रिजल्ट में देरी से उर्दू अनुवादकों का छलका दर्द । पटना, संवाददाता। बिहार के सरकारी विभागों में बहाली के लिए चयन प्रक्रिया शुरू होना और फिर उसका अधर में लटकना कोई नई बात नहीं है। बेरोजगारी को दूर करने की सरकार की कागज़ी कोशिशों की यह बानगी कभी धरने पर बैठे अभ्यर्थियों तो कभी सोशल मीडिया के माध्यम से अक्सर नजर आती रहती है।
अब ये एक और मामला भी पेशे नज़र है। बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग द्वारा उर्दू अनुवादकों और सहायक उर्दू अनुवादकों के पदों पर बहाली के लिए 2 साल पहले ही प्रक्रिया शुरू की गई। अभ्यर्थियों की मानें तो इन परीक्षाओं में शामिल हुए तमाम छात्र अब पिछले लगभग 4 महीने से बीएसएससी द्वारा रिजल्ट जारी करने की बाट जोह रहे हैं।
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इस मामले में अभ्यर्थी एडवोकेट नाज़नीन अख्तर और आमिर हाशमी के मुताबिक “बिहार में लगभग 3 दशक पश्चात बीएसएससी के माध्यम से सन् 2019 में सहायक उर्दू अनुवादक (विज्ञापन संख्या-0/19) के लिए 202 तथा उर्दू अनुवादक विज्ञापन (संख्या-02/19) के लिए 1294 पदों की बहाली हेतु विज्ञापन जारी किया गया था, इस विज्ञापन के आधार पर दोनों पदों पर लगभग एक लाख अभ्यर्थियों ने फार्म भरे थे। 31 जनवरी, 2021 को उर्दू अनुवादक की परीक्षा कराई गई, जिसको एक वर्ष पूर्ण होने में कुछ दिन ही शेष हैं तथा सहायक उर्दू अनुवादक मुख्य परीक्षा, जिसमें 5300 अभ्यर्थी शामिल हुए, हुए चार माह पूर्ण होने वाले हैं। इन दोनों रिक्तियों को निकले हुए 2 वर्ष से अधिक समय हो गया है, जिसका परिणाम अभी तक घोषित नही हुआ है। अभ्यर्थी एडवोकेट नाज़नीन अख्तर और आमिर हाशमी ने जोर देकर कहा कि हमारी मांग है कि शीघ्र ही इसके परिणाम घोषित किए जाएं।”
बता दें कि बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग द्वारा उर्दू अनुवादकों और सहायक उर्दू अनुवादकों का रिजल्ट जारी करने की अपनी मांगों को लेकर उर्दू अनुवादक तथा सहायक उर्दू अनुवादक छात्र संघ ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर पर कैंपेन भी चलाया। खास बात यह रही कि हैश टैग #BSSC_URDU_RESULT_2019 काफी देर तक ट्विटर पर ट्रेंड भी करता रहा। देखना यह है कि इस मामले में बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग अपना रुख कब साफ करता है। लगातार हो रही इस देरी से उर्दू अनुवादकों का छलका दर्द ट्वीटर पर ट्रेंड होता रहा है।