शंभूदेव झा .
ऐसा माना जाता है कि उज्जैन ही पृथ्वी का केंद्र है। उज्जैन में सूर्य और ज्योतिष गणना के लिए मानव निर्मित यंत्र भी है। पृथ्वी पर काल्पनिक रेखा (कर्क) वैज्ञानिक द्वारा बनायीं गयी है। उज्जैन ही उनका भी मध्य भाग है। उज्जैन में ही सूर्य और अन्तरिक्ष की जानकारी के लिये वैज्ञानिक शोध करने आते हैं। साथ में यह भी माना जाता है कि भारत में आज भी कई ऐसे अनसुलझे रहस्य हैं, जिन पर वैज्ञानिकों को शोध करने की आवश्यकता है। यह सिर्फ हम ही नहीं मानते हैं बल्कि दूसरे देशों के विशेषज्ञ भी ऐसा ही कुछ मानते हैं। लेकिन यह निर्विवाद रूप सत्य है कि भारत की सनातन परंपरा में वैज्ञानिक दृष्टिकोण समाहित है।
ऐसा ही एक रहस्य है उज्जैन से अन्य ज्योतिर्लिंगों की दूरी। जो हजारों वर्षों से यूं ही रहस्यमयी बनी हुई है। देखिए कैसी हैं ये दूरियां।
उज्जैन से अन्य ज्योतिर्लिंगों की दूरी इस प्रकार है।
उज्जैन से सोमनाथ- 777 किमी
उज्जैन से ओंकारेश्वर- 111 किमी
उज्जैन से भीमाशंकर- 666 किमी
उज्जैन से काशी विश्वनाथ- 999 किमी
उज्जैन से,मल्लिकार्जुन- 999 किमी
उज्जैन से केदारनाथ- 888 किमी
उज्जैन से त्रयंबकेश्वर- 555 किमी
उज्जैन से बैजनाथ- 999 किमी
उज्जैन से रामेश्वरम- 1999 किमी
उज्जैन से घृष्णेश्वर – 555 किमी
लगातार माथा पच्ची करने और शोध करने के बाद भी शोधार्थियों को यह समझ में नहीं आ पाया कि उज्जैन से अन्य ज्योर्तिलिंगों की दूरी इस तरह कैसे और क्यों है।वो भी तब, जब इनका निर्माण पुआ था तब दूरियां मापने की कोई आधुनिक ज्ञान नहीं था। लेकिन अगर ये मान लिया जाए कि ये सभी दूरियां सुनियोजित हैं तो मानना पड़ेगा कि तब की गणित और ज्ञान आज से भी आधुनिक रहा होगा।