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बिहार

विश्व भर में समृद्ध संस्कृति और परम्परा भारत की विशिष्ट पहचान : राजीव रंजन प्रसाद


पटना, संवाददाता। जीकेसी की एक बैठक में राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि दिल्ली में आयोजित होने वाले कायस्थ महसम्मेलन में कायस्थ कलाकारों का जलवा दिखेगा । ग्लोवल कायस्थ कांफ्रेंस (जीकेसी) के सौजन्य से 18-19 दिसंबर को राष्ट्रीय राजधानी नयी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में होने वाले विश्व कायस्थ महासम्मेलन ‘उम्‍मीदों का कारवां’ कार्यक्रम को लेकर समीक्षात्मक बैठक पटना में संपन्न हुई। जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद की अध्यक्षता में विश्व कायस्थ महासम्मेलन ‘उम्‍मीदों का कारवां’ कार्यक्रम में कला-संस्कृति प्रकोष्ठ की तैयारी पर विस्तार से चर्चा की गयी। साथ ही बिहार की भागीदारी और कार्यक्रम को सफल बनाने को लेकर विचार-विमर्श किया गया।

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इस अवसर पर जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि विश्व कायस्थ महासम्मेलन की तैयारी के लिए रोडमैप तैयार है और सभी राज्यों को विशेष रुप से तैयारी करने का निर्देश दिया गया है। भारत देश की कला और संस्कृति अन्य सभी देशों से भिन्न और अनूठी पहचान लिये हुए है। उन्होंने कहा कि विश्व में समृद्ध संस्कृति और परम्पराओं के लिए भारत की अपनी विशिष्ट पहचान है। हम सभी भारतवासी अपने देश की सम्पन्न प्राचीन संस्कृति और इतिहास पर गौरवान्वित महसूस करते हैं। भारतीय संस्कृति दुनिया में अद्वितीय है और भारत की अतुल्य सांस्कृतिक पहचान की हृदय स्थली बिहार है।

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जीकेसी कला संस्कृति प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय सचिव एवं उम्मीदों का कारंवा समिती प्रमुख श्वेता सुमन ने बताया कि इस कार्यक्रम में जीकेसी परिवार समय-सीमा के अंदर,ज्यादा से ज्यादा कलाकार अपना प्रदर्शन देंगे। कार्यक्रम में सामाजिक उत्थान के लिए संकल्पित गंभीर विषयों की अभिव्यक्ति पेश की जायेगी,जिसका उद्देश्य कला संस्कृति के माध्यम से सामाजिक चेतना के लिए एक प्रयास होगा।
उन्होंने बताया कि 18 दिसंबर को होने वाले गाला नाईट में सांस्कृतिक समा बंधेगा,गीत, ग़ज़ल, नृत्य ,वादन सभी विधाओं का प्रदर्शन होगा। इस कार्यक्रम में भी देशभर के कलाकार शिरकत करेंगे जिसके लिये देशभर में तैयारियां चल रही है।

मौके पर जीकेसी की प्रदेश अध्यक्ष डा.नम्रता आनंद ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की पहचान के पहलूओं में उसकी संस्कृति भी महत्वपूर्ण होती है। हमारे देश की असली पहचान उसकी विविध कला-संस्कृति से है। जीकेसी का कला-संस्कृति प्रकोष्ठ कला और संस्कृति के संरक्षण तथा विकास में अहम भूमिका निभाता रहा है। भारत कला संस्कृति सभ्यता एवं परंपरा का वाहक है और बिहार इसका घोतक है। उम्मीदों का कारंवा में बिहार की संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। 

इस अवसर पर कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संरक्षक विनय कुमार सिन्हा, राष्ट्रीय संयोजक दीप श्रेष्ठ, कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रेम कुमार,राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाषिणी स्वरूप, कुमार संभव, राष्ट्रीय सचिव अनुराग समरूप, राष्ट्रीय सचिव श्रीमती शिवानी गौड़, संपन्नता वरूण, निहारिका कृष्णा अखौरी, दिवाकर कुमार वर्मा, श्रेया भारती, प्रवीण बादल, सुबोध नंदन सिन्हा, यतीश सिन्हा, और आयुष सिन्हा ने भी अपने विचार व्यक्त किये।