मुजफ्फरपुर, संवाददाता। कवि गोष्ठी में बहती रही गीत- ग़ज़लों की रसधार । मुजफ्फरपुर के स्थानीय नवयुवक समिति सभागार में रविवार को नटवर साहित्य परिषद की ओर से मासिक कवि गोष्ठी सह मुशायरा का आयोजन किया गया । कवि गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. पुष्पा गुप्ता, मंच संचालन डॉ. विजय शंकर मिश्र व धन्यवाद ज्ञापन नटवर साहित्य परिषद के संयोजक डॉ.नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी ने किया । कवि गोष्ठी की शुरुआत आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री के गीत से किया गया। इसके बाद तो गीत – ग़ज़लों की रसधार ही गोष्ठी में बहती रही। वरिष्ठ कवि व गीतकार डॉ.विजय शंकर मिश्र ने गीत ‘आग गगन से बरस रही है, प्यासी धरती बादल–बादल करे पुकार‘ सुनाकर भरपूर तालियां बटोरी। शायर डॉ.नर्मदेश्वर मुज़फ़्फ़रपुरी ने ग़ज़ल ‘ हालात हमारे भी संवर क्यूं नहीं जाते, ये ख्वाब हकीकत में उतर क्यूं नहीं जाते‘ सुनाकर भरपूर दाद बटोरी। वरिष्ठ कवयित्री डॉ पुष्पा गुप्ता ने ‘सागर सा व्यक्तित्व है जिनका मधुर बोल, जिनका अंदाज महसूसा है स्नेह सूत्र की डोर पिता‘ सुनाकर तालियां बटोरी। वरिष्ठ कवि डॉ लोकनाथ मिश्र ने ‘अट्टहास करता सन्नाटा वह शांति के देवदूत बने साहित्यकार जो ठहरे‘, वरिष्ठ भोजपुरी के कवि सत्येन्द्र कुमार सत्येन ने ‘बाबा बैद्यनाथ पूरा करिहें मनवा के आस, तोहरा गोदिया में खेलेहि बबुआ कईली विश्वास‘ सुनाकर माहौल को साहित्यिक और भक्तिमय बनाने की कोशिश की। कवि अशोक भारती ने राह जो अपनी बना ले छोड़कर निशानियां, याद रखेगी ये दुनिया उसकी ही कहानियां‘ सुनाई जबकि युवा कवि सुमन कुमार मिश्र ने ‘बरसो मेरे गांव में जलधर , अमन चैन का बादल बनकर ‘सुनाई।
वरिष्ठ शायर रामउचित पासवान ने – ‘दिलरुबा मुझ पर कभी ऐसा था इल्जाम नहीं, लब ए उल्फ़त पर मेरे गैर का था नाम नहीं‘ सुनाकर विरह का तान छेड़ा। कवि विजय शंकर प्रसाद ने – ‘अकेले बुद्ध और यशोधरा संग राहुल पर स्पष्ट चिंतन, एक ओर चाह मंजिल तो दूसरी ओर त्याग स्मरण ‘ सुनाई तो हॉल तालियों से गूंज उठा। कवि ओम प्रकाश गुप्ता ने – ‘तमस मिटे जीवन पथ का, दीप जलाने आया हूं‘ प्रेरणादायी कविता सुनाई।
कवि शशिरंजन वर्मा की – ‘कभी जिन्दगी से मुहब्बत थी यारों, मगर दुश्मनी आज कर ली है मैंने‘ सुनकर श्रोता वाह वाह कर उठे। कवयित्री उषा श्रीवास्तव ने जब – ‘सीय राम मय सब जग जानी, करऊं प्रणाम जोड़ी जुग पानी‘ तो पुनः एक बार श्रोता खुद को भक्ति रस में डूबा सा महसूस करने लगे। कवि दीनबंधु आजाद ने – हर दिन अपनी जिंदगी को एक नया ख्वाब तो दो‘, कवि मोहन कुमार सिंह ने ‘जिन्दगी का दस्तूर है, हंसना रोना जरूर है‘, युवा कवि उमेश राज की – ‘सांवर–सांवर सुरतिया भुलात नईखे‘, सराही गई।
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वरिष्ठ कवि अंजनी कुमार पाठक ने – ‘दीन हीन दलितों को मैंने बहुत सताया है ‘सुनाकर तालियां बटोरी। वरिष्ठ कवि डॉ जगदीश शर्मा ने – ‘पले फले बीते दिन सुनहरे, नाजुक होते थे‘ सुनाया। युवा कवि ब्रज भूषण प्रसाद ने ‘दहेज का सर्वश्व बोलबाला है , बालाओं का आजकल यहीं पैमाना है‘ सुनाई। सहज कुमार ने ‘शीष अपना कटा कर‘, युवा कवि गौतम कुमार वात्स्यायन ने ‘जब से घर का दाना पानी जोड़ रहा, मेहनत की हर एक पाइ से वाकिफ हूं‘, युवा कवि राहुल चौधरी ने ‘मैंने लिखना छोड़ दिया है कुछ ऐसी लाचारी है‘ सुनाकर तालियां बटोरी। युवा कवि स्वतंत्र शांडिल्य ने अपनी मर्म स्पर्शी रचना ‘कोई गतिमान कितना है, ये राहें ही समझती हैं , गले किसको लगाना है, ये बाहें ही समझती है‘ सुनाकर लोगों को कुछ पल के लिए भावना के समंदर में ले गए। इसके अलावा अनिरूद्ध सिंह, चांदनी कुमारी, रणवीर अभिमन्यु, सुरेन्द्र कुमार की भी अपनी अपनी रचनाएं सुनाकर श्रोताओं की सराहना बटोरी।