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‘क़िस्सागोई’ का हुआ लोकार्पण

शकुंतला अरुण की कहानियों में समाज की गहन पीड़ा की अभिव्यक्ति


साहित्य सम्मेलन में मगही कथा संग्रह ‘क़िस्सागोई’ का हुआ लोकार्पण

पटना / सवांददाता। विदुषी लेखिका शकुंतला अरुण नारी-चेतना को संपूर्ण भारतीय परिवेश में अवगाहित करने वाली एक ऐसी कथाकार हैं, जिनकी कहानियों में समाज की गहन पीड़ा की मर्म-स्पर्शी अभिव्यक्ति होती है। हिन्दी और मगही में समान अधिकार से लिख रहीं शकुंतला जी बौद्धिक स्तर पर अत्यंत परिपक्व दृष्टि के साथ निरंतर लेखन में लिप्त हैं, जिससे यह अपेक्षा सहज में की जा सकती है कि इनके साहित्यिक अवदानों से हिन्दी और मगही। दोनों ही भाषाओं की श्री-वृद्धि होगी।
यह बातें, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, बुधवार को लेखिका शकुंतला अरुण के मगही कथा-संग्रह ‘किस्सागोई’ का लोकार्पण करते हुए, सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि साहित्य सम्मेलन हिन्दी मात्र के लिए ही नहीं, अपितु समस्त भारतीय भाषाओं के उन्नयन का पक्षधर रहा है। और यह संकल्प सम्मेलन के उद्देश्यों में सम्मिलित है। हम यह अपेक्षा करते हैं कि इसी भावना के साथ देश भर के सभी भाषाओं के साहित्यकार ‘हिन्दी’ को ‘देश की राष्ट्रभाषा’ के रूप में प्रतिष्ठित करने में अपना सहयोग दें।
अतिथियों का स्वागत करते हुए, सम्मेलन के प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय ने कहा कि शकुंतला जी एक प्रतिभाशाली लेखिका और कवयित्री हैं। जब मैंने इन्हें प्रथम बार सुना तो अत्यंत प्रभावित हुआ तथा इन्हें अपनी रचनाओं को पुस्तकाकार रूप देने के लिए प्रेरित किया। यह सुखद संयोग है कि बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में इनकी दूसरी पुस्तक का लोकार्पण हो रहा है।
समारोह के मुख्यअतिथि डा ज्योतींद्र मिश्र ने कहा कि जिस व्यक्ति के जीवन में कोई कहानी न हो, वह कहानी नहीं लिख सकता। लोकार्पित पुस्तक की लेखिका का जीवन भी एक कहानी है, जिसे उन्होंने अपनी पुस्तक की ‘स्वोक्ति’ में लिखी है।
सम्मेलन के उपाध्यक्ष डॉ. शंकर प्रसाद, डॉ. ऋषिकेश मिश्र, डॉ. ओम् प्रकाश जमुआर, डॉ. अरुण कुमार मिश्र, कुमार अनुपम, डॉ. अशोक प्रियदर्शी, आचार्य शंभुनाथ मिश्र, डॉ. करुणा पीटर ‘कमल’ तथा डॉ. अर्चना त्रिपाठी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर आयोजित लघुकथा-गोष्ठी में डॉ. मनोज गोवर्द्धन पुरी ने ‘अनुचित नसीहत’, योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने ‘खुले आकाश का पंछी’, डा विनय कुमार विष्णुपुरी ने ‘बकरी’, जय प्रकाश पुजारी ने ‘असमंजस’, अर्जुन प्रसाद सिंह ने ‘जहालत की ज़मीन’ शीर्षक से अपनी लघुकथाओं का पाठ किया।
मंच का संचालन योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्णरंजन सिंह ने किया। कवयित्री लता प्रासर, श्रीकांत व्यास, चंद्रभूषण प्रसाद, कमलनयन श्रीवास्तव, राजेश राज, उषा मिश्र, शान्तनु गर्ग, ब्रजेश मिश्र, सुरेंद्र चौधरी, प्रणब कुमार समाजदार, रवींद्र कुमार सिंह आदि प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे !