जातिगत गणना के आंकड़े पर जीकेसी बिहार प्रदेश अध्यक्ष की प्रतिक्रिया।
पटना, जितेन्द्र कुमार सिन्हा। बिहार में जातिगत आंकड़े जो सामने आए हैं, उसमें कायस्थों की संख्या को कम दर्शाया गया है। ये बातें जीकेसी (ग्लोबल कायस्थ कान्फ्रेंस) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह प्रदेश अध्यक्ष दीपक अभिषेक ने कही। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के बाद राजनीतिक इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी राज्य ने अपने राज्य ने अपने जातिगत गणना के आंकड़े जारी किय़े हैं। इसके अनुसार बिहार की जनसंख्या 13 करोड़ पार कर चुकी है।
इसी गणना के आधार पर उन्होंने यह मांग भी की है कि वर्तमान गणना के आधार पर कायस्थों को बिहार में अल्पसंख्यक घोषित किया जाए और अल्पसंख्यक वाली सारी सुविधाएं अब कायस्थों को भी उपलब्ध कराई जाए।
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दीपक अभिषेक ने कहा है कि जातिगत गणना के जारी आंकड़े अपने आप में पर्याप्त और पूर्ण नहीं है। इस गणना को वास्तविक आर्थिक स्थिति से जोड़ कर देखने की आवश्यकता है। इस गणना में कायस्थों की संख्या और प्रतिशत जो दर्शाया गया है, वह वास्तविकता से परे प्रतीत होता है। साथ में तर्क दिया कि आशियाना दीघा रोड स्थित कई अपार्टमेंट, अनिसाबाद स्थित अपार्टमेंट, नागेश्वर कॉलोनी स्थित अपार्टमेंट, विश्वशरैया भवन के पीछे पुनाईचक स्थित कई मकानों में जातिगत गणना हुई ही नहीं। ऐसी स्थिति में गणना अविश्वनीय माना जा सकता है। जबकि सही अर्थों में आबादी में जो, संख्या कायस्थ समाज का दर्शाया गया है, वह गलत प्रतीत होता है।
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दीपक अभिषेक ने कहा है कि बिहार सरकार को वर्तमान समय में नौकरियों के साथ साथ अन्य जगहों पर कायस्थ जाति को अलग से आरक्षण देने और सामान्य श्रेणी से हटा कर अल्पसंख्यक घोषित करने की पहल करनी चाहिए। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया है कि कायस्थों की आबादी कम दर्शाया गया है, इसे दुरुस्त करने के लिए पुनः कायस्थों की गणना करायी जाय।
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