लेखक – अश्विनी कुमार चौबे,
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री,
भारत सरकार
वैश्विक महामारी कोरोना के बीच आम जनमानस के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध नरेंद्र मोदी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-2022 का बजट देश के समक्ष रख दिया है. कोरोना से उपजे परिस्थितियों के बीच यह बजट हौसला प्रदान करने वाला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी बजट के बाद अपने वक्तव्य में इस बजट को आत्मविश्वास को जगाने वाला बजट बताया है. आज के भारत की आवश्यकताओं को और भविष्य के आत्मनिर्भर भारत के निर्माण को मजबूत आधार देने वाले इस बजट को लेकर जाने-माने विशेषज्ञ अपनी राय सकारात्मक दे रहे हैं, लेकिन मूल बात यह है कि आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को साकार और स्वस्थ भारत को बनाने में यह बजट सहायक सिद्ध होगा.
भारत सहित पूरे विश्व ने पिछले वर्ष कोरोना का भयावह दौर देखा है. इस पूरे संक्रमण काल के दौरान एक महत्वपूर्ण तथ्य रहा कि हमारे देश के मुकाबले तकनीक और स्वास्थ्य सुविधाओं में उन्नत देशों की स्थिति हमसे बुरी रही है. इसमें कोई दो राय नहीं कि हमसे बेहतर हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर वाले देशों पर भी कोरोना कहर बनकर टूट पड़ा. वहीं हमारे देशवासियों के संयम और हमारी व्यवस्था ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कोरोना का मुकाबला दृढ़ संकल्पित होकर किया. इस बजट में सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकता में रखा है.
इस बजट के प्रस्ताव में जिन छह स्तंभों को बताया गया है उसमें सबसे पहले स्वास्थ्य को रखा गया है और प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना की शुरुआत की गई है, जिसके लिए सरकार ने 64,180 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है. गौरतलब है कि कोरोना वायरस का दुनिया के जिन चुनिंदा देशों ने टीका बनाया है, उसमें भारत अग्रणी भूमिका में है. जिसके परिणामस्वरुप आज हमारे देश में कोरोना का टीकाकरण आरंभ हो चुका है. टीकाकरण का विशेष ध्यान रखते हुए इस बजट में 35 हजार करोड़ रूपये प्रदान किये गए हैं. यही नहीं सरकार भविष्य में आवश्यकता को देखते हुए इसे बढ़ाने के लिए भी अपनी प्रतिबद्धता को दिखाया है.
स्वास्थ्य के क्षेत्र की जब हम बात करते हैं तो हमें भूलना नहीं चाहिए कि आयुष्मान जैसी योजनाएं देश के वंचित तबकों के कल्याणार्थ सुचारू रूप से जारी हैं. हमारे यहां देश के विभिन्न हिस्सों में विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं से युक्त नए एम्स और मेडिकल कॉलेज का निर्माण तेज गति से चल रहा है. प्रधानमंत्री जन-औषधि केंद्र के माध्यम से सस्ती दवाएं मिल रही हैं. इन सबका जिक्र इसलिए करना आवश्यक है क्योंकि हम स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो अभूतपूर्व प्रगति कर रहे हैं उसकी मजबूत बुनियाद रखना प्रधानमंत्री ने छह वर्ष पहले ही शुरू कर दिया था. इस बजट के प्रावधानों को देखते हुए मेरा ही नहीं अपितु देशवासियों को भी यह दृढ़ विश्वास हो रहा है कि आने वाले वर्षों में हमारा हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर विश्व में अग्रणी होगा. नरेंद्र मोदी सरकार ने भारत के नागरिकों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी और एक के बाद एक नीतिगत निर्णय लिया. अब हम कोरोना के बाद के भारत को जब देखते हैं तो हमने यह तय किया है कि देश के स्वास्थ्य ढांचे को और भी मजबूती देनी है. गत वर्ष की तुलना में इस बार हमारी सरकार ने स्वास्थ्य के बजट में 137 फीसदी का अभूतपूर्व इजाफा किया है. 94 हजार करोड़ के बजट को 2.23 लाख करोड़ तक निर्धारित किया गया है. बीमारियों की टेस्टिंग, रिपोर्टिंग और मॉनिटरिंग की प्रणाली बनाने पर जोर दिया जाएगा. सरकार ने इस बजट के द्वारा एक सन्देश दिया है कि आमजनता के स्वास्थ्य से जुड़े मामलों को लेकर कितनी संवेदनशील है. सरकार ने स्वास्थ्य से जुड़े हर बिंदुओं को गंभीरता से विचार करने के उपरांत ये विजन रखा है. जिसे आने वाले समय में हम साकार होते हुए देख सकेंगे. आने वाले कल के भविष्य हमारे नौनिहालों को न्युमोकोकल वैक्सीन दी जाएगी, जिससे प्रतिवर्ष 50 हजार बच्चों की जान बचाई जा सकेगी. ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य की स्थिति और बेहतर करने के लिए करीब 18 हजार हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खोले जाएंगे. यह हमारे गांव के लिए क्रांतिकारी निर्णय है. अब गंभीर बिमारियों की चपेट में आना वाला व्यक्ति कहीं पर बिमारी को जाकर ईलाज करा सकेगा, वहीं शहरी क्षेत्रों में 11 हजार से ज्यादा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खोले जाएंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सद्प्रयास जारी है. इसलिए प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना के तहत देश भर के 602 जिलों में क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल और 17 नए पब्लिक हेल्थ यूनिट खोले जाएंगे. इस योजना के माध्यम से स्वास्थ्य का जो आधुनिक ढांचा तैयार होगा उससे देश के अलग-अलग भागों में फैलने वाली बीमारियों पर नजर भी रखी जा सकती है और तत्काल नियंत्रित करने के उपाय भी किए जा सकेंगे.
हमने देखा था जब कोरोना की शुरुआत भारत में हुई थी, तब एकमात्र नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी पुणे में था. इसको देखते हुए सरकार ने 4 क्षेत्रीय राष्ट्रीय विषाणु संस्थान की स्थापना करने जा रही है. स्वास्थ्य अनुसंधान पर भी इस बजट में जोर दिया है. डब्लूएचओ दक्षिण पूर्ण एशिया क्षेत्र के लिए एक क्षेत्रीय अनुसंधान प्लेटफार्म, एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान की भी घोषणा की गई है. इस तरह देखें तो इस बजट में आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत बनाने के सभी पहलुओं को रेखांकित किया गया है. सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया पर आधारित इस जन कल्याणकारी बजट के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के गंभीर प्रयास अभिनंदनीय हैं.