रिपब्लिक डे परेड में बड़ी पगड़ी कलरफुल ड्रेस पहने गुजराती वेशभूषा में वस्त्र मंत्रालय की झांकी को जीवंत करेंगे राजन कुमार।पटना, संवाददाता। गणतंत्र दिवस के अवसर पर हर वर्ष दिल्ली के राजपथ पर ऐतिहासिक परेड होती है, साथ ही कई महत्वपूर्ण झांकियां पेश की की जाती हैं। इस बार कोरोना की तीसरी लहर की वजह से दिल्ली और मुम्बई जैसे बड़े शहर बहुत तरह की पाबंदियों में जी रहे हैं, इसलिए इस बार कलाकार कुछ कम होंगे। साफ है कि 130 करोड़ से अधिक की आबादी में से कुछ गिने चुने कलाकार ही इस बार की झांकी में नजर आएंगे।खास बात है कि इन सीमित फ़नकारों में एक नाम है हीरो राजन कुमार का, जो बिहार के मुंगेर जिला के टेटिया बम्बर प्रखंड के हैं।
यह मुंगेरवासियों सहित पूरे देश वासियों के लिए खुशी और प्रेरणा की बात है कि एक छोटे से शहर का युवा इस ऐतिहासिक दिन पर अपनी कला के प्रदर्शन के लिए चयनित किया गया है। जब पहली बार राजन कुमार को इस ऐतिहासिक परेड के लिए दिल्ली से बुलावा आया तो वह तो बड़े खुश, उत्साहित थे, मगर घरवालों के चेहरे पर थोड़ी सी चिंता की लकीरें भी आ गईं थीं।
जब राजन कुमार अपनी बूढ़ी मां और किसान पिता का आशीर्वाद लेकर घर से निकले तो तमाम घरवालों की आंखें नम थीं। उनकी चिंता थी कि कोरोना प्रभावित दिल्ली में कैसे उनका लाडला सर्वाइव करेगा। लेकिन राजन कुमार रियल हीरो की तरह अपनी मां और सभी घरवालों को भरोसा दिलाया कि उन्हें कुछ नहीं होगा। वह तमाम सावधानियों को बरतते हुए, देशभक्ति का जज़्बा भरे हुए दिल्ली की झांकी पेश करेंगे। उनके पास तमाम देशवासियों की दुआएं हैं।
गौरतलब है कि गणतंत्र दिवस पर भारत सरकार देश की कला संस्कृति और शक्ति प्रदर्शन में कोई कसर नही छोड़ती है। 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ दिल्ली में हर साल ऐतिहासिक रिपब्लिक डे मनाया जाता है। जिसपर पूरी दुनिया की नज़र होती है। इसकी तैयारी कई महीने पहले से शुरू हो जाती है। इस बार रिपब्लिक डे परेड कोरोना प्रोटोकॉल को देखते और फॉलो करते हुए बहुत ही सीमित और सटीक तरीके से मनाया जाना है। ऐसे में कलाकारों का चुनाव, उनके फिटनेस का ख्याल, यह सब बहुत ही टफ प्रोसेस था लेकिन ऐसी स्थिति में भी राजन कुमार दिल्ली पहुंच गए और राजपथ पर प्रैक्टिस में जुटे हुए हैं।
बता दें कि शुरू से ही राजन कुमार को कला संस्कृति से बेहद लगाव रहा है। यही वजह है कि 1998 में भारत सरकार ने उन्हें छऊ डांस के लिए नेशनल अवार्ड दिया था। 2004 में लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में उनका नाम शामिल हुआ। 2005 मे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने उन्हें सर्टिफिकेट दिया। और फिर उनका नाम चार्ली चैपलिन द्वितीय के रूप में पूरी दुनिया में जाना जाने लगा। कई खास मौके पर राजन कुमार ने भारत की कला संस्कृति को उजागर किया है भारत का नेतृत्व किया है।
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इस बार मिनिस्ट्री ऑफ टेक्सटाइल (वस्त्र मन्त्रालय) की झांकी पर राजन कुमार एक गुजराती अटायर में नजर आएंगे। बहुत बड़ी पगड़ी, कलरफुल ड्रेस, एकदम से वस्त्र मंत्रालय की झांकी को जीवंत करते हुए राजन कुमार राजपथ पर लोगों का मन मोहेंगे।
बिहार में पहले कलाग्राम की स्थापना उन्होंने की। साथ ही साथ बाफ्टा को स्थापित किया। वह बिहार फिल्म एंड टेलीविजन आर्टिस्ट असोसिएशन ट्रस्ट के फाउंडर अध्यक्ष भी हैं। राजन कुमार ने बिहार में हिंदी फिल्म ‘शहर मसीहा नहीं’ बनाकर मुंगेरवासियों का सिर ऊंचा किया है। जिसके “बिहार में टैलेंट है मगर साइलेंट है” जैसे डायलॉग काफी पॉपुलर हुए। भारत सरकार ने उन्हें रंगशाला कैम्प में आमंत्रित किया है। जहां वह रात दिन कलाकारों के साथ रहकर प्रैक्टिस करते रहते हैं।