sweeper's strike in patna
बिहार

सफाईकर्मी की हड़ताल, गंदगी में जीने को मजबूर पटनावासी


sweeper’s strike in patna: अटलपथ भी बना सॉफ़्ट टारगेट, जनता करती त्राहिमाम, महकमाबदहवास, बेकाम.

पटना, नवीन कुमार। sweeper’s strike in patna: अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर बिहार लोकल बॉडीज कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा व बिहार राज्य स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ की 7 सितंबर से अबतक जारी हड़ताल सरकार व विभागीय तनातनी के बीच उलझी हुई है। नतीजा नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है।
मोहल्लों में कचरा प्रबंधन ठप है तो वहीं आज महत्वपूर्ण अटलपथ पर भी गंदगी फैलाने से नहीं रोका जा सका पटना शहर की नारकीय स्थिति बदसे बदतर होती जा रही है।आईएमए से जुड़े डॉक्टर भी काफी चिंतित हैं।आसन्न महामारी, बीमारियों को लेकर सरकार को आगाह किया जा रहा है।

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उपर से मौसम भी खराब है, लेकिन इन हडताली कर्मचारी संघों के साथ तनातनी जारी है।दैनिक कर्मचारी संघ भी दिशाहीन सा ही है। हड़ताली कर्मचारी अस्थायी तौर पर नगर निगम में लगातार काम कर रहे हैं। हड़ताली कर्मी आफताब आलम, भीम राज तथा सुग्गी देवी ने हमारे संवाददाता को बताया कि बीते दस वर्षों से वे लोग अस्थायी रूप से निगम में काम कर रहे हैं, लेकिन आज भी
जहां थे, वहीं हैं। इसबार मांग माने जाने तक वे लोग संघर्ष करते रहेंगे। हड़ताली यह भी चाहते हैं कि फरवरी 2020 में हुए समझौते को लागू किया जाए।

दूसरी ओर मांगों के माने जाने तक पटना के लोग किसी गंभीर संक्रमण का शिकार न हों,यह भी देखते रहना शासन प्रशासन का काम है।इसबीच बदबूदार सड़ांध से भी पटनावासी त्रस्त है।पत्रकार जीवकांत कहते हैं कि सरकार के लिए तो जनता दुधारू पशु है।टैक्स के नाम पर लगातार
कचरा सफाई का अग्रिम भुगतान ले लेने के बाद अबतक किसी भी तरह की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो पाना, सरकारी अक्षमता नहीं तो और क्या है? सरकार शायद यह भी भूल गई है कि कोरोना अभी थमा है, कमा नहीं है।