वैशाली,समस्तीपुर,मुजफ्फरपुर और मोतिहारी में सफलता पूर्वक समपन्न हुई शंखनाद यात्रा। पटना, संवाददाता। कायस्थों की विश्वस्तरीय संस्था ग्लोवल कायस्थ कॉंफ्रेंस (जीकेसी) शंखनाद यात्रा की अपनी श्रृंखला शुरु कर चुकी है। इस क्रम में वैशाली,समस्तीपुर,मुजफ्फरपुर और मोतिहारी तक में यह यात्रा सफलतापूर्वक संपन्न भी हो चुकी है। अब मंगलवार को यह यात्रा गोपालगंज और छपरा पहुंचेगी, जहां कायस्थ एकता की शंखनाद होगा। वैशाली,समस्तीपुर,मुजफ्फरपुर और मोतिहारी की शंखनाद यात्रा से पूरा-पूरा जीकेसी उत्साहित है।
गौरतलब है कि यह शंखनाद यात्रा संस्था के दिल्ली चलो अभियान-उम्मीदों का कारवां का हिस्सा है। यह यात्रा बिहार के सभी जिलों में और देश के सभी प्रदेशों में कायस्थ एकता को लेकर शंखनाद करेगी। देशभर के कायस्थों को एकजुट करना और दिल्ली में अपनी ताकत दिखाने के लिए एकत्रित करना इस यात्रा का मकसद है। खासबात यह है कि देश और विदेश से 18-19 दिसम्बर 2021 को दिल्ली के तालकटोरा स्टैडियम में कायस्थ महासम्मेलन के बहाने अपनी ताकत दिखाने वाले हैं।
Read also- दिल्ली चलो अभियन : वैशाली से ग्लोबल कायस्थ कॉन्फेंस की शंखनाद यात्रा शुरु
इस शंखनाद यात्रा में जीकेसी के ग्लोवल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद, प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन, बिहार प्रदेश अध्यक्ष और पर्यावरण लेड़ी डा. नम्रता आनंद सहित प्रदेश के कुछ पदाधिकारी शामिल होते हैं। अपने संबोधन में कायस्थ एकता, कायस्थों की राजनीतिक उपेक्षा, राजनीतिक भागीदारी, आदि पर विस्तार से चर्चा की जाती है और हर जिले के लोगों से विचार- विमर्श किया जाता है।
जीकेसी के ग्लोवल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद कहते हैं कि इससे पहले कायस्थों की ऐसी एकता कभी नहीं दिखी थी। इसबार यह एकता जब दिल्ली में दिखेगी तो लोगों को कायस्थ ताकत का एहसास होगा। वो भरोसा जताते हैं कि दिल्ली का कायस्थ महासम्मेलन कायस्थों की दशा और दिशा निर्धारित करने में जरूर सफल होगा।
प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन कहती हैं कि यह महासम्मेलन सिर्फ ताकत दिखाने के लिए ही नहीं है बल्कि राजनीति में अपना हक लेने के लिए भी है। कायस्थों को अब किसी भी तरह की उपेक्षा बरदास्त नहीं है, वो एकबार फिर से जाग गए हैं, अगर कोई उन्हें अपना हक नहीं देता है तो वो अपना हक छिनेंगे भी।
watch it also –Your AURA Changes COLOR When You’re In LOVE || Your Aura When You’re In Love
बिहार प्रदेश अध्यक्ष डा.नम्रता आनंद इस बावत कहती हैं कि इस महा सम्मेलन में हम कायस्थों की दशा और भविष्य की दिशा पर विचार करेंगें। सिर्फ राजनीतिक ही नहीं आर्थिक और सामाजिक उपस्थिति को भी मजबूत करने पर विचार करेंगे।