप्ता ने कहा कि महादेवी वर्मा के लेखन में कल्पना और यथार्थ का विलक्षण मेल है। वह सपनों की तूलिका से वास्तविक समाजवाद को अपनी रचना में रेखांकित करती हैं। आज उनके जन्मदिन पर हम उन्हें शत-शत अभिवंदन करते हैं।

  कवि सम्मेलन की शुरुआत आचार्य श्री जानकी वल्लभ शास्त्री जी के गीत ‘ पथरीले पंथों पर दूब मैं उगाऊँ और कसो तार, तार सप्तक में गाऊँ ‘ से किया गया। शायर डॉ. नर्मदेश्वर मुज़फ़्फ़रपुरी ने ग़ज़ल ‘ धुआँ – धुआँ सा उठा है जरा ठहर जाओ, आशियाँ कोई जला है जरा ठहर जाओ ‘, सुनाकर भरपूर तालियां बटोरी। कवि डॉ लोकनाथ मिश्र ने  ‘ वह अज्ञ यज्ञ में बैठा मंत्र ठीक से बोल न पाता ‘ सुनाकर तालियां बटोरी। गीतकार डॉ. विजय शंकर मिश्र ने ‘ रात-दिन साथ रहे आज क्यों भूल गए, किससे क्या बात करें आज तुम भूल गए ‘ , सुनाकर तालियां बटोरी।

 वरिष्ठ कवि शुभनारायण शुभंकर ने ‘ उम्मीद लिए चलता शायद कल अच्छा हो, कुछ बेहतर दुनिया के होते हकदार सभी ‘ सुनाकर तालियां बटोरी। कवि विजय शंकर प्रसाद ने ‘दीवार है तो तेरा वजूद मुझसे न झलका, दोनों तन्हा तो इश्क का भी मचा तहलका’ सुनाया। शायर रामउचित पासवान ने ग़ज़ल- ‘ शाख हिलते ही कली का है दहला कलेजा, तू क्या बदला इधर दम है हमारा निकला’ सुनाकर तालियां बटोरी।  वरिष्ठ कवि प्रो. डॉ. देवव्रत अकेला ने – ‘अब कौवे भी सुबह में नहीं बोलते, नहीं जगाते हमें वो भी  सुनाकर लोगों का दिल जीता। वरिष्ठ कवि देवेन्द्र कुमार ने ‘ नव संवत्सर आ गया, हर डाल फूलों से सजे हैं, उल्लास से स्वागत करे हम’ सुनाया। ओमप्रकाश गुप्ता ने’ देने लगे हैं आजकल वो नसीहतें मुझे, झुले थे कभी जो बाहों में, झुलों की तरह’ सुनाया। प्रो. डॉ पुष्पा गुप्ता ने ‘ तुने मुझको पाल पोसकर इतना बड़ा बनाया है, सुख-दुख में तूने ही तो आँचल से चिपकाया है’, सुनाकर पूरे हॉल को ममत्व से भर दिया।

प्रो. डॉ शैल केजड़ीवाल ने ‘ मातु श्री की वंदना धरा से करते माँ तेरा अभिनंदन’  सुनाया। कवयित्री सविता राज ने ‘ मुस्कुराहट चेहरे की खोने न पाए, दर्द हो कोई भी, नयन रोने न पाए’ , सुनाया। वरिष्ठ कवि अशोक भारती ने ‘ कुछ पल के लिए तेरा मिलना भी क्या मिलना, उम्र भर के लिए मिलो तो कुछ बात बने’ और कवि सुमन कुमार मिश्र ने ‘ अन्दर  अन्दर पलते रहता अकेलापन का घाव, फोन मोबाइल मैसेज इमेल जबसे खेला दाव’  सुनाया।

इसके अलावा कवि अरुण कुमार तुलसी, दीन बंधु आजाद, डॉ जगदीश शर्मा, यशपाल कुमार, मुन्नी चौधरी, मोहन कुमार सिंह, संतोष कुमार सिंह, उषा किरण श्रीवास्तव, मुस्कान केशरी, चिराग पोद्दार, सुरेश प्रसाद सिंह, अमलेन्द्र प्रसाद सिंह आदि कवियों की रचनाओं को भी काफी सराहा गया।

Xpose Now Desk
मुकेश महान-Msc botany, Diploma in Dramatics with Gold Medal,1987 से पत्रकारिता। DD-2 , हमार टीवी,साधना न्यूज बिहार-झारखंड के लिए प्रोग्राम डाइरेक्टर,ETV बिहार के कार्यक्रम सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार के लिए स्क्रिपट हेड,देशलाइव चैनल के लिए प्रोगामिंग हेड, सहित कई पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों में विभिन्न पदों पर कार्य का अनुभव। कई डॉक्यूमेंट्री के निर्माण, निर्देशन और लेखन का अनुभव। विविध विषयों पर सैकड़ों लेख /आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कला और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित। संपर्क-9097342912.