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केंद्र को आईपीएस अधिकारियों को बुलाने का हक : अमित शाह

नई दिल्ली/ एजेंसी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अगर भाजपा चुनाव जीती तो पश्चिम बंगाल की मिट्टी से ही मुख्यमंत्री बनेगा। टीएमसी राज्य सरकार की नाकामियों से ध्यान हटाने के लिए भीतरी बनाम बाहरी का मुद्दा उठा रही है। ममता बनर्जी राज्य में कानून व्यवस्था नियंत्रित करने में पूरी तरह नाकाम रही है। टीएमसी तुष्टिकरण की राजनीति में विश्वास करती हैं, इसलिए वह बांग्लादेश से घुसपैठ रोकना नहीं चाहती। यह सिर्फ भाजपा कर सकती है।
बंगाल दौरे के दूसरे दिन शाह ने रविवार शाम प्रेस कांफ्रेंस में कहा, शायद ममता दीदी कुछ चीजें भूल गई हैं। जब ममता दीदी कांग्रेस में थीं तो क्या वह इंदिरा गांधी को बाहरी मानती थीं? क्या उन्होंने यह शब्द पीवी नरसिम्हा राव के लिए इस्तेमाल किया? क्या वह ऐसा देश बनाना चाहती हैं, जहां एक राज्य के नागरिक को दूसरे राज्य में आने की अनुमति नहीं होगी? टीएमसी दीदी की नाकामियों को छिपाना चाहती हैं।
शाह ने कहा, ममता बनर्जी किसान आंदोलन का समर्थन करती हैं, लेकिन राज्य के अन्नदाताओं को केंद्रीय योजनाओं का लाभ लेने से रोकती हैं। क्या यही संघीय ढांचे का सम्मान करने का तरीका है। एक सवाल के जवाब में गृहमंत्री ने कहा, कोरोना महामारी के नियंत्रित होने के बाद नागरिकता संशोधन कानून लागू किया जाएगा। कोरोना के कारण इतनी बड़ी प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकती।
शाह ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हुए हमले को लेकर कहा, केंद्र सरकार को सुरक्षा के लिए जिम्मेदार आईपीएस अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुलाने का अधिकार है। केंद्र सरकार उन्हें समन कर सकती है। अगर उन्हें कोई संदेह है तो वह नियम पुस्तिका पढ़ सकते हैं। मेरी चिंता है कि हमले के बाद टीएमसी नेता इसका समर्थन करते दिखे। राज्य में 300 से ज्यादा भाजपा कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं, लेकिन इन राजनीतिक हत्याओं की जांच तक नहीं हुई।