महफिल-ए-शेरो-सुख़न में खूब सुनाई गई शेर ओ शायरी और गजल। साहित्यिक संस्था सामयिक परिवेश ने आज अपना 17 वां वार्षिकोत्सव बड़े ही साहित्यिक अं...
बिहार

महफिल-ए-शेरो सुख़न : लोग मतलब से पास आते हैं, मैं कहां सब के पास जाती हूं

पटना, संवाददाता। महफिल-ए-शेरो-सुख़न में खूब सुनाई गई शेर ओ शायरी और गजल। साहित्यिक संस्था सामयिक परिवेश ने आज अपना 17 वां वार्षिकोत्सव बड़े ही साहित्यिक अंदाज में मनाया। कार्यक्रम का नाम ही रखा गया था महफिल-ए-शेरो-सुख़न। गांधी मैदान स्थित खादी मॉल सभागार सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में काव्यरस की धारा प्रवाहित हो रही थी साथ ही शेरो शायरी और ठहाका गूंज रहा था।

 कार्यक्रम की अध्यक्षता मुकेश महान कर रहे थे। मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि के रूप में क्रमशः पटना दूरदर्शन के निदेशक राजकुमार नाहर, कला संस्कृति विभाग के निदेशक विरेन्द्र प्रसाद, बिहार म्यूजियम के प्रभारी अशोक सिन्हा और संस्था की अध्यक्ष ममता मेहरोत्रा खुद मंच पर मौजूद थी।

 अपने संबोधन में ममता मेहरोत्रा ने संस्था की 17 वर्ष की यात्रा की संक्षिप्त जानकारी देते हुए सभी सहयात्रियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। दीप प्रज्वलन कर उद्घाटन के बाद राजकुमार नाहर ने अपने संबोधन में कहा कि सामयिक परिवेश सिर्फ एक संस्था नहीं एक परिवार है। यह ऐसा साहित्यिक परिवार है, जिसकी शाखाएं कई देशों में फल पूल रही हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी संस्था के लिए 17 वर्ष बहुत मायने रखते हैं। मौके पर अशोक सिन्हा ने संस्था की स्थापना से जुड़े अपने संस्मरण सुनाए और कहा कि महज चार-पांच लोगों के साथ शुरु हुई यह संस्था एक विशाल वट वृक्ष का स्वरूप ग्रहण कर चुकी है। आज देश और देश से बाहर हजारों लोग इससे जुड़े हुए हैं। और यह सब संभव हुआ है ममता जी के अथक मिहनत और प्रयास से।  

मंचीय औपचारिकताओं के बाद महफिल-ए-शेरो-सुख़न की जब शुरुआत हुई तो सभागार में साहित्य के तमाम रस बरसने लगे। पूरे बिहार सहित प्रदेश के बाहर के साहित्कारों ने श्रोताओं को आह आह-वाह वाह करने पर विवश कर दिया। किसी ने देशभक्ति के जज्बे से तो किसी ने प्रेम रस से प्रेक्षागृह को सराबोर किया। कोई अपने प्रेम की यादों को तो कोई प्रेम के सपने को अभिव्यकत कर रहा था। श्रोता भी साथ में कभी भाव विभोर हो रहे थे तो कभी प्रेम रस में डूबकियां लगा रहे थे। बानगी के तौर पर ममता मेहरोत्रा की ये पक्तियां गौर फरमान लायक है–

लाख जतन करने पड़ते हैं इश्क़ की मंज़िल पाने को

दिल हारा है तब जीता है मैंने इक दीवाने को

दुनिया वाले क्या समझेंगे वाह के पीछे के ग़म को

किस किस दुख से गुज़री ममता अपने शेर सुनाने को

साथ में उनकी इन पक्तियों ने भी वाहवाही लूटी

दिल में जो है ज़बां पे लाती हूं,

अब तो सायों से खौफ खाती हूं।

लोग मतलब से पास आते हैं,

मैं कहां सब के पास जाती हूं।

राजकांता की ग़ज़ल की पक्तियां भी दिल को छू गई-

गीत मेरे नाम की लिखना सनम,

नम्र हाथों से घड़े को गढ़ना सनम

डाक्टर रूबी भूषण की राष्ट्रप्रेम से ओत प्रोत इन पंक्तियों पर भी लोग वाह वाह करते रहे।

यही मेरी ज़ामिन है, यही मेरा दयार है।

बतन की आन बान पर मेरा दिल निसार है।

शायर अनवर कमाल ने श्रोताओं के दिल में जोश भरते हुए कहा कि

जीतने के लिए कुछ कीजिए

कुछ दवा कीजिए, कुछ दुआ कीजिए

 इनके अतिरिक्त दिलशाद नज्मी,अक्स समस्तीपुरी, अंजुम अजहर, अनमोल सावरण, ,श्वेता गजल,कवयित्री सविता राज,रेखा मिश्रा,अमृतांशु,नीतू नवगीत, अंकेश, चंदन द्विवेदी, डा.पूनम श्रेयसी, रेखा भारती मिश्रा, मीना परिहार, प्रो.(डाक्टर) सुधा सिन्हा, श्वेता गज़ल, प्रतिभा रानी, सिन्धु कुमारी, अनिता सिद्धि व अन्य रचनाकारों ने अपनी रचनाओं का पाठ कर तालियां बटोरी।सभी अतिथियों एवं सामयिक परिवेश के सदस्यों को प्रशस्ति पत्र,अंगवस्त्र एवं ट्रॉफी प्रदान किया गया।      

Xpose Now Desk
मुकेश महान-Msc botany, Diploma in Dramatics with Gold Medal,1987 से पत्रकारिता। DD-2 , हमार टीवी,साधना न्यूज बिहार-झारखंड के लिए प्रोग्राम डाइरेक्टर,ETV बिहार के कार्यक्रम सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार के लिए स्क्रिपट हेड,देशलाइव चैनल के लिए प्रोगामिंग हेड, सहित कई पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों में विभिन्न पदों पर कार्य का अनुभव। कई डॉक्यूमेंट्री के निर्माण, निर्देशन और लेखन का अनुभव। विविध विषयों पर सैकड़ों लेख /आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कला और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित। संपर्क-9097342912.