पटना. बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. अब राजनीतिक दल सरकार गठन की कवायद में जुट गए हैं. एक तरफ चर्चा है कि दीपावली के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. वहीं, चुनाव परिणाम आने के बाद गुरुवार को तेजस्वी यादव को महागठबंधन विधायक दल का नेता चुन लिया गया. इसके बाद वे पहली बार तेजस्वी मीडिया से भी रूबरू हुए और एनडीए पर बिहार में छल-कपट और जोड़-तोड़ से सरकार बनाने का आरोप लगाया. इस बीच कांग्रेस (Congress) ने पार्टी में टूट के खतरे को भांपते हुए शुक्रवार को एक बार फिर से विधायक दल की बैठक बुलाई है.
मिली जानकारी के अनुसार टूट की आशंका के बीच बुलाई गई इस बैठक में छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल और कांग्रेस नेता अरविंद पांडेय भी शामिल होंगे और सभी विधायकों से वन टू वन बात की जाएगी. हालांकि टूट के किसी भी ख़बर को बिहार प्रभारी वीरेंद्र सिंह राठौर ने खारिज किया है.
बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद राज्य में नयी सरकार बनने की कवायद के बीच जहां तेजस्वी यादव को महागठबंधन विधायक दल का नेता चुन लिया गया वहीं, कांग्रेस में असंतोष के स्वर फूट पड़े हैं. पूर्व सांसद व कांग्रेस नेता तारिक अनवर नेता ने जहां कांग्रेस में बदलाव की मांग की है, कांग्रेस सांसद अखिलेश सिंह ने कहा है कि हार की जिम्मेदारी सबको लेनी होगी. इस बीच कांग्रेस में मचे घमासान के बीच पूव मुख्यमंत्री व हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कंग्रेस विधायकों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ आने का ऑफर देकर राजनीति गरमा दी है.
जीतन राम मांझी ने कहा कि कांग्रेस विधायकों को सीएम नीतीश के साथ आ जाना चाहिए. नीतीश कुमार सबके नेता हैं और उनकी नीति कांग्रेस से बहुत अलग नहीं है. सभी कांग्रेस विधायक साथ आ जाएं ये उनके लिए भी बेहतर है. मांझी ने कहा कि कांग्रेस और सीएम नीतीश कुमार की विचारधारा भी लगभग एक ही है.
बता दें कि मांझी ने यह ऑफर तब दिया है जब यह खबर आई कि बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों में बहुमत से महज 12 सीटें दूर रहने पर महागठबंधन ने अभी सरकार बनाने की आस नहीं छोड़ी है. वह अपने पुराने सहयोगी जीतन राम मांझी की हम और मुकेश सहनी की वीआईपी पर डोरे डाल रहा है.