न्यूबोर्न केयर यूनिट में लगी आग, 10 बच्चों की मौत
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सांसे बचाने इन्क्यूबेटर में गए पर ज़िंदगी नहीं मिली….

न्यूबोर्न केयर यूनिट में लगी आग, 10 बच्चों की मौत

महाराष्ट्र के भंडारा के जिला अस्पताल में शुक्रवार देर रात आग लगने से 10 बच्चों की मौत हो गई। सभी बच्चे एक से तीन महीने के थे। ये बच्चे जन्म के बाद स्वस्थ नहीं थे तो इन्हें इन्क्यूबेटर में रखा गया था। क्या पता था उन्हें इस कमरे से बाहर आना ही नहीं था। कुछ 3 साल पहले भी इसी वार्ड में आग लगी थी, लेकिन सुरक्षा के कदम नहीं उठाए गए। इस बार जब आग लगी तो गार्ड्स को खिड़की तोड़कर अंदर दाखिल होना पड़ा। वहां इतना धुआं था कि बच्चे तो दूर, गार्ड्स तक के लिए भी सांस लेना मुश्किल था। आग इतनी भयानक थी कि वहां रखी सभी मशीनें जलकर खाक हो गईं।आग लगने के बाद वार्ड में सबसे पहले पहुंचने वालों में हॉस्पिटल के सिक्योरिटी स्टाफ से जुड़े लोग शामिल थे। एक अस्पताल कर्मी के अनुसार वह रात 9:00 बजे हॉस्पिटल में ड्यूटी के लिए पहुंचा था। रात तकरीबन 1:30 बजे हॉस्पिटल के अंदर ड्यूटी पर था। तभी फोन आया कि फर्स्ट फ्लोर पर सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट (SNCU) में धुआं निकल रहा है। आसपास मौजूद कुछ सिक्योरिटी गार्ड्स को बुलाया और सभी ऊपर पहुंचे। वार्ड के बाहर पहुंचने पर उनलोगों ने देखा कि ICU के गेट से गाढ़ा काले रंग का धुआं निकल रहा था। इसके बावजूद वे दरवाजा खोल कर अंदर जाने की कोशिश की, लेकिन वह संभव नहीं हो सका।’

अस्पताल कर्मी ने कहा ‘हमने फायर एक्सटिंग्विशर के सहारे धुएं को हटाने और आग को बुझाने का प्रयास किया, लेकिन वह भी कामयाब नहीं हुआ। धुएं की वजह से वहां सांस लेना भी मुश्किल था। इस वजह से हम नीचे भागे। इतने में फायर ब्रिगेड की गाड़ी पहुंच चुकी थी। हम उसकी सीढ़ी को पीछे से लगाकर वार्ड की खिड़की तक पहुंचे। खिड़की तोड़ी और पीछे के रास्ते से बच्चों को बाहर निकाला। अफसोस है कि हम सिर्फ 7 बच्चों को बचा सके।’

कमरे में चारों ओर धुआं ही धुआं फैला था। कई बच्चों के शरीर काले पड़ गए थे। दो इन्क्यूबेटर में से आग निकल रही थी। उसमें रखे बच्चे बिलख-बिलखकर बुरी तरह से झुलस चुके थे।’

डिस्ट्रिक्ट जनरल अस्पताल की आरोग्य समिति ने सिविल सर्जन डॉ. प्रमोद खंडाते के अनुसार तीन साल पहले भी अस्पताल के इसी वार्ड में आग लग गई थी तब सावधानी बरतकर बच्चो को बचा लिया गया था। डॉ. खंडाते ने पिछले साल ही महाराष्ट्र के PWD डिपार्टमेंट को रिनोवेशन का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन उस पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ।

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि तीन साल पहले भी इसी वार्ड में एक भीषण आग लगी थी। हालांकि, सही समय पर बच्चों को रेस्क्यू कर लिया गया था, जिस वजह से बड़ी दुर्घटना टल गई थी। डिस्ट्रिक्ट जनरल अस्पताल की आरोग्य समिति ने सिविल सर्जन डॉ. प्रमोद खंडाते को रिपोर्ट भेजी थी। डॉ. खंडाते ने पिछले साल ही महाराष्ट्र के PWD डिपार्टमेंट को रिनोवेशन का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन उस पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ।