सरकारी अधिकारियों का व्हाट्सएप पर आदेश कितना सही? बगैर दिनांक, पत्रांक और अधिकारियों के हस्ताक्षर के व्हाट्सएप पर जारी आदेश–निर्देश क्या ज....
बिहार

अधिकारी क्यों देते हैं व्हाट्सएप पर आदेश, जबकि गाज गिरती है कनीय कर्मचारी पर

 सरकारी अधिकारियों का व्हाट्सएप पर आदेश कितना सही? बगैर दिनांक, पत्रांक और अधिकारियों के हस्ताक्षर के व्हाट्सएप पर जारी आदेश–निर्देश क्या जरूरत पड़ने पर कर्मचारी के पक्ष में मान्य होंगे? ऐसे ही व्हाट्सएप पर जारी एक आदेश का मामला पटना जिला परिवहन कार्यालय में चल रहा है, जिसको लेकर कर्मचारियों से पूछताछ भी हो रही है। फिर शिक्षा विभाग सहित अन्य विभागों में यही रवैया आज भी क्यों हैं? जबकि सरकार ने अधिकारियों को पहले ही सचेत कर रखा है कि व्हाट्सएप व टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया ऐप्स पर किसी प्रकार की गोपनीय जानकारी व दस्तावेज साझा नहीं किए जाएं। 

पटना,संवाददाता। व्हाट्सएप पर अधिकारी आदेश देते हैं, और बाद में कनीय कर्मचारियों पर गाज गिरती है। अधिकारियों का डर ऐसा कि  व्हाट्सएप आदेश को न मानने किसी कर्मचारी में नहीं होती। लेकिन बाद में खामियाजा कनीय कर्मचारी को ही भुगतना पड़ता है। ऐसा ही एक मामला पटना में देखने को आया है। मामला पटना जिला परिवहन कार्यालय से जुड़ा है।

पटना जिला परिवहन कार्यालय में अधिकारियों के मौखिक व व्हाट्सएप आदेश के कारण हुए घोटाले के उजागर होने के बाद यह सवाल उठने लगे हैं। अन्य विभागों में भी इसी प्रकार पदाधिकारियों द्वारा व्हाट्सएप से आदेश क्यों दिए जा रहे हैं? कल वहां भी गड़बड़ी हुई तो अधीनस्थ कर्मचारी-पदाधिकारी पर गाज गिरा दी जाएगी। शिक्षा विभाग में तो अधिकांश कार्य  अधीनस्थ कर्मचारियों-शिक्षकों को इसी प्रकार व्हाट्सएप पर आदेश देकर करवाए जा रहे हैं साथ ही कार्य नहीं होने पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी जाती है।

   उल्लेखनीय है कि जिला परिवहन कार्यालय में राजस्व जमा किए बगैर स्मार्ट कार्ड निकालने के मामले में संविदा पर कार्यरत डाटा इंट्री ऑपरेटरों ने डीटीओ को स्पष्टीकरण दिया है कि इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। विभागीय पदाधिकारी के मौखिक और व्हाट्सएप के माध्यम से मिलने वाले आदेश के तहत स्मार्ट कार्ड निकाला गया है। नोटिस पाने वाले डाटा इंट्री ऑपरेटरों ने स्पष्टीकरण में लिखा है कि वाहनों का निबंधन, हस्तांतरण, द्वितीय प्रति, एचपी आदि कार्य से संबंधित स्मार्ट कार्ड प्राप्त नहीं होने पर आपके साथ प्रधान सहायक, प्रोग्रामर सहित अन्य पदाधिकारियों के पास लोग शिकायत करते हैं। इसके निराकरण के लिए पदाधिकारियों द्वारा बिना शुल्क स्मार्ट कार्ड निकालने का निर्देश मौखिक, व्हाट्सएप, मोबाइल पर फोन कर दिया जाता है। किसी कर्मी को भेजकर भी यह निकलवाया जाता है।

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  दूसरी तरफ जानकार बताते हैं कि पूरा शिक्षा विभाग व्हाट्सएप माध्यम से आदेश पर चल रहा है। कुछ विभागीय पत्र पत्रांक व दिनांक वाले स्कैन पत्र होते हैं, लेकिन अधिकांश आदेश प्रखंड व अंचल का व्हाट्सएप ग्रूप पर बिना पत्रांक व दिनांक के दिए जा रहे हैं। साथ ही आदेश अनुपालन में कोताही बरते जाने पर कार्रवाई की भी चेतावनी दी जा रही है।

   गौरतलब है कि लगभग दो वर्षों पूर्व ही छत्तीसगढ के तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ ने एडीएम को सौंपे ज्ञापन में अपनी विभिन्न मांगों के साथ-साथ आला अधिकारियों द्वारा व्हाट्सएप पर दिए जा रहे आदेश व निर्देश पर आपत्ति की थी। कर्मचारियों का कहना था कि इसमें सक्षम अधिकारी के हस्ताक्षर, पत्रांक व दिनांक का उल्लेख नहीं होता जिसके कारण संशय की स्थिति बनी रहती है।

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   इसके अलावा जानकार बताते हैं कि इसके संबंध में सरकारी कम्यूनिकेशन गाईड लाईन भी जारी किए गए हैं। सरकार ने अधिकारियों को पहले ही सचेत कर रखा है कि व्हाट्सएप व टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया ऐप्स पर किसी प्रकार की गोपनीय जानकारी व दस्तावेज साझा नहीं किए जाएं।

Xpose Now Desk
मुकेश महान-Msc botany, Diploma in Dramatics with Gold Medal,1987 से पत्रकारिता। DD-2 , हमार टीवी,साधना न्यूज बिहार-झारखंड के लिए प्रोग्राम डाइरेक्टर,ETV बिहार के कार्यक्रम सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार के लिए स्क्रिपट हेड,देशलाइव चैनल के लिए प्रोगामिंग हेड, सहित कई पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों में विभिन्न पदों पर कार्य का अनुभव। कई डॉक्यूमेंट्री के निर्माण, निर्देशन और लेखन का अनुभव। विविध विषयों पर सैकड़ों लेख /आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कला और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित। संपर्क-9097342912.