जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना। बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने दिशा निर्देश जारी कर अपने लोक सेवकों को सम्पत्ति का ब्योरा देने में चार महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी हर हाल में देना सुनिश्चित किया है। यह दिशा निर्देश का अनुपालन प्रथम से तृतीय वर्ग के कर्मियों के लिए अनिवार्य किया गया है। इस दिशा निर्देश से चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों को अलग रखा गया है।
समीक्षा के दौरान विभाग ने यह पाया कि पदाधिकारियों द्वारा संपत्ति का जो विवरण दिया जाता है, उसमे बड़ी संख्या में जानकारी आधी-अधूरी रहता हैं। ऐसी स्थिति में संपत्ति की वास्तविक जानकारी सामने नहीं आ पाती है, इसलिए सामान्य प्रशासन विभाग ने इस बारे में कई बातों का पालन करना अनिवार्य कर दिया है।
सूत्रों ने बताया कि संपत्ति का ब्योरा जारी करने वाले पदाधिकारियों को अपनी या अर्जित या विरासत या फिर परिवार के किसी सदस्य के नाम से जारी संपत्ति के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी होगी। इसके अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति के नाम पट्टे या बंधक पर उसके द्वारा ली गई जमीन जायदाद के बारे में भी जानकारी स्पष्ट करनी होगी। परिवार के किसी सदस्य अपने नाम पर लिए गए शेयर डिबेंचर, निक्षेप पत्र समेत बैंक में निवेश के बारे में भी पूरी जानकारी देनी होगी।
इन कर्मचारियों को विरासत या स्वयं द्वारा अर्जित की गई संपत्ति के बारे में भी जानकारी स्पष्ट करनी होगी। साथ ही अगर इन कर्मचारियों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी तरह का कर्ज हो तो उसकी जानकारी भी स्पष्ट रूप से देनी होगी।
अब कर्मचारियों को यह ध्यान रखना होगा कि संपत्ति की जानकारी देते समय कपड़े से लेकर बर्तन, पुस्तक समेत दैनिक इस्तेमाल की वस्तुओं के मूल्य को छोड़ कर और 30 हज़ार से कम से कम मूल्य की चल संपत्ति को जोड़कर एक साथ दिखाना होगा। सभी सरकारी सेवकों को अपने कार्यकाल की शुरुआत से लेकर मौजूदा समय के दौरान अर्जित सभी संपत्ति का ब्यौरा देना होगा।
दिशा निर्देश में यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि कोई भी कर्मचारी सरकार को जानकारी दिए बगैर किसी अचल संपत्ति की खरीदारी नहीं कर सकेगा।