अलका .
भागलपुर. कहते हैं, जो होता है अच्छे के लिए होता है। आज तक इस कहावत को सुना ही होगा आपने। पर इस कहावत को आप सच मान लेंगे जब आप खबर को पढ़ेंगे। यह कहानी एक ऐसे इंसान की है, जो कोरोना संक्रमण काल में भी अपने और अपने परिवार के जीने के लिए एक नया रास्ता तलाश कर औरों के लिए प्रेरणाश्रोत बन गए। हां, ये कहानी है निर्मल सिंह की, जिनकी नौकरी कोरोना की वजह से मार्च 2020 में छूट गई थी।
निर्मल गोराडीह प्रखंड के जमसी गांव के रहने वाले हैं और पटना में सात सालों से एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी में कार्यरत थे। अच्छी सैलेरी, अच्छा घर सब था। हाँ, बस कभी कभी बॉस की बातें जरुर सुननी पड़ती थी। इस वजह से निर्मल के मन में भी आता था कि जॉब छोड़ दूँ और अपना ही कुछ व्यवसाय शुरु करूँ। पर नौकरी में रहते हुए वो ऐसा कुछ कर न सके
आखिर घर पर पत्नी और दो बेटियों की जिम्मेदारी थी। पर कहते हैं किस्मत में जो होना होता है, वह होकर ही रहता है। मार्च 2020 में निर्मल की अच्छी खासी नौकरी कोरोना की वजह से चली गई। खैर नौकरी गई थी, पर हिम्मत अब भी साथ थी। चार महीने तक सब ठीक होने का इंतजार किया निर्मल ने। पर भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। जुलाई में वो परिवार के साथ लौट गए अपने गांव और वहां जुट गए आगे की तैयारी में।
नौकरी से बचाये हुए कुछ पैसों से निर्मल ने अकेले खाद्य सामग्रियों की थोक व्यवसाय शुरू कर दी। शुरुआत महज तीन लाख रूपये से थी। शुरू में दुकान-दुकान जा कर वो खुद सामग्री बेचते थे। जो पैसे बचते थे उसे व्यवसाय के विस्तार में लगाते थे। आज निर्मल ने चार लोगों को अपनी ही व्यवसाय में रोजगार दे रखा है। साथ ही उनका रोजगार दस लाख रूपये तक का पहुंच गया है। निर्मल का कहना है कि अपने व्यवसाय का दायरा इस साल 40 से 50 लाख रूपये तक बढ़ाएंगे। इस व्यवसाय को विस्तार देने के साथ-साथ निर्मल का सपना है कि अपने पूर्वजों की ज़मीन में व्यवसायिक और ऑर्गेनिक खेती कर गांव के लोगों को रोजगारोपरक बनाएं। निरमल इस बावत तैयारी भी कर ली है। निर्मल कहते हैं कि कोइ काम छोटा नहीं होता है और शुरुआत हमेशा छोटी ही होती है। जो इस बात को समझ लेता है उसके लिए कभी काम की कमी नहीं होती है।