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विश्व भर में अंधेपन का दूसरा सबसे बड़ा कारण है ग्लूकोमा

प्रत्येक वर्ष मार्च के द्वितीय सप्ताह को ग्लूकोमा जागरूकता सप्ताह के रूप में मनाया जाता है।
यह एक आंख की बीमारी है जो की आंख के अंदर उपस्थित तरल पदार्थ के दवाब बढ़ने के कारण होता है। यदि उपचार नहीं किया जाता है तो इसमें आंखों की नस ( ऑप्टिक नर्व) सूखने लगती है , जिसका परिणाम स्थाई रूप से दृष्टि की क्षति के रूप में हो सकता है।

विश्व भर में अंधेपन का दूसरा सबसे बड़ा कारण ग्लूकोमा ही है। प्रारंभ में ही पता लगाने तथा उपचार के लिए नियमित रूप से आंख की जांच कराना महत्वपूर्ण होता है। अधिकांश मामलों की पहचान हो सकती है, इसलिए यह सलाह दी जाती है कि 40 वर्ष की आयु के बाद प्रत्येक वर्ष अपनी आंख जांच कराना चाहिए। शुरुआती उपचार से ही दृष्टि का नुकसान होने से बचाया जा सकता है। अपने देश में 40 वर्ष और इससे अधिक आयु के लगभग 12 मिलियन लोग इससे प्रभावित है तथा महिलाएं इससे ज्यादा प्रभावित होती है, और लगभग इतनी ही संख्या में लोगों को अपनी इस बीमारी का पता भी नहीं होता है।

दृष्टि हानि को काफी हद तक रोका जा सकता है यदि रोग की पहचान शुरुआत में ही हो जाती है और इसका उपचार कर लिया जाता है। ग्लूकोमा कई प्रकार के होते हैं, ओपन एंगल ग्लूकोमा, एंगिल क्लोजर ग्लूकोमा, जन्मजात ग्लूकोमा तथा सेकेंडरी ग्लूकोमा ।आयु के साथ ग्लूकोमा का जोखिम बढ़ता जाता है। अति तनाव से ग्रसित लोगों में ज्यादा हो सकता है। वंशानुगत भी होता है। जिनके परिवार में ग्लूकोमा का इतिहास रहता है। इसके अलावा अन्य कारणों से भी हो सकता है ।जिसको डायबिटीज की बीमारी है, यानी मधुमेह, उच्च रक्तचाप या निम्न रक्तचाप की बीमारी या पहले कभी आंख में चोट लगी हो, मायोपिया आदि में ग्लूकोमा ज्यादा हो सकता है। इसे काफी हद तक रोका जा सकता है, यदि रोग की पहचान हो जाती है, और जल्द उसका उपचार किया जाए।
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पहचान हो जाने पर दवाइयां अक्सर जीवन भर के लिए चलाई जाती है। ग्लूकोमा के लक्षण के बारे में बताया जाए तो शुरुआती दौर में कोई लक्षण नहीं भी हो सकते हैं और शुरुआती दौर में केवल धुंधलापन हो सकता है, तथा साइड से रोशनी जाना शुरु होती है , लेकिन उसको सामने का हिस्सा दिखाई पड़ता है, इसलिए बहुत लोगों को पता ही नहीं चलता है कि मेरी रोशनी साइड से कम हो रही है , जिसका उपचार न किए जाने पर अंधापन हो सकता है। कुछ ग्लूकोमा में आंखों में दर्द हो सकता है, सिरदर्द हो सकता है साथ में उबकाई या उल्टी भी हो सकती है।
पढ़ने के चश्मे में जल्दी-जल्दी परिवर्तन होना भी ग्लूकोमा का लक्षण है।रोशनी या बल्ब के चारों तरफ रंगीन छल्ले जैसा दिखना भी ग्लूकोमा का प्रमुख लक्षण है
ग्लूकोमा की दवाइयों में कई ऑप्शंस है, जिसमे आई ड्रॉप्स, टैबलेट के अलावा लेजर थेरेपी, सर्जरी और अन्य उपचार भी उपलब्ध है। आजकल ग्लूकोमा की बहुत सी बेहतरीन दवाएं उपलब्ध हैं, जिनसे आसानी से डैमेज को धीमा किया जा सकता है। ग्लूकोमा में जो रोशनी चली जाती है वह लौटती नहीं है इसके उपचार से बची हुई रोशनी को बचाने का ही प्रयास किया जाता है। ग्लूकोमा की पहचान हो जाने पर दवाइयां जिंदगी भर लेनी पड़ती है और इसे नेत्र विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार लिया जाना चाहिए। याद रखें कि आपकी आंखों को बदला नहीं जा सकता, इसलिए इनकी नियमित जांच करने की आवश्यकता है।
ग्लूकोमा से पीड़ित लोगों को अपनी आंखों का दबाव ( इंट्रा ऑक्यूलर प्रेशर) नियमित रूप से जांच कराना चाहिए।

डॉ एस के रूंगटा,
वरीय नेत्र रोग विशेषज्ञ, आरा