पटना, संवाददाता। केन्द्रीय मंत्रीमंडल में जदयू के शामिल होने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा कि आज फिर नीतीश कुमार जी ने यह साबित कर दिया कि वे जाति प्रेम से बाहर नहीं निकल सकते। व्यवहारिक रूप से किसी भी दल के मंत्रीमंडल में शामिल होने का पहला हक संसदीय दल के नेता को होता है। पर नीतीश कुमार ने अपने दल के संसदीय दल के नेता की उपेक्षा कर अपने स्वजातीय को मंत्रीमंडल में शामिल करवा कर यह साबित कर दिया कि वे अपने जातिय परिधि से बाहर नहीं निकल सकते। और इसकी पूर्व पृष्ठभूमि तैयार करने के लिए ही वे जनता दल यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर आरसीपी सिंहा को अपना उत्तराधिकारी बनाया था। आश्चर्य है कि ललन सिंह जी जैसे तेज-तर्रार नेता भी नीतीश कुमार जी से गच्चा खा गए।
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जिस समानुपाती भागीदारी के सवाल पर पहली बार मंत्रीमंडल के गठन में जदयू ने शामिल होने से इनकार कर दिया था, आज मुख्यमंत्री पद पर बने रहने और अपने स्वजातीय को मंत्रीमंडल में शामिल करने के लिए नीतीश जी ने अपने को पूर्ण रूप से भाजपा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है।
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राजद प्रवक्ता ने कहा कि जदयू द्वारा किसी अति पिछड़ी को मंत्रीमंडल में भागीदारी न देकर अति पिछड़ों के प्रति उसके नजरिए को भी स्पष्ट कर दिया है। नीतीश जी चाहे जितनी सफाई दें , वास्तविकता यही है कि वे अपनी जातीय संकीर्णता से बाहर सोच भी नहीं सकते।