कुछ मंत्री और बीजेपी के लोग बार-बार कह रहे हैं कि किसान देशद्रोही हैं यह आंदोलन देशद्रोहियों का है, यहां एंटी नेशनल लोग लोग बैठे हुए हैं. मैं पूछना चाहता हूं कि यहां पर बहुत से पूर्व सैनिक बैठे हुए हैं जिन्होंने देश की रक्षा करने के लिए अपनी जान की बाजी लगाई थी, क्या यह सारे लोग एंटी नेशनल हैं. मैं बीजेपी के नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों से पूछना चाहता हूं कि ऐसे कितने ही खिलाड़ी हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए नाम कमाया और मेडल जीतकर लाए. ऐसे कितने ही खिलाड़ी किसानों के साथ बैठे हैं, अपने अपने घरों में बैठकर दुआएं भेज रहे हैं. क्या यह सारे एंटी नेशनल हैं? मैं पूछना चाहता हूं बीजेपी के नेताओं और मंत्रियों से के कितने ही सिंगर और सेलिब्रिटी हैं जो किसानों के बच्चे हैं और किसानों के परिवार से आते हैं. यह सब लोग इनको समर्थन कर रहे हैं. क्या यह सब लोग एंटी नेशनल हैं? कितने ही डॉक्टरों ने किसानों को समर्थन दिया है, क्या यह सब एंटी नेशनल हैं. वकीलों ने किसानों को समर्थन दिया है, क्या यह सब एंटी नेशनल हैं, कितने ही व्यापारियों ने समर्थन दिया क्या यह सब एंटी नेशनल हैं?’
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘जब हम अन्ना आंदोलन कर रहे थे और रामलीला मैदान में आंदोलन हो रहा था तो हमारे खिलाफ भी ऐसे ही बदनाम करने की कोशिश की जा रही थी कांग्रेस सरकार द्वारा. वैसी ही कोशिश आज किसानों के आंदोलन को बदनाम करने के लिए बीजेपी कर रही है और सत्ता पक्ष कर रहा है. इस देश के किसानों को एंटी नेशनल कहने की हिम्मत मत करना. कुछ लोग कह रहे हैं कि इसमें पंजाब और हरियाणा के कुछ किसान इसमें शामिल हैं बाकि जनता इसमें शामिल नहीं है. यह गलतफहमी है क्योंकि अभी हाल ही में मैं एक शादी में गया था तो वहां मैंने लोगों से पूछा तो वहां पर मिडिल क्लास और अपर क्लास ने मुझे कहा कि यह कृषि कानून बहुत ही खतरनाक हैं. वह लोग यह कह रहे थे कि कोई भी आदमी अब कितना भी जमाखोरी कर सकता है. पहले अनाज के स्टोरेज की लिमिट होती थी, जमाखोरी होने पर उस पर कार्रवाई होती थी. जमाखोरी करना जुर्म होता था क्योंकि इसकी वजह से किल्लत होती थी. अब सरकार जो कानून लाई है उसमें जमाखोरी करना जुर्म नहीं है और कितनी भी जमाखोरी की जा सकती है. ऐसे में जिनके पास पैसा है वह लोग बहुत सारा अनाज स्टोर करके अपने पास रख लेंगे और महंगाई बहुत बढ़ जाएगी. उन्होंने बताया कि 1 साल में महंगाई दोगुनी नहीं हो जाती तब तक कोई कार्रवाई करने की जरूरत नहीं होगी.’मैं यह कहना चाहता हूं कि कोई यह गलतफहमी में ना रहे की इस कानून के विरोध में केवल कुछ किसान हैं जो धरने पर बैठे हुए हैं, बल्कि देश का एक एक आदमी इन कानूनों को समझ रहा है. जो लोग अपनी जिंदगी में व्यस्त होने की वजह से बॉर्डर पर नहीं पहुंच पा रहे उनका दिल वहीं है किसानों के साथ. मेरी केंद्र सरकार के साथ गुजारिश है कि इनका छोड़िए, सरकार जनता से बनती है जनता सरकार से नहीं. इन तीनों बिलों को रद्द किया जाए और एमएसपी पर किसानों की फसल खरीदने का बिल बनाया जाए.