महामाया बाबू पर व्याख्यान आयोजित। पटना, संवाददाता ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि बिहार के पहले ग़ैर कांग्रेसी और पांचवे मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिन्हा के आदर्शों को अपनाने की जरूरत है। देश को ऐसे ही ईमानदार व निःस्वार्थ लोगों की आज बहुत जरूरत है। युवाओं और छात्रों को महामाया बाबू इतना प्यार करते थे कि वे सदैव उन्हें जिगर के टुकड़े कहा करते थे। अबतक की राजनीति में किसी राजनेता, मंत्री या मुख्यमंत्री ने युवाओं और छात्रों को जिगर का टुकड़ा नहीं कहा और न ही माना।
श्री प्रसाद आज जीकेसी की ओर से आजादी के अमृत महोत्सव पर कायस्थ रत्न, रणबांकुरे और अमर स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धापूर्वक याद करने के सिलसिले में आयोजित व्याख्यानमाला में महामाया प्रसाद सिन्हा के जीवन ,व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उनके जीवन और विचारों को आत्मसात करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा महामाया बाबू बिहार की राजनीति में त्याग एव बलिदान की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने कभी भ्रष्टाचार से समझौता नहीं किया। यही कारण था कि उनकी सरकार लंबी नहीं चली।जबकि अपने जमाने के प्रदेश के चार सबसे कद्दावर नेताओं में से वो एक थे।
मौके पर प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन ने कहा, महामाया बाबू के अंदर एक जज्बा था, वह हमेशा युवाओं को साथ लेकर चलना चाहते थे, लेकिन तात्कालीन हालातों और की गंदी राजनीति ने इस बुद्धिजीवी चित्रांश राजनेता को मात्र 1 साल तक ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहने दिया। जबकि वह एक मिली जुली सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में बिहार में सीएम बने थे और उनके फैसले लोग आज भी याद करते हैं।
जीकेसी बिहार की प्रदेश अध्यक्ष डा. नम्रता आनंद ने कहा, आज महामाया बाबू के आदर्शों को अपनाने की जरूरत है। देश को ऐसे ही ईमानदार व निःस्वार्थ लोगों की जरूरत है। कर्मठ व ईमानदार पूर्व मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिन्हा ने विकास के नाम पर कई एकड़ अपनी जमीन इन्होंने सरकार के नाम कर दी और स्कूल, हॉस्पिटल आदी का निमार्ण कराए। डा. नम्रता ने कहा कि इतना सबके बावजूद यह दुर्भाग्य और राजनीतिक साजिश ही है कि इतिहास में जितनी जगह उन्हें मिलनी चाहिए वो नहीं मिली है। व्याख्यानमाला में अपना विचार व्यक्त करते हुए जीकेसी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दीपक कुमार अभिषेक ने कहा, महामाया बाबू देश की आजाद कराने में भी अहम भुमिका निभाई थी। वह महान विभूति थे। उनके आदर्शों पर चलना ही सच्ची श्रद्धांजलि है।
इस अवसर पर संजय सिन्हा, किशोर कुमार, सुभाषिणी स्वरूप, नूतन सिन्हा, रश्मि सिन्हा, राजेश सिन्हा संजू, दिलीप सिन्हा, नीलेश रंजन, सुशील श्रीवास्तव, संजय कुमार सिन्हा, प्रियदर्शी हर्षवर्धन, बलिराम, रवि सिन्हा, शैलेश कुमार, सुशांत सिन्हा, रंजीत सिन्हा, पीयूष श्रीवास्तव, शुभम कुमार, चंदू प्रिंस, संजय कुमार सिन्हा, योगेश कुमार, मनोज कुमार सिन्हा, सुबोध नंदन सिन्हा, प्रसुन श्रीवास्तव धनंजय प्रसाद,प्रकाश कुमार,भी उपस्थित थे।