बॉलीवुड के सफल एवं चर्चित फिल्म एडिटर हैं Amit Anand
मुम्बई, कुमार समत। गीत, संगीत,अभिनय और निर्देशन के परे भी फ़िल्म इंडस्ट्री में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ युवा अपना करियर बना रहे हैं। फ़िल्म एडिटिंग (संकलन)ऐसा ही एक क्षेत्र है जिसमें प्रतिष्ठा के साथ बेहतर पैसे भी मिलते हैं । बिहार के Amit Anand ने इसी क्षेत्र को अपना करियर चुना और सुखद ये है कि इस क्षेत्र में सफलता के परचम भी फहरा रहे हैं । अमित आनंद ने स्कूल व कॉलेज की शिक्षा प्राप्त करने बाद आईफा से फ़िल्म निर्माण व एडिटिंग का कोर्स विधिवत पूरा किया जम गए मुंबई में।
अमित आनंद ने 2008 में अपना फिल्मी कैरियर विज्ञापन फ़िल्म टाटा स्काई शो बिज,जीएम लाइट,विप्रो लाइट,एलजी लाइट ऑफ जॉय,महिंदा एवं पीएंडजी जैसी फिल्मों का एडिटिंग कर शुरु की।इससे विज्ञापन के क्षेत्र में अपने आपको प्रस्थापित किया और अपनी अलग पहचान बनाई।
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फिर टीवी सीरियल और कई कई वृतचित्रों में एक संपादक अर्थात फ़िल्म एडिटर के तौर पर काम किया। साथ में कई प्रतिष्टित कंपनियों के लिये वीडियो एलबम गीत-गणेश (गायक-जुबिन नॉटियाल) ,मीठी मीठी जलन (गायक-मोहित चौहान),गीत-जस्सी-(गायक-पायल देव व इक्का),गीत-कैसे भूलूं मैं-(गायक-अमित मिश्रा),गीत -माही किथे-(गायक-भूमी त्रिवेदी) के अलावा अंकित तिवारी,राहत फतेह अली खान के गीतों को भी वीडियो का एडिट किया।ख़ास बात है कि इन गानों को टी सीरीज, ज़ी म्यूजिक, इरोज़ म्यूजिक, 9एक्स एम तथा बुलमान कंपनी ने रिलीज किया। इसके अतिरिक्त अमित आनंद को कुछ लघु फ़िल्म का निर्देशन व एडिटिंग करने का भी सौभाग्यअमित को प्राप्त हुआ है।इसी क्रम में 2015 में लघु फिल्म बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ फ़िल्म में एडिटिंग के लिए प्रतिष्टित सम्मान भी इन्हें मिला।
इसके बाद अब अमित आनंद किसी पहचान के मोहताज नही रहे,इनके कार्यो को देखते हुए कई निर्माता, निर्देशकों ने इन्हें अपनी अपनी फिल्म का एडिटिंग कराना शुरू कर दिया। फलस्वरूप आज अमित आनंद द्वारा एडिट फिल्मो को देश ही नही विदेशों में भी सम्मान मिलने लगा।
औसम- मौसम(2016), क्या फर्क पड़ता है (2016), कब्बडी(2018), मैथली(2020), वो 3 दिन, व कुतुबमीनार एवं पातालपानी (2021), विथ लव बॉलीवुड (थाई लैंड) फिल्मो का सम्पादन कर सफल फ़िल्म एडिटर की कतार में शामिल हो गये। हिंदी फिल्म व धारावाहिक फिल्मों के सम्पादन के अलावा अमित आनंद कई क्षेत्रीय फिल्मों का भी सम्पादन किया है।
क्या फर्क पड़ता है, औसम-मौसम एवं विथ लव बॉलीवुड , द ग्रेट लीडर यह सभी फिल्मों में ये एडिशनल और प्रोमोशनल एडिटर थे। गुड मॉर्निंग,माँ,नास्तिक और पाक vs चायवाला जैसी लघु फ़िल्मों के ये निर्देशक व एडिटर भी रहे हैं , इतना ही नहीं वेब सीरीज गैंस ऑफ ऑफिसपर (टीवी सीरीज), बैकपैक और फिर से रामसे जैसी वेबसीरिज़ का भी कुशल संपादन किया है।
फ़िल्मी क्षेत्र से जुड़े होने के वाबजूद इन्होंने कई सामाजिक संस्थाओं के साथ जुड़ कर समाज मे दबे- कुचले असहाय लोगों की भी सेवा और मदद करये रहते हैं । बातचित में वो कहते हैं कि फ़िल्म उधोग साफ सुथरा उधोग है।इस क्षेत्र में शिक्षित बेरोजगार सरकारी नौकरी का इंतजार न कर अपना कैरियर बना सकते है।हाँ कभी कभी संघर्ष ज़रूर करना पड़ता है , लेकिन संघर्ष के बाद सरलता का आनंद ही कुछ और होता है।