पटना / सवांददाता।
भारत और चाइना ने एक साथ मशरूम की खेती सन् 1882 में करनी शुरू की थी। आज चीन 330 लाख टन मशरूम उपजा रहा है और भारत का आंकड़ा डेढ़ लाख टन है। जबकि बिहार तो इस आंकड़े में भी नहीं है। ये बातें बिहार में मशरुम मैन आफ बिहार के नाम से मशहूर किसान श्री से सम्मानित संजीव कुमार ने एक मुलाकात में कही। मशरूम मैन संजीव कुमार को बिहार सरकार की ओर से भी कई सम्मान भी मिला चुका है।
संजीव के अनुसार भारत भर में मशरूम की खेती को विशेष बढ़ावा देने की जरूरत है। खास कर बिहार में। मशरूम की खेती किसानो में आर्थिक परिवर्तन ला सकता है। यह किसानों कीआमदनी बढ़ाता है। मशरूम प्रोटीन का सबसे अच्छा सोर्स है। अतः इसका नियमित सेवन कर कई तरह की शारीरिक कमियों को दूर किया जा सकता है और यह पौष्टिकता प्रदान करता है।
संजीव कुमार अपने सपनों पर चर्चा करते हुए कहते हैं कि मेरा सपना है मसरूम की प्रोसेसिंग। प्रोसेसिंग मतलब मशरूम के कई प्रोडक्ट मसलन बिस्कुट, पाउडर आदि का निर्माण करना। वो कहते हैं कि मशरूम पूर्णत: शाकाहार है, क्योंकि वह एक प्रकार का कवक है और जिसकी खेती की जाती है। मशरूम स्वादिष्ट एवं पौष्टिक सब्जी के रूप में प्रयुक्त होता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट एवं चर्बी की मात्रा कम तथा प्रोटीन की प्रचुर मात्रा पायी जाती है।