रांची। झारखंड के पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इस चुनाव में भाजपा ने झारखंड के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों की कमान सौंपी है, जबकि इन इलाकों के गांवों में 10 हजार से अधिक कार्यकर्ताओं को भेजने की योजना बनाई गई है।
भाजपा के नेता भी कहते हैं कि जैसे-जैसे चुनाव की आहट तेज हो रही है वैसे-वैसे झारखंड के नेता पश्चिम बंगाल का दौरा बढ़ा रहे हैं। भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा जहां पश्चिम बंगाल का कई बार दौरा कर चुके हैं वहीं पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी का कार्यक्रम भी तय हो चुका है। बाबूलाल मरांडी पश्चिम बंगाल का दौरा भी कर चुके हैं।
झारखंड के कई हिस्से पश्चिम बंगाल की सीमा से लगते हैं। झारखंड के रांची, जमशेदपुर और संथाल परगना के क्षेत्र पश्चिम बंगाल की सीमा से सटे हुए हैं। पश्चिम बंगाल के पुरूलिया, वीरभूम, मेदनीपुर, मालदा सहित कई इलाकों के विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी झारखंड के नेताओं को दी गई है। कहा जाता है कि सटे इलाके होने के कारण झारखंड के रहन-सहन, बोली काफी मिलती-जुलती है, जिसका लाभ भाजपा झारखंड के कार्यकर्ताओं के जरिए उठाना चाहती है।
झारखंड भाजपा के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव कहते हैं कि झारखंड के कई नेताओं का पश्चिम बंगाल चुनाव को लेकर कार्यक्रम तय हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश के बाद झारखंड से नेता पश्चिम बंगाल का दौरा करेंगे। उन्होंने कहा कि यह कोई नई बात नहीं है, इससे पहले बिहार चुनाव में भी झारखंड के नेता और कार्यकर्ता बिहार गए थे।
इधर, भाजपा के एक नेता की मानें तो झारखंड के 11 हजार कार्यकर्ताओं को चिह्न्ति किया गया है, जिन्हें झारखंड से लगने वाले पश्चिम बंगाल के इलाकों में भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि इन कार्यकर्ताओं को मतदान केंद्र स्तर पर प्रचार की जिम्मेदारी दी गई है। भाजपा के सूत्रों का कहना है कि कई कार्यकर्ता तो पश्चिम बंगाल के गांवों में पहुंच भी गए हैं।
देश के बड़े राज्यों में से एक पश्चिम बंगाल में भगवा झंडा फहराना भाजपा का सबसे बड़ा राजनीतिक लक्ष्य माना जा रहा है।
भाजपा के एक नेता कहते हैं कि प्रदेश अध्यक्ष और सांसद दीपक प्रकाश के अलावे कई पदाधिकारियों और विधायकों, सांसदों को विधानसभावार जिम्मेदारी सौंपी गई है। झारखंड के नेताओं और कार्यकतार्ओं को टास्क भी सौंप दिया गया है।
बहरहाल, झारखंड के नेता और कार्यकर्ताओं को पश्चिम बंगाल चुनाव में उतारना भाजपा की एक खास रणनीति मानी जा रही है, लेकिन देखने वाली बात होगी कि ये नेता और कार्यकर्ता पश्चिम बंगाल के चुनाव को कितना प्रभावित कर पाते हैं, यह तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चल सकेगा।