पटना, मुकेश महान। आदि शक्ति प्रेमनाथ खन्ना नाट्य महोत्सव 2022 के पहले दिन नाट्य संस्था रंग गुरुकुल द्वारा हिन्दी नाटक जुर्म का मंचन कालिदास रंगालाय के शकुंतला प्रेक्षागृह में किया गया। यह नाटक ममता मेहरोत्रा लिखित कहानी का नाट्य रूपांतरण है। ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने नाट्य रूपांतरण किया है जबकि निर्देशन गुंजन कुमार द्वारा किया गया हैं।
इस कहानी में दिखाया गया है कि अपनी व्यथा कहकर मन का बोझ को कम करने की परंपरा बहुत पुरानी रही है। कर श्वर के सामने अपने गुनाह कबूलई को अपने अपराध बोध से मुक्त करने की मान्यता भी प्राचीन है।
नाटक का कथानक इसी परंपरा के इर्द गिर्द घुमता है। नाटक का नायक जॉन अपने सीने में अपराधबोध का दर्द का समेटे चर्च के मुख्य पादरी के पास पहुंचता है तब पादरी उसे अपनी बातों और अपने तर्कों से उसे अपराध बोध से मुक्त करते हैं।
यह नाटक रोमांचक और दर्शनीय इसलिए भी बन जाता है कि कहानी विवाहेत्तर संबंध की विद्रुपताओं को बहुत ही बारिकियों से न केवल उकेरता है बल्कि उस पर करारा चोट भी करता है। साथ ही विवाहेत्तर संबंध से उतपन्न सामाजिक जटिलताओं के द्वंद्व को भी दर्शाता है।
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नाटक में जहां लेखिका ममता मेहरोत्रा सामाजिक कुरितियों पर अपनी लेखनी से प्रहार करती हुई दिखती हैं वहीं के रुपांतरण करने वाले ब्रह्मानन्द पाण्डेय की कोशिश रही कि इन प्रहारों को प्रभावपूर्ण तरीकों से मंच पर प्रस्थापित किया जाए। निर्देशक राजवीर गुंजन पहले भी इस नाटक का मंचन कर चुके हैं। इस लिहाजन प्रस्तुति में परिपक्वता दिखना स्वाभाविक रूप से दिखता है। मंच पर भी जॉन के रूप में वो दर्शकों को प्रभावित करने में सफल रहे हैं। फादरके रूप में अनुपम कुमार सिन्हा,पूजा सिंह,अविनाश कुमार,यूरेका किम ने भी अपनी अभिनय प्रतिभा को स्थापित करने की कोशिश की है।
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मंच से परे राजीव राय प्रकाश व्यवस्था देख रहे थे। संगीत अभिषेक बिहारी का था। जबकि मेकप मनोज मयंक एवं अंजू सिन्हा का था। सेट की डिजायनिंग सुनिल कुमार ने की थी जबकि अनामिका मीडिया प्रभारी के रूप में प्रचार प्रसार देख रही थीं ।