एनआईटी (गांधी घाट) पर  अचानक शोर होता है- मारो मारो पागल है। आम जनता में से कुछ लोग अचानक शोर सुनकर भागते हैं तो कुछ लोग उस भीड़ में शामिल...
बिहार

नुक्कड नाटक : गांधी घाट पर अचानक हुआ शोर – मारो मारो पागल है

पटना,संवाददाता। एनआईटी ( गांधी घाट ) पर  अचानक शोर होता है- मारो मारो पागल है। आम जनता में से कुछ लोग अचानक शोर सुनकर भागते हैं तो कुछ लोग उस भीड़ में शामिल हो जाते हैं। एक स्थान पर भीड़ खत्म हो जाती है। फिर नाटक शुरू होता है यह नज़ारा एचएमटी पटना के बैनर तले दिनेश साहू लिखित एवं सुरेश कुमार हज्जू द्वारा निर्देशित नाटक मारो मारो पागल है का है।  

 यह दृश्य देख कर आम जनता ने तालियों से स्वागत किया और बोल उठा अरे यार यह नाटक का एक दृश्य था भाई। कथावस्तु मारो मारो पागल है।लेकिन किसे?क्या उस व्यक्ति को जो इंसानियत पर हो रहे अत्याचारों का खुलासा करता है? पुलिस की बर्बरता को उजगरकर्ता है? सामाजिक कुरीतियों पर कुठाराघात करता? डॉक्टर्स के अमानवीय कृत्यों को जनता के सामने लाता है? गरीबी से त्रस्त,बेरोजगारी से ग्रसित आम नागरिकों की दीनता पर प्रशासनिक  कुठाराघात का पर्दाफाश करता है? या देश के कर्णधार बने नेताओ की असलियत को बयान करता है।

 यदि ऐसा व्यक्ति ही पागल है तो  देश की एक आबादी को शर्मसार होकर यह सोचना पड़ेगा, की पागलों की इस सूची में, कहीं उनका नाम भी अंकित तो नहीं है। शायद इस नाटक में यही मेरी अंतरात्मा की आवाज है फिर उसका अगला दृश्य शुरू होता है। दरोगा एक दबंग आदमी को पकड़ता है, उससे मार पीट करने की कोशिश करता ही है कि दबंग आदमी कहता है कि हम जग्गा जी ( नेता जी ) के आदमी हैं यह सुनकर उसे छोड़ दिया जाता। एक आदमी जिसका भाई कैंसर से पीड़ित है वो दवा खोज जा रहा था उसे दारोगा पकड़ लेता है, उससे भी उलझ जाता है और अंत में इनकाउंटर कर मार दिया जाता है।

पागल आता है प्रशासन कि पोल खोलता है। नेता जी आते हैं और जनता को संबोधित करते हैं तभी पागल आता है, उनका भी पोल खोलता और जनता से अपील करता है कि ऐसे लोगों को सत्ता का बागडोर क्यों दे दिया। छीन लो इससे बागडोर। सारी जनता नेता जी पर टूट पड़ती है, उसके बाद डॉक्टर साहब नेता जी फोन किडनी की बात करते रहते हैं कि एक बीमार बच्चे को एक बाप लेकर इलाज़ के लिए आता है।

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डॉक्टर इलाज शुरू करने से पहले 20-25 हजार रुपए का डिमांड करता है उस व्यक्ति के पास उतना पैसा नहीं होता है तो डॉक्टर साहब ऑपरेशन करने से इंकार कर देता है। वो व्यक्ति बहुत गिरगिराता है फिर भी डॉक्टर ऑपरेशन करने से मना कर देता है वो व्यक्ति अपना सोने का चेन,अंगूठी देता है तो डॉक्टर साहब ऑपरेशन करने के लिए तैयार होते हैं जैसे ओटी में ले जाने लगते हैं कि पागल आ जाता है और डॉक्टर साहब के सामने ही उस बच्चे के बाप से कहता कि अपने बच्चे को लेकर भाग जाओ नहीं तो तेरे बच्चे का किडनी निकाल लेगा और उसे मार देगा। भाग जाओ, भाग जाओ।

वो अपना बच्चा को लेकर भाग जाता है। डॉक्टर साहब गुस्से होते हैं और उस पागल को पकड़ने के लिए कहते हैं और उस पागल को मार देते हैं। पागल का आत्मा सभी में प्रवेश करता है और बोल उठता है कि शरीर नश्वर है……….सभी कलाकारों के अभिनय देख दर्शकों ने खूब सराहा और तालियों स्वागत किया।

 इस नुक्कड़ नाटक कलाकार थे प्रिंसराज, आर्यन चौधरी, नीतीश कुमार सोनी, आदित्य प्रताप ओझा, रोहित कुमार, राहुल कुमार, आदित्य कुमार सोनी सत्यम कुमार, ज़ाहिद मालिक, करण कुमार, शशि कुमार मुकेश कुशवाहा, नीरज कुमार विक्रम कुमार आदि।