भगवान श्रीराम पर अनर्गल प्रलाप : विहिप पटना, संवाददाता। भगवान श्री राम पर जीतनराम मांझी की टिप्पणी से आहत विश्व हिंदू परिषद ने कहा है कि उन्होंने अपने क्षुद्र राजनैतिक हित साधने हेतु ना सिर्फ रामभक्तों का अपितु, देश के संविधान, सर्वोच्च न्यायालय, हिन्दू समाज व महर्षि वाल्मीकि का भी घोर अपमान किया है। विहिप के बिहार प्रांत अध्यक्ष व श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास, अयोध्या के न्यासी कामेश्वर चौपाल ने कल एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर कहा कि ऐसे अनर्गल प्रलाप से पूर्व वे कम से कम भारत के संविधान के प्रथम पृष्ठ पर छपे राम दरबार, राम जन्मभूमि के सम्बंध में दिए गए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय, वाल्मीकि रामायण तथा बिहार, झारखंड के वनवासी समाज की आस्था का तो ध्यान रखे होते !
पटना में स्थित कार्यालय में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए श्री चौपाल ने कहा कि आज कल कुछ लोग स्वयं को दलित समुदाय के मसीहा बताने की जुगत में हैं। किन्तु, समुदाय पर जब इस्लामिक जिहादियों व कपटी चर्च के हमले होते हैं तब इनके मुँह में दही जम जाती है?
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राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री को अपनी जुबान खोलने से पूर्व कम से कम यह तो सोचना चाहिए था कि वो भगवान श्री राम के 14 वर्ष के साथी वनवासी-गिरिवासी बंधु-भगिनियों के साथ महर्षि वाल्मीकि,भक्त निषादराज व माता शबरी का भी घोर अपमान कर रहे हैं। साथ ही रामराज्य की कल्पना करने वाले पूज्य महात्मा गांघी, डॉ राम मनोहर लोहिया के साथ उन करोड़ों राम भक्तों का भी अपमान किया है जिन्होंने इसी वर्ष श्रद्धा व समर्पण भाव से राम जन्मभूमि मंदिर के लिए निधि समर्पित की है।
श्री चौपाल ने कहा कि श्री मांझी को अबिलम्ब अपने इस बयान पर माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राम हमारी आस्था से जुड़े हैं,वे सनातन और हमारी संस्कृति में रचे बसे हैं। ऐसे किसी के द्वारा भगवान राम पर अनर्गल प्रलाप बर्दास्त नहीं किया जाएगा। जो भी इस तरह के अनर्गल प्रलाप करेगा, उसे देश से की संस्कृति और परंपरा से माफी मांगनी ही पड़ेगी।
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पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मंदिरों में दलितों के प्रवेश पर रोक की बात बकबास है। मैं खुद बड़ा उदाहरण हूं। मैं भी दलित का बेटा हूं और राम मंदिर के नींव में मैंने भी इंट डाला है। उन्होंने कहा कि इसतरह की बात बोट की राजनीति करने वाले लोग ही करते हैं।