साहित्य सम्मेलन में पुस्तक ‘अंतस की आवाज़’ का हुआ लोकार्पण, आयोजित हुई कवि-गोष्ठी ।
पटना, संवाददाता। विदुषी कवयित्री मधु रानी लाल ने अपनी अनवरत जारी शब्द-साधना से ‘दोहा-छंद’ पर सिद्धि प्राप्त करने में सफल हुईं हैं। उन्होंने अपने बहु-प्रतीक्षित दोहा-संकलन ‘अंतस की आवाज़’ के माध्यम से यह विनम्र पुष्टि भी की है कि यदि गृहिणियाँ भी चाहें तो एक समर्थ कवयित्री या लेखिका के रुप में साहित्य-जगत में अपना मूल्यवान स्थान बना सकती हैं। ये बातें रविवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में पं हंस कुमार तिवारी की जयंती पर आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन-अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही।
प्रणम्य कवि पं हंस कुमार तिवारी को स्मरण करते हुए डा सुलभ ने कहा कि तिवारी जी उत्तर छायावाद काल के गीत-चेतना के अग्रणी कवियों में एक थे। उन्होंने बंगला साहित्य के अनुवाद के साथ ही अनेक मौलिक साहित्य का सृजन किया।
समारोह का उद्घाटन करते हुए, पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार ने कहा कि ‘दोहा’ एक बहुत सरस छंद है। मधु रानी लाल की यह पुस्तक दोहा साहित्य में अपना विशेष स्थान बनाएगी।
सुप्रसिद्ध साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि कवयित्री मधुरानी लाल एक संवेदनशील कवयित्री हैं, जो अपने दोहों से न केवल अपने मन की अभिव्यक्ति करती हैं, बल्कि अपनी सरस शब्द-योजना के साथ उपदेश भी देती चलती हैं।
गीत के चर्चित कवि आचार्य विजय गुंजन, केंद्रीय सुरक्षा बल, राँची में उप महानिरीक्षक धर्मेंद्र नारायण लाल, डा मधु वर्मा, डा कल्याणी कुसुम सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
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मौके पर आयोजित कवि-गोष्ठी का आरंभ कवयित्री चंदा मिश्र ने वाणी-वंदना से किया। बच्चा ठाकुर, डा विजय प्रकाश, जय प्रकाश पुजारी, डा पुष्पा जमुआर, शुभ चंद्र सिन्हा, डौली बगड़िया, डा शालिनी पाण्डेय, डा रेखा भारती, सागरिका राय, अर्जुन प्रसाद सिंह, आदि कवियों ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया। मंच संचालन कवि ब्रह्मानंद पाण्डेय तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।