Sanrachna 2020
बिहार

कमल चोपड़ा संपादित लघुकथा वार्षिक पत्रिका ” संरचना-2020 ” का लोकार्पण

Sanrachna 2020 : राष्ट्रव्यापी लघुकथा आंदोलन के प्रणेता थे सतीशराज पुष्करणा : प्रो. शिवनारायण

लघुकथा के पर्याय हैं डॉ सतीश राज पुष्करणा : अवधेश प्रीत

मैथिली कथाकार हरिमोहन झा की सलाह पर लघुकथा में हुए थे समर्पित : डॉ ध्रुव    

Sanrachna 2020 75वीं जयंती पर उनकी स्मृति में ” कारवाँ बढ़ता रहे ” आयोजित

पटना . ” डॉ सतीशराज पुष्करणा न सिर्फ हिन्दी लघुकथा को विधागत मान्यता दिलाने के राष्ट्रव्यापी लघुकथा आंदोलन के प्रणेता रहे, बल्कि आधुनिक लघुकथा के प्रतिष्ठापक भी रहे। उन्होंने संपूर्ण जीवन लघुकथा की समृद्धि के कार्य किया . ” अखिल भारतीय प्रगतिशील लघुकथा मंच के तत्वावधान में सतीशराज पुष्करणा की 75वीं जयंती के अवसर पर आयोजित विशेष कार्यक्रम ” कारवां बढ़ता रहे ” का उद्घाटन करते हुए प्रसिद्ध साहित्यकार और नई धारा के संपादक प्रो. शिवनारायण ने यह बातें कहीं .

उन्होंने कहा कि अहिंदीभाषी होते हुए भी उन्होंने हिंदी की लगभग सभी विधाओं में, विशेषकर लघुकथा में उन्होंने 90 से अधिक पुस्तकों की रचना कर एक कीर्तिमान स्थापित किया . कथाकार उपन्यासकार अवधेश प्रीत ने कहा कि पिछले 5 दशकों में सतीशराज पुष्करणा और लघुकथा दोनों एक दूसरे के पर्याय बन गये . उनका आवास रचनाकारों के लिए साहित्यिक अड्डा हुआ करता था .

जे पी विश्वविद्यालय, छपरा की स्नातकोत्तर हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. अनीता राकेश ने कहा कि उनका जन्म 5अक्तूबर, 1946 को पाकिस्तान के लाहौर में हुआ था और वे पटना में 55 वर्षों से अधिक समय रह कर साहित्य की सेवा की . उनकी कर्मभूमि पटना सहित पूरे बिहार को उन पर गर्व है.

अध्यक्षता करते हुए अखिल भारतीय प्रगतिशील लघुकथा मंच के महासचिव डॉ ध्रुव कुमार ने कहा के शुरुआती दिनों में वे, गीत, गजल, कविता, कहानी, हाइकु, ताका आदि लिखा करते थे और बाद में महेंद्रू स्थित अपने पड़ोसी मैथिली के मशहूर कथाकार प्रो. हरिमोहन झा की सलाह पर लघुकथा में अपने आपको केंद्रित किया I 55 वर्षों तक पटना में रहने के बाद गत वर्ष 15 अक्टूबर को पटना छोड़ते वक्त वे रो पड़े थे . तीन माह पूर्व 28 जून को दिल्ली में कैंसर से लड़ते हुए सदा के लिए अपनी आँखें मूँद लीं. मौके पर डॉ कमल चोपड़ा द्वारा संपादित लघुकथा की वार्षिक पत्रिका ” संरचना-2020 ” का लोकार्पण किया गया . संगोष्ठी में लघुकथाकार चितरंजन भारती, वीरेंद्र भारद्वाज, प्रभात कुमार धवन, अनिल रश्मि ने भी लघुकथा के क्षेत्र में उनके विस्तृत योगदान की चर्चा की .

Xpose Now Desk
मुकेश महान-Msc botany, Diploma in Dramatics with Gold Medal,1987 से पत्रकारिता। DD-2 , हमार टीवी,साधना न्यूज बिहार-झारखंड के लिए प्रोग्राम डाइरेक्टर,ETV बिहार के कार्यक्रम सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार के लिए स्क्रिपट हेड,देशलाइव चैनल के लिए प्रोगामिंग हेड, सहित कई पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों में विभिन्न पदों पर कार्य का अनुभव। कई डॉक्यूमेंट्री के निर्माण, निर्देशन और लेखन का अनुभव। विविध विषयों पर सैकड़ों लेख /आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कला और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित। संपर्क-9097342912.