नालंदा कॉलेज में “गांधी की पत्रकारिता और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन” विषय पर वेबिनार। पटना,संवाददाताI महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के संस्थापक अध्यक्ष और बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्य डॉ अरुण कुमार भगत ने कहा है कि गांधी जी मूल्य आधारित ध्येयनिष्ठ पत्रकारिता के पुरोधा थे। उन्होंने पत्रकारिता को लोक शिक्षा का माध्यम बनाया और देशवासियों में राष्ट्रीयता की चेतना को जागृत कियाI उनके लेख, टिप्पणियां और संपादकीय पढ़कर करोड़ों स्त्री-पुरुष, बालक- वृद्ध भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सैनिक बनेI वे आज नालंदा कॉलेज शिक्षाशास्त्र विभाग के तत्वावधान में “महात्मा गांधी की पत्रकारिता और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन” विषय पर आयोजित वेबिनार को संबोधित कर रहे थे।
डॉ भगत ने कहा कि उनका पूरा जीवन पत्रकारिता से संश्लिष्ट था। उन्होंने अपनी बात कहने, दूसरों को सुनने, समस्या सुलझाने, जनमत निर्माण के साथ-साथ जीवन के हर पग पर पत्रकारिता का ही आश्रय लिया। उन्होंने यंग इंडिया, “नवजीवन, सत्याग्रह, हरिजन आदि समाचार-पत्रों का प्रकाशन किया।
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अपने उद्घाटन भाषण में पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ जितेंद्र कुमार ने कहा कि महात्मा गांधी एक व्यक्ति नहीं विचार हैं और हमें उनके विचारों के साथ जीवन जीने की कोशिश करनी होगी, तभी हम अपना और विश्व का कल्याण कर सकते हैं। विशिष्ट अतिथि नालंदा कॉलेज के प्राचार्य डॉ रामकृष्ण परमहंस ने कहा कि गांधी जी ने अंग्रेजों को कलम की ताकत का एहसास कराया और अपनी पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से जनसाधारण को शिक्षित बनाने की सफल कोशिश कीI
अध्यक्षता करते हुए नालंदा कॉलेज शिक्षा विभाग के शिक्षाशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ. ध्रुव कुमार ने कहा कि अफ्रीका में 3 वर्षों तक रहकर महात्मा गांधी ने वकील से ज्यादा पत्रकार के रूप में प्रतिष्ठा हासिल कीI उन्होंने 1899 ई. में बोअर युद्ध के समय एक स्वतंत्र पत्रकार के रूप में युद्ध के मैदान से “टाइम्स ऑफ इंडिया” के लिए रिपोर्टिंग भी की। उन्होंने युद्ध कथा की रिपोर्टिंग संवेदनशीलता को आधार बनाकर की और वर्णनात्मक पत्रकारिता की नीरसता को तोड़ाI
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डॉ. ध्रुव ने कहा कि उन्होंने समाचारपत्रों को अपने सिद्धांत और दृष्टिकोण का वाहक बनाया और इसके जरिए गांव-गांव में स्वतंत्रता एवं जन-जागरण की अलख जगाई। दर्शनशास्त्री डॉ. प्रभास कुमार ने कहा कि गांधी के लिए पत्रकारिता उनके जीवन का ध्येय हासिल करने का सत्याग्रही मार्ग और सबसे बड़े लक्ष्य की पूर्ति के लिए एक साधन था। डॉ रंजन कुमार ने कहा कि विश्व में शांति और सद्भाव के लिए आज भी महात्मा गांधी के विचार प्रासंगिक हैं। उषा कुमारी ने कहा कि महात्मा गांधी ने पत्रकारिता को जीवंत और जनोपयोगी बनाया। वेबिनार में डॉ राजेश कुमार, अपर्णा कुमारी, कृति स्वराज, पिंकी कुमारी, इशिता, संगीता कुमारी, प्रशान्त आदि ने भी शिरकत कीI