Mahaveer Mandir Patna
बिहार

Mahaveer Mandir Patna: महावीर मन्दिर की व्यवस्था कभी हनुमानगढ़ी से नहीं होती थी

हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन महन्त श्री प्रेम दास के असत्य बयान पर महावीर मन्दिर (Mahaveer Mandir Patna), पटना की प्रतिक्रिया

हनुमानगढ़ी के गद्दीनशील महन्त श्री प्रेम दास का बयान असत्य-सम्भाषण से परिपूर्ण है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में लिखा है- “नहि असत्य सम पातक-पुंजा” गद्दीनशीन जी का पहला असत्य-सम्भाषण यह है कि महावीर मन्दिर की व्यवस्था हनुमानगढ़ी से होती थी।
महावीर मन्दिर की व्यवस्था कभी हनुमानगढ़ी से नहीं होती थी। अतीत में गोसाईं गृहस्थों के अधीन यह मन्दिर करीब 50 वर्षों तक था।

1948 ई. के फैसले में पटना हाई कोर्ट ने इसे सार्वजनिक मन्दिर घोषित किया और यहाँ पुजारी एवं प्रबन्ध-समिति की व्यवस्था की। 1987 ई. में इसके लिए एक न्यास समिति का गठन बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड द्वारा किया गया। उस आदेश के खिलाफ गोपाल दास जी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक गये जहाँ उनकी हार हुई और वर्तमान न्यास-समिति की वैधता बरकरार रही। गद्दीनशीन जी के बयान का महत्त्व सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के ऊपर नहीं हो सकता।

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गद्दीनशीन जी का दूसरा बयान है कि किशोर कुणाल जब पटना के एसएसपी थे, तब उन्होंने गोपाल दास को झूठे मुकदमे में फँसाकर जेल भिजवा दिया। यह सरासर गलत है। कुणाल पटना के एस.एस.पी. दि. 15/04/1983 से दि. 12/07/1984 तक थे। उसके बाद वे बिहार काडर से बाहर चले गये, क्योंकि उनका काडर गुजरात था। गोपाल दास जी अक्टूबर, 1987 में वैशाली जिले में एक विधवा और उसके नाबालिग बेटे की हत्या के काण्ड में जेल गये थे। कुणाल के बिहार काडर से हटने के सवा तीन साल बाद। यह बात गद्दीनशीन जी को बतायी गयी थी; फिर भी वे असत्य-सम्भाषण से बाज नहीं आ रहे हैं।

यहाँ विडम्बना यह है कि गोपाल दास के जिस शिष्य महेन्द्र दास को इन्होंने अनधिकृत रूप से महावीर मन्दिर का महन्त बनाया है, उसी ने वैशाली जिले के एक केस में अपने गुरु के बारे में अदालत में शपथ पत्र पर कहा है कि गोपाल दास एक अपराधी थे और उन्होंने इस्माईलपुर में एक विधवा एवं उसके नाबालिग बेटे का मर्डर करवाया था। गद्दीनशीन जी की बलिहारी है कि गोपाल दास जी को हत्यारा कहने वाले को गद्दी देते हैं और जिस कुणाल की कोई भूमिका नहीं थी; उस पर इल्जाम लगाते हैं।

गद्दीनशीन जी का तीसरा बयान भी भ्रामक है। श्री सूर्यवंशी दास जी को किशोर कुणाल गुरु रविदास मन्दिर, अयोध्या से पटना ले गये थे। उस आयोजन में हनुमानगढ़ी के साधुओं ने दलित पुजारी की नियुक्ति का बहिष्कार किया था और आमन्त्रण मिलने पर भी हनुमानगढ़ी से कोई नहीं आया था; बल्कि वे लोग कुणाल से इसके लिए बरसों तक नाराज थे। कुणाल के निमन्त्रण पर राम जन्मभूमि न्यास के तत्कालीन अध्यक्ष महन्त श्री रामचन्द्र परमहंस जी महाराज और गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त श्री अवेद्यनाथ जी महाराज तथा पंचगंगा घाट से महन्त अवध बिहारी दास आये थे।

श्री सूर्यवंशी दास को यहाँ पूरे सम्मान के साथ 28 वर्षों तक रखा गया था; उन्हें महामण्डलेश्वर तथा राम जन्मभूमि में भी ट्रस्टी बनवाने का प्रयास कुणाल द्वारा किया गया था। इसे गद्दीनशीन जी अच्छा बर्ताव नहीं कहते। श्री सूर्यवंशी दास को उनके मूल स्थान गुरु रविदास मन्दिर के महन्त श्री बनवारी पति उर्फ ब्रह्मचारी ने दि- 07/07/2021 को हटाया है और उनके स्थान पर आचार्य अवधेश दास जी को नियुक्त किया है और वे महावीर मन्दिर में कार्य कर भी रहे हैं।
गद्दीनशीन जी को विवाहित एवं पिता सूर्यवंशी दास जी से इतनी सहानुभूति है, तो हनुमानगढ़ी मन्दिर में पुजारी रख लें। हम उनकी जय जयकार करेंगे। किन्तु उनसे आग्रह है कि दोहरा मानदण्ड न अपनायें।

