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क्या आप जानते हैं सुंदरकांड पाठ का लाभ

पवन कुमार शास्त्री

पहले पढ़ो फिर जानो इसका लाभ
सकल सुमंगल दायक रघुनायक गुन गान।
सादर सुनहिं ते तरहिं भव सिंधु बिना जलजान॥

भावार्थ:-श्री रघुनाथजी का गुणगान संपूर्ण सुंदर मंगलों का देने वाला है। जो इसे आदर सहित सुनेंगे, वे बिना किसी जहाज (अन्य साधन) के ही भवसागर को तर जाएँगे॥
सुन्दरकाण्ड का पाठ हम सब अक्सर या जरूरत पड़ने पर कर लेते हैं। बुरे समय में इससे निजात दिलाने के लिए कभी-कभी पंडित या ज्योतिष भी इसके पाठ की सलाह देते हैं। आज यहां विस्तार से चर्चा की जा रही है इस पाठ के महत्व को लेकर।
ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी से जुड़ा कोई भी मंत्र या पाठ अन्य किसी भी मंत्र से अधिक शक्तिशाली होता है। कलयुग में तो खास कर हनुमान जी अपने भक्तों को उनकी उपासना के फल में बल और शक्ति प्रदान करते हैं। यदि आप सुंदरकांड पाठ का लाभ जान लेंगे तो इसे रोजाना करना पसंद करेंगे। हिन्दू धर्म की प्रसिद्ध मान्यता के अनुसार सुंदरकांड का पाठ करने वाले भक्त की मनोकामना जल्द पूर्ण हो जाती है। रास्ते की विघ्न-वाधा दूर हो जाती है।

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सुंदरकांड गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी गई है। रामचरितमानस के सात अध्यायों में से पांचवा अध्याय है यह। रामचरित मानस के सभी अध्याय भगवान की भक्ति के लिए है, लेकिन सुंदरकांड का महत्व अधिक बताया गया है।
इस अध्याय में भगवान राम के गुणों की नहीं बल्कि उनके भक्त के गुणों और उसकी विजय की बात बताई गई है।इसलिए ये रामचरितमानस केअन्य अध्याय से अलग माना गया है। सुंदरकांड का पाठ करने वाले भक्त को हनुमान जी बल प्रदान करते हैं। उसके आसपास नकारात्मक शक्ति नहीं आ पाती है। माना जाता है कि जब भक्तों का आत्मविश्वास कम हो जाए या जीवन में कोई काम ना बन रहा हो, तो सुंदरकांड का पाठ करने से सभी काम अपने आप ही बनने लगते हैं।और आत्मविश्वास में बढोतरी होती है।
शास्त्रीय मान्यताओ के अतिरिक्त एक शोध में भी पाया गया है कि सुंदरकांड के पाठ से आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाती है। कुछ मनोवैज्ञानिकों की राय भी इसी तरह की है। सुंदराकांड पाठ की एक-एक पंक्ति और उससे जुड़ा अर्थ, भक्त को जीवन में कभी हार न मानने की सीख देता है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार किसी बड़ी परीक्षा में सफल होना हो तो परीक्षा से पहले सुंदरकांड का पाठ अवश्य करना चाहिए। सुंदरकांड के पाठ की पंक्तियों में जीवन की सफलता के सूत्र भी बताए गए हैं। इसके अर्थ को जानने और समझने की जरुरत है।
कहा जाता है कि जब घर में रामायण पाठ रखा जाए तो उस पूर्ण पाठ में से सुंदरकांड का पाठ घर के किसी सदस्य को ही करना चाहिए। इससे घर में सकारात्मक शक्तियों का प्रवाह होता है।

ज्योतिष के नजरिये से यदि देखा जाए तो यह पाठ घर के सभी सदस्यों के ऊपर मंडरा रहे अशुभ ग्रहों से छुटकारा दिलाता है। यदि स्वयं यह पाठ ना कर सकें, तो कम से कम घर के सभी सदस्यों को यह पाठ सुनना जरूर चाहिए। अशुभ ग्रहों का दोष दूर करने में बहुत लाभकारी है सुंदरकांड का पाठ।