पटना,जितेन्द्र कुमार सिन्हा। Arwal Sadar Hospital और प्रशासन की लापरवाही पर एक पत्रकार द्वारा साक्ष्य प्रस्तुत करते ही सरकार ने त्वरित कार्रवाई की और संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जांच के साथ आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया।
घटना कुछ इस तरह की है। प्रधानमंत्री के दिशा निर्देश पर बिहार सरकार 11-14 अप्रैल तक टीकाकरण का विशेष अभियान चला रही है। लेकिन इस विशेष अभियान के पहले ही दिन 11 अप्रैल को सदर अस्पताल, अरवल ने एक अजीब तरह की खबर आई है। इस खबर से सरकार की मंशा पर सवाल भी खड़ा होता दिख रहा है।जानकारी के अनुसार रफ्तार टाइम न्यूज के ब्यूरो चीफ मोहन कुमार ने अरबल(Arwal Sadar Hospital) से जानकारी दी कि कोरोना जांच के मामले में Arwal Sadar Hospital की लापरवाही चरम पर है। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा तैयारी को लेकर सच्चाई तब सामने आ गई जब वो खुद परिवार के साथ Arwal Sadar Hospital इलाज कराने पहुंचे। लापरवाही का आलम यह था कि पहले ही दिन, दिन के दूसरे सत्र में वहां कोरोना जांच बंद पाई गई।
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नगर परिषद क्षेत्र अरवल वार्ड नंबर 12 मोथा की रहने वाली महिला रिंकी कुमारी बुखार से पीड़ित होने के कारण सदर अस्पताल अरवल में अपनी कोरोना आदि जांच के लिए अपने पति मोहन कुमार के साथ पहुंची। मोहन कुमार पत्रकार संगठन आईएफडब्ल्यूजे के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और वे भी बुखार से ग्रसित थे। सदर अस्पताल, अरवल में ओपीडी वाह्य चिकित्सा पद्धति में इलाज से पहले कोरोना जांच की प्राथमिकता है, परन्तु लगभग आधे घंटे सदर अस्पताल, अरवल के हर कमरे एवं उपस्थित कर्मचारी सुरक्षा गार्ड से कोरोना जांच हेतु जानकारी प्राप्त करने के लिए पत्रकार मोहन कुमार एवं उनकी पत्नी रिंकी कुमारी भटकती रही।
अस्पताल में उपस्थित कर्मचारी, एक कमरे में उपस्थित एक अधिकारी और अस्पताल के सुरक्षा गार्ड द्वारा बताया गया कि रविवार को कोरोना जांच नहीं होती है। राज्य सरकार द्वारा प्रधानमंत्री के दिशा निर्देश के आलोक में 11-14 अप्रैल तक चलाई जा रही विशेष अभियान के बारे में जब जानकारी मांगी तो इस सम्बन्ध में जानकारी देने से कर्मचारी, अधिकारी और सुरक्षा गार्ड बचने का प्रयास करते हुए पत्रकार के कैमरे से बचते नजर आए।
बुखार से पीड़ित रिंकी कुमारी ने ओपीडी में पर्चा बनाकर मौजूद चिकित्सक से अपनी जांच करवाई और उनके द्वारा दवा लेने की सलाह दी गई। साथ ही उनके द्वारा समय-समय पर कोरोना जांच की भी सलाह दी गई। लेकिन अस्पताल प्रशासन द्वारा कोरोना से सम्बंधित कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिसके कारण विशेष अभियान को पहले ही दिन धत्ता दिखाकर बिहार सरकार की छबि को खराब किया गया है।
खास बात ये है कि इन तमाम चीजों को लेकर वीडियो साक्ष्य साथ वायरल किया गया था और मीडिया में खबर भी छपी थी। लेकिन अच्छी बात ये है कि सरकार ने इसे संज्ञान में लिया और त्वरित कार्रवाई हुई। जांच के आदेश भी जारी कर दिए गए।