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कला सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं, सामाजिक बदलाव के लिए भी होना चाहिएः माया कुलश्रेष्ठ


माया कुलश्रेष्ठ को मिला महादेवी वर्मा सम्मान


पटना। ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस (जीकेसी) द्वारा महान कवियित्री और सुविख्यात लेखिका महादेवी वर्मा की जयंती पर अंतराष्ट्रीय कत्थक नृत्यांगना माया कुलश्रेष्ठ को महादेवी वर्मा सम्मान से सम्मानित किया किया गया। इस मौके पर नृत्यांगना माया कुलश्रेष्ठ ने सम्मान के लिए जीकेसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद और प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन के प्रति आभार प्रकट किया। मौके पर xposenow से बातचीत में उन्होंने कहा कि कलाकार होकर आप अपनी कला का प्रदर्शन सिर्फ मनोरंजन के लिए करते हैं तो आप संपूर्ण कलाकार नहीं हैं।
ज़िन्दगी की असली उड़ान अभी बाकी है: मृणालिनी अखौरी आपकी कला से सामाजिक समाज में एक बदलाव होना ही चाहिए।


माया कुलश्रेष्ठ निगम ने न सिर्फ नृत्य, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी विशिष्ठ पहचान बनायी है। उनकी ज़िन्दगी संघर्ष, चुनौतियों और कामयाबी का एक ऐसा सफ़रनामा है, जो अदभ्य साहस का इतिहास बयां करता है। माया कुलश्रेष्ठ निगम ने अबतक के अपने करियर के में कई चुनौतियों का सामना किया और हर मोर्चे पर कामयाबी का परचम लहराया। योगेन्द्र कुलश्रेष्ठ और अंजना कुलश्रेष्ठ के आंगन में जन्मीं माया कुलश्रेष्ठ के माता-पिता ने उन्हें अपनी राह खुद चुनने की आजादी दी थी।


माया के माता-पिता शिक्षक थे, जबकि उनके भाई आयुष कुलश्रेष्ठ अधिवक्ता हैं। माया जब महज तीन वर्ष की थी तभी से वह अपने ग्वालियर स्थित स्कूल में नृत्य की प्रस्तुति दिया करती थी, जिसे काफी पसंद किया जाता था। उन्होंने डांस की अपनी प्रारंभिक शिक्षा डा.अंजली बावर से हासिल की। माया कुलश्रेष्ठ निगम के पिता ने एक बार खजुराहो फिल्म फेस्टिबल में प्रसिद्ध भरतनाट्यम-ओडिसी नृत्यांगना पद्मभूषण सोनल मान सिंह की प्रस्तुति देखी। इसके बाद उनके पिता ने निश्चय किया कि वह अपनी बेटी को सोनल मान सिंह की तरह ही प्रख्यात डांसर बनायेंगे। माया कुलश्रेष्ठ ने राजा मान सिंह यूनिवर्सिटी कत्थक में एमए किया है जबकि उन्होंने जीवाजी यूनवर्सिटी से साइकॉलोजी में एमए किया है।

माया कुलश्रेष्ठ निगम डीपीएस स्कूल के ग्वालियर, बुलंदशाह में बतौर शिक्षिका के तौर पर भी काम किया। इसके अलावा वह एनआईपीडी में असिस्टेट प्रोफेसर के पद पर भी आसीन रहीं। माया कुलश्रेष्ठ ने लखनऊ घराने के उस्ताद कुमार गीतांजली लाल से कत्थक डांस सीखा है। वह पंडित बिरजू महाराज, शोभना नारायण और माधुरी दीक्षित की डांस शैली से बेहद प्रभावित हैं। माया कुलश्रेष्ठ की सामाजिक कार्यों में काफी रूचि है। वह पिछले आठ सालों से अपनी संस्था कला एवं संस्कृति के जरिये नव कलाकारों एवं दिव्यांग कलाकारों को आगे लाने का कार्य कर रही हैं। वह ट्रेनिंग कार्यक्रम चलाती हैं, जिसमें दिव्यांग बच्चों को नि.शुल्क शिक्षा दी जाती है। इसके अलावा वह दिल्ली समेत कई जगहों पर फेस्टिबल का आयोजन करती हैं। जिससे इन बच्चों को सही मंच मिल सके। माया कुलश्रेष्ठ अपने करियर के दौरान मॉरीशस, दुबई और यूएसए समेत कई देशों में परफार्म कर चुकी हैं। उन्हें मुरादाबादी यूथ, यूथ आईकॉन और नृत्यश्री समेत कई सम्मान से नवाजा जा चुका है। माया अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार के सभी सदस्यों के साथ ही अपने पति मनीष कुमार को भी देती हैं, जिन्होंने उन्हें काफी सपोर्ट किया है।