कवि सम्मेलन में बहती रही गीत-गजलों की रसधार । श्री नवयुवक समिति के सभागार में नटवर साहित्य परिषद के द्वारा रविवार को मासिक कवि सम्मेलन सह
बिहार

नटवर साहित्य परिषद के कवि सम्मेलन में बहती रही गीत-गजलों की रसधार

मुजफ्फरपुर,संवाददाता। कवि सम्मेलन में बहती रही गीत-गजलों की रसधार । श्री नवयुवक समिति के सभागार में नटवर साहित्य परिषद के द्वारा रविवार को मासिक कवि सम्मेलन सह मुशायरा का आयोजन किया गया।कवि सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर रामउचित पासवान, मंच संचालन वरिष्ठ कवि-गीतकार डॉ विजय शंकर मिश्र, स्वागत भाषण नटवर साहित्य परिषद के संयोजक डॉ नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी व धन्यवाद ज्ञापन डॉ लोकनाथ मिश्र ने किया।

कार्यक्रम के शुरु में ही गीत-गजलों की रसधार बहने लगी। कवि सम्मेलन की शुरुआत उत्तर छायावाद के वरिष्ठ कवि आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री के गीत से किया गया। उसके बाद वरिष्ठ कवि – गीतकार डॉ विजय शंकर मिश्र ने कविता – ‘प्रतिकूल हवा से टकराना कोई खेल नहीं’ सुनाकर भरपूर तालियां बटोरी।वरिष्ठ शायर व कवि डॉ नर्मदेश्वर मुज़फ़्फ़रपुरी ने ग़ज़ल-जमाने को अपनी खबर लग गई है, मुहब्बत पे सबकी नज़र लग गई है’ सुनाकर भरपूर तालियां बटोरी। वरिष्ठ कवि डॉ लोकनाथ मिश्र ने – उड़ता – उड़ता वह सूखा पत्ता चलती बस में आ पहुंचा मेरी गोद में’ सुनाई। वरिष्ठ शायर रामउचित पासवान ने – लगता नहीं कहीं है दिल शयदा तेरे बग़ैर, बेनूर हूँ बेनूर हूँ, शयदा तेरे बग़ैर’ सुनाकर लोगों को भाव विभोर किया।

वरिष्ठ शायर डॉ सिबगतुल्लाह हमीदी ने – पैर मां का दबा गया कोई, अपनी जन्नत लिखा गया कोई’ सुनाकर मां के प्रति अपने भाव प्रकट किये। कवयित्री सविता राज ने कविता-संरक्षित हो पर्यावरण, सुरक्षित रहे धरणी, कलुषित न हो तरनी, हो वृक्षारोपण, रहे हरियाली’ सुनाकर पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने की कोशिश की। वरिष्ठ कवि अशोक भारती ने एक कहानी रह गयी उस नौजवान की, छोड़कर एक निशानी भारत के शान की’ सुनाई। वरिष्ठ कवि डॉ जगदीश शर्मा ने – चल रही गरम हवाओं के झोंकों का मुख मोड़ दो, हवा जो बहकर आज आ रही, उन्हीं के हवाले छोड़ दो’ सुनाकर लोगों का मनोरंजन किया।

युवा कवि सुमन कुमार मिश्र ने-‘बिस्तर पर बीमार खाँसती मां मेरे हिस्से में आई’ सुनाकर मां के प्रति बेटे की जिम्मेदारियों को उकरने की कोशिश की है। वरिष्ठ कवि रामबृक्ष राम चकपुरी ने – ‘हीरा घर में रखकर, बाहर पत्थर चुनने निकला’ , वरिष्ठ कवयित्री प्रो.डाॅ पुष्पा गुप्ता ने- बोलो गंगा की जय, गंगा मैया की जय, विष्णु के नख से निकली शिव की जटा समायी’ सुनाई। वरिष्ठ कवि शशि रंजन वर्मा ने बज्जिका गीत-‘आऊं-आऊं हे सखी तनिका हमरो घर इजोर करूं ‘ सुनाकर लोक भाषा को गरिमा देने की कोशिश की। वरिष्ठ भोजपुरी कवि सत्येन्द्र कुमार सत्येन ने भोजपुरी में गीत-‘ नदियां के पार ही उतार हो मलहा भइया, पार उतरनी रहब सोनमा के हार हो मलहा भइया ‘ सुनाकर तालियां बटोरी । वरिष्ठ कवि विजय शंकर प्रसाद ने – ‘ किस आत्मा पर करूं बात, किस महात्मा को करूं आत्मसात’ सुनाकर व्यंग्य प्रस्तुत करने की कोशिश की। वरिष्ठ कवि दीन बंधु आजाद ने – बेहतर से बेहतर की तलाश करो, मिल जाए नदी तो समन्दर की तलाश करो’ सुनाकर तालियां बटोरी।

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कवि ओम प्रकाश गुप्ता ने-‘कहीं और बनाये चलो, दूर आशियां’सुनाई तो वरिष्ठ कवि अरुण कुमार तुलसी ने-‘है जगत की रीत निराली, समरथ को सब देते ताली ‘सुनाई। वरिष्ठ कवि मोहन कुमार सिंह ने-‘माँ बिन जगत की कल्पना अधूरी है, माँ है तो सब मनोकामना पूरी है’ सुनाकर मां कीमहिमा से लोगों को परिचित कराने की कोशिश की । वरिष्ठ कवि अंजनी कुमार पाठक ने – ‘ याद आती है पुरानी बातें, ये खामोशी ये तन्हाई है डरावनी रातें ‘ सुनाकर तालियां बटोरी । इसके अलावा सुनील ओझा, रिद्धि मोहन, संतोष कुमार सिंह की रचना भी सराही गयी।