- प्रकृति की पूजा है पर्यावरण संरक्षण : प्रो.केपी सिंह
पटना,संवाददाता।”बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, केंद्रीय विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय सेवा एनएसएस के कार्यक्रम समन्वयक और युवा पुरस्कार विजेता Dr. Bala Lakhendra ने कहा है कि मनुष्य पूरी तरह से पर्यावरण पर निर्भर है। पर्यावरण में थोड़ी सी भिन्नता या बदलाव उसके जीवन को तेजी से प्रभावित करते हैं। आज पूरी दुनिया पर्यावरण की समस्या से जूझ रही है, ऐसे में पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें प्राचीन भारतीय संस्कृति के विभिन्न उपादनों की शरण लेनी ही होगी।
Bala Lakhendra ने कहा कि भारतीय संस्कृति में मनुष्य-वृक्ष का रिश्ता पिता-पुत्र से भी गहरा है। Bala Lakhendra ने कहा कि मत्स्य पुराण में इसकी चर्चा है कि-“एक बावड़ी दस कुओं के बराबर होती है, एक तालाब दस बावड़ी के बराबर होता है। एक पुत्र दस तालाबों के बराबर होता है तथा एक वृक्ष दस पुत्रों के बराबर होता है।
Bala Lakhendra ने युवाओं का पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सुंदरलाल बहुगुणा, जल पुरुष राजेंद्र सिंह और माजुली, असम के जादव मोलई पाएँग आदि महापुरुषों के बताये मार्ग पर चलने का आह्वान किया।
वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय,आरा और बीआर अंबेडकर बिहार विवि मुजफ्फरपुर के पूर्व कुलपति प्रो (डॉ) के पी सिंह ने कहा कि विकास की अंधी दौड़ में हम प्रकृति के प्रति मान-सम्मान और आदर भूलते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति की पूजा है पर्यावरण संरक्षण।
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नालंदा कॉलेज एवं जेडी वीमेंस कॉलेज की प्राचार्य प्रो (डा) श्यामा राय ने अधिक से अधिक पौधारोपण के लिए छात्र और शिक्षकों से अपील की कि वो हर अवसर पर प्रियजनों को उपहार में पौधे ही दें। उन्होंने कहा कि कॉलेज की डेढ़ सौवीं सालगिरह समारोह के दौरान वर्षा काल में कॉलेज परिसर में 150 पौधे लगाए जाएंगे।
बीएड विभागाध्यक्ष एवं पटना विश्वविद्यालय शिक्षा संकाय सदस्य डॉ ध्रुव कुमार ने कहा कि स्कूल और कॉलेज दोनों लेवल पर पारिस्थितिकी विज्ञान की पढ़ाई को अविलंब शुरू करने और इसे अनिवार्य बनाने की आवश्यकता है।
पटना ट्रेनिंग कॉलेज के प्राचार्य प्रो आशुतोष कुमार ने कहा कि कोविड कोरोना काल में कई पौधे लोगों को निरोग रखने में काफी कारगर साबित हुए।
पटना ट्रेनिंग कॉलेज पूर्ववर्ती छात्र संघ के अध्यक्ष डॉ कुमार संजीव ने कहा कि भारतीय संस्कृति में वटवृक्ष, पीपल, नीम, आंवला, बेल, अशोक, तुलसी आदि भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग रहे हैं।
नालंदा कॉलेज दर्शनशास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ प्रभास कुमार ने कहा सत्यम, शिवम, सुंदरम और भोजन, वस्त्र, आवास के सार्थक संतुलन से ही पर्यावरण संरक्षण संभव है।
विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग, झारखंड के एमएड विभागाध्यक्ष प्रोसेसर यूनुस तनवीर ने कहा कि प्रकृति से मानव का अटूट रिश्ता है और इस रिश्ते को हर हाल में बनाए रखना है, हम तभी सुरक्षित रह पाएंगे।
वेबीनार में तुर्की टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज के एमएड विभागाध्यक्ष डॉ मनोज कुमार वर्मा, एलएस कॉलेज भगवानपुर बिहार विश्वविद्यालय के डॉ गौतम झा, भागलपुर के डॉ जयशंकर प्रसाद, इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ रत्नेश कुमार अमन, डॉ चंद्रिका प्रसाद, राजनीति शास्त्र विभाग के डा विनीत लाल, बीएड विभाग के डा रंजन कुमार, डॉ राजेश कुमार, अपर्णा कुमारी, कृति स्वराज, उषा कुमारी, पिंकी कुमारी, संगीता कुमारी, इशिता, पुरूषोत्तम कुमार सहित अनेक शिक्षकों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। धन्यवाद ज्ञापन सहायक प्राध्यापक प्रशान्त शर्मा ने किया।