विश्व पर्यावरण दिवस पर यूनिसेफ एवं नेहरु युवा केंद्र संगठन द्वारा एक दिवसीय सेमिनार सह जागरूकता कार्यक्रम का हुआ आयोजन। यूनिसेफ बिहार की राज्य प्रमुख नफ़ीसा बिन्ते शफ़ीक़ ने युवा आबादी को ‘फ्यूचर क्लाइमेट वॉरियर’ की संज्ञा दी।
पटना,संवाददाता। बोले तेज प्रताप – साइकिल चलाएं पर्यावरण बचाएं । 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर नेहरु युवा केंद्र संगठन एवं यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में जलवायु परिवर्तन विषय पर एक दिवसीय सेमिनार सह जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। चन्द्रगुप्त प्रबंधन संस्थान के सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में 38 जिलों से आए लगभग 500 युवाओं ने भाग लिया। बतौर मुख्य अतिथि बिहार के वन एवं पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप यादव ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस मौके पर वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव अरविंद चौधरी, यूनिसेफ बिहार की राज्य प्रमुख नफ़ीसा बिन्ते शफीक, नेहरु युवा केंद्र संगठन के राज्य निदेशक अंशुमन प्रसाद दास एवं यूनिसेफ बिहार के वरिष्ठ सलाहकार आरके महाजन उपस्थित रहे।
वन एवं पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप यादव ने अपने संबोधन में कहा कि पर्यावरण संरक्षण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसपर हम सबको मिलकर काम करने की आवश्यकता है। पर्यावरण दिवस के अलावा हमें अन्य अवसरों पर भी अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए। उन्होंने अतिथियों को फूल-माला की बज़ाए उपहार स्वरूप पौधे देने पर ज़ोर दिया। राज्य भर से आए युवा प्रतिभागियों का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के गंभीर खतरों से निपटने के लिए सभी ज़रूरी स्वस्थ आदतों को अपनाना चाहिए। मसलन साइकिल चालन को अपना कर न सिर्फ़ युवा स्वास्थ्य रहेंगे बल्कि वे पर्यावरण के संरक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं। मतलब साइकिल चलाएं पर्यावरण बचाएं । इसे बढ़ावा देने के लिए उन्होंने सरकार की तरफ़ से अधिक से अधिक साइकिल ट्रैक के निर्माण करवाने हेतु अपील करने का आश्वासन दिया।
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यूनिसेफ बिहार की राज्य प्रमुख नफ़ीसा बिन्ते शफ़ीक़ ने कहा कि वैसे तो जलवायु परिवर्तन से हम सभी प्रभावित होते हैं, लेकिन बच्चों एवं किशोर-किशोरियों पर इसका सबसे ज़्यादा दुष्प्रभाव पड़ता है। बिहार एक युवा राज्य है जिसकी 46 फ़ीसदी आबादी 18 साल से कम की है। इस युवा आबादी को ‘फ्यूचर क्लाइमेट वॉरियर’ की संज्ञा देते हुए उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण में इन बच्चों और युवाओं की भूमिका बेहद अहम है। उन्होंने बिहार में प्रतिवर्ष बाढ़, सुखाड़ और लू जैसी गंभीर समस्याओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि इनसे निबटने के लिए राज्य सरकार द्वारा चलाया जा रहा जल जीवन हरियाली मिशन एक महत्वपूर्ण कदम है। मिशन लाइफ (लाइफ स्टाइल फॉर एनवायरनमेंट) के ज़रिए भी सामुदायिक सहभागिता सुनिश्चित कर जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान को कम किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय एवं नेहरु युवा केंद्र संगठन के साथ मिलकर बिहार में जल जीवन हरियाली मिशन और मिशन लाइफ को और अधिक बढ़ावा देने और सशक्त बनाने हेतु यूनिसेफ प्रतिबद्ध है।
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प्रधान सचिव अरविंद चौधरी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस बार विश्व पर्यावरण दिवस के लिए ‘प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्ति’ (Beat Plastic Pollution) थीम घोषित किया गया है, जो प्लास्टिक कचरे के सुरक्षित निपटारे के समाधान खोजने पर जोर देता है। उन्होंने आगे कहा कि संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के साथ राज्य सरकार द्वारा एक करार किया गया है, जिसके तहत नेट जीरो कार्बन एमिशन एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है। ‘बैगलेस शनिवार’ के तहत स्कूलों में जिन अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा होती है, उनमें पर्यावरण भी एक महत्वपूर्ण विषय है। इसके ज़रिए हमारी भावी पीढ़ी का जलवायु परिवर्तन के खतरों व पर्यावरण संरक्षण के बारे में समुचित ज्ञानवर्धन हो रहा है।
नेहरु युवा केंद्र संगठन के राज्य निदेशक अंशुमन प्रसाद दास ने कहा कि नाटक, नृत्य, संगीत इत्यादि सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से हम राज्य भर में युवाओं को पर्यावरण संरक्षण के बारे में जागरूक कर रहे है। डोर टू डोर अभियान के माध्यम से हम समुदाय के सभी वर्गों तक पहुंचे का प्रयास कर रहे हैं।पटना विश्वविद्यालय के भूगर्भ शास्त्र विभाग के प्रोफेसर अतुल आदित्य पांडेय ने ‘जलवायु परिवर्तन जनित चुनौतियाँ एवं युवाओं की भूमिका’ पर एक सारगर्भित प्रस्तुति दी।तकनीकी सत्र के तहत ‘जलवायु परिवर्तन जनित चुनौतियाँ एवं युवाओं की सहभागिता’ विषय पर विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा विस्तार से चर्चा की गई।
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पर्यावरण के बारे में अपने-अपने क्षेत्र में जागरूकता फैलाने, अपने ज़िले में वृक्षारोपण एवं पेड़-पौधों की देखभाल करने, शौचालय बनाने की प्रेरणा देने जैसे कार्यों के लिए कई युवाओं को पुरस्कृत भी किया गया। नेहरु युवा केंद्र संगठन के युवा प्रतिभागियों ने गायन, नृत्य और नुक्कड़ नाटकों जैसी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।