गद्दीनशीन जी का चौथा आरोप है कि कुणाल अपने बेटे को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते हैं; यह भी बिल्कुल बेबुनियाद है। उन्हें महावीर मन्दिर की परम्परा और कानूनी स्थिति का ज्ञान नहीं है। 1948 ई. में हाई कोर्ट के फैसले के बाद महावीर मन्दिर में महन्ती प्रथा समाप्त हो गयी। यहाँ मन्दिर की व्यवस्था न्यास-समिति के द्वारा चलती है। न्यास समिति का गठन बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड द्वारा होता है। कुणाल करीब दस साल बोर्ड के अध्यक्ष थे; किन्तु 10 मार्च, 2016 को स्वयं इस्तीफा देकर पटना एवं अयोध्या में जनहित कार्य में लग गये।

अतः महावीर मन्दिर में कुणाल न तो महन्त हैं और न ही उनके पास अपना उत्तराधिकारी बनाने का अधिकार है। अतः उनका बयान असत्य और दुर्भावना से प्रेरित है। गद्दीनशीन जी से एक अनुरोध है कि वे हनुमानगढ़ी में अपने दाहिने-बाँये उन महन्तों को देखें, जो साधु, वीतराग और गृहत्यागी हैं; उनमें से किन-किन ने ने अपने भतीजों एवं रिश्तेदारों का अपना उत्तराधिकारी बनाया है; यदि उनको रोक सकें, तो वह उनकी बड़ी उपलब्धि होगी।

गद्दीनशीन जी ने कहा है कि उन्होंने धार्मिक न्यास बोर्ड में हनुमानगढ़ी के अधिकार के लिए आवेदन दे रखा है; इसका स्वागत है। लोकतन्त्र में हर नागरिक को कुछ भी प्रापत करने के लिए न्यायालय की शरण में जाने का अधिकार है। कल कोई ताजमहल पर स्वामित्व का दावा ठोकता है, तो कोई रोक नहीं सकता; भले ही वह खारिज हो जाये। महावीर मन्दिर की वर्तमान न्यास समिति के विरुद्ध मुकदमा सुप्रीम कोर्ट से दो बार खारिज हो चुका है; एक बार अपील में और दूसरी बार समीक्षा (review) में।
फिर भी, संस्कृत में एक सुन्दर श्लोक ‘वेणी संहार’ नाटक में है-

“गते भीष्मे, हते द्रोणे कर्णे च विनिपातिते।
आशा बलवती राजन्! शल्यो जेष्यति पाण्डवान्।।“

भीष्म के जाने, द्रोण की मृत्यु और कर्ण के धराशायी होने पर भी आप (राजा धृतराष्ट्र) सोचते हैं कि शल्य पाण्डवों को पराजित करेगा; सचमुच आशा बड़ी बलवती है।

अन्त में, गद्दीनशीन जी से एक अनुरोध है कि आप जिस गद्दी पर बैठे हैं, उसकी गरिमा का पालन करें। हनुमानगढ़ी देश के करोड़ों भक्तों की अगाध श्रद्धा का केन्द्र है। हनुमानगढ़ी को वैटिकन सिटी जैसा सर्व-अधिकार-सम्पन्न बना दें; तो सबको अपार हर्ष होगा। किन्तु आप चरित-हनन और असत्य सम्भाषण का सहारा न लें। यह गद्दीनशीन की गरिमा के अनुकूल नहीं है।

आप हनुमानगढ़ी अखाड़े के नियमों का पालन करें। हाल में आपने जो बोर्ड में आवेदन किया है और आपके जो कुछ बयान आ रहे हैं; उनसे अखाड़े की नियमावली के नियम 12(13), 13 तथा 17 का उल्लंघन हो रहा है। आप विवाहित और पिता को मन्दिर में स्थापित करने का आदेश कर रहे हैं; क्या यह अखाड़े की नियमावलि के अनुसार है? यदि नहीं है, तो अभी भी आप अपने नियम-विरुद्ध आदेश को निरस्त कर हनुमानगढ़ी अखाड़े की मर्यादा का पालन कर सकेंगे।

Xpose Now Desk
मुकेश महान-Msc botany, Diploma in Dramatics with Gold Medal,1987 से पत्रकारिता। DD-2 , हमार टीवी,साधना न्यूज बिहार-झारखंड के लिए प्रोग्राम डाइरेक्टर,ETV बिहार के कार्यक्रम सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार के लिए स्क्रिपट हेड,देशलाइव चैनल के लिए प्रोगामिंग हेड, सहित कई पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों में विभिन्न पदों पर कार्य का अनुभव। कई डॉक्यूमेंट्री के निर्माण, निर्देशन और लेखन का अनुभव। विविध विषयों पर सैकड़ों लेख /आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कला और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित। संपर्क-9097342912.