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Gupt Navratri : जानें दस महाविद्यायें, उनके प्रयोग और उनकी शक्तियां

Gupt Navratri Special : जब-जब पापियों और अधर्मियों का अत्याचार बढ़ा है, शक्ति ने अवतार लिया है। मां दुर्गा और उनकी दस महाविद्याएं ऐसी ही कष्ट निवारक और महाफलदायी शक्तियाँ हैं। आइये, जानते हैं मां के विभिन्न रूपों और उनकी चमत्कारिक शक्तियों को। देवी भगवती की दस महाविद्यायें उनके आध्यात्मिक स्वरूप में विद्यमान हैं। ब्रह्मा जी के पुत्र दत्तात्रेय ने तंत्र शास्त्र के ग्रंथों की रचना करते हुए देवी भगवती के अंदर समाहित इन दस महाविद्याओं का जिक्र किया है। कहते हैं, इन विद्याओं की साधना से ऋषि, मुनि और विद्वान इस संसार में चमत्कारी शक्तियों से युक्त हो जाते हैं।

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ये दस महाविद्याएं देवी की दस प्रकार की शक्तियों और गति, विस्तार, भरण -पोषण, जन्म-मरण, बंधन और मोक्ष की प्रतीक हैं। सृष्टि के क्रम में चारों युगों में ये दसों महाविद्यायें विराजमान रहती हैं। इनकी साधना कल्प वृक्ष के समान शीघ्र फलदायक और साधक की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने में सहायक होती है।

महाकाली

देवी काली मां दुर्गा की दस महाविद्याओं मे से एक मानी जाती हैं. देवी काली शक्ति का स्वरूप है..महाविनाशक महाकाली जहां रक्तबीज का वध करती हैं, वहीं अपने साधकों को अपार शक्ति देकर सबल और सक्षम बनाती हैं। यह कज्जल पर्वत के समान शव पर आरूढ़ मुंडमाला धारण किये हुए एक हाथ में खड्ग, दूसरे हाथ में त्रिशूल और तीसरे हाथ में कटा हुए सिर को लेकर भक्तों के समक्ष प्रकट होती हैं। महाकाली एक प्रबल शत्रुहंता, महिषासुर मर्दिनी और रक्तबीज का वध करने वाली शिव प्रिया चामुंडा का साक्षात स्वरूप हैं, जिन्होंने देव-दानव युद्ध में देवताओं को विजयश्री दिलवाई है।

तारा

दस महाविद्याओं में से माँ तारा की उपासना तंत्र साधकों के लिए सर्वसिद्धिकारक मानी जाती है. देवी तारा को सूर्य प्रलय की अघिष्ठात्री देवी का उग्र रुप माना जाता है.रूप और ऐश्वर्य की देवी तारा शत्रुओं का नाश करने, सौन्दर्य, आर्थिक उन्नति, भोग दान और मोक्ष प्राप्ति के लिए जानी जाती हैं। जब चारों और निराशा ही व्याप्त हो तथा विपत्ति में कोई राह न दिखे तब मां भगवती तारा के रूप में उपस्थित होती हैं तथा भक्त को विपत्ति से मुक्त करती हैं. भगवती तारा के तीन रूप हैं-तारा, एकजटा और नील सरस्वती। चैत्र मास की नवमी तिथि और शुक्ल पक्ष के दिन तारा रूपी देवी की साधना करना तंत्र साधकों के लिए सर्वसिद्धिकारक माना गया है। तारा महाविद्या के फलस्वरूप व्यक्ति इस संसार में व्यापार, रोजगार और ज्ञान-विज्ञान से परिपूर्ण विख्यात यश वाला प्राणी बन सकता है।

त्रिपुर सुंदरी

शांत और उग्र, दोनों स्वरूपों में मां त्रिपुर सुंदरी की साधना की जाती है। अनुपम सौंदर्य, भक्तों को अभय प्रदान करने वाली, यौवनयुक्त और तीनों लोकों में विराजमान देवी त्रिपुर सुंदरी कई नामों से ख्यात हैं। इनको ही राज-राजेश्वरी, बाला, ललिता, मीनाक्षी, कामाक्षी, शताक्षी, कामेश्वरी कहा जाता है। स्त्री के सौंदर्य शास्त्र की जितनी भी उपमाएं हैं, वह सभी देवी त्रिपुर सुंदरी से ही आई हैं। माता को सोलह का अंक बहुत प्रिय है। वह सोलह कलाओं की साम्राज्ञी हैं। अपनी सुंदरता और मोहकता से इन्होंने देवासुर संग्राम में असुरों को अपने वश में कर लिया था।जीवन में काम, सौभाग्य, शारीरिक सुख, वशीकरण, मनवांछित वर या कन्या से विवाह और आरोग्य सिद्धि के लिए इन देवी की आराधना की जाती है। इनकी पूजा से व्यक्ति वांछित सिद्धि और मनोभिलाषापूर्ति सहित तमाम दुखों से दूर और सर्वत्र पूज्य हो जाता है।

भुवनेश्वरी

सम्पूर्ण जगत या तीनों लोकों की ईश्वरी देवी भुवनेश्वरी नाम की महा-शक्ति हैं तथा महाविद्याओं में इन्हें चौथा स्थान प्राप्त हैं। अपने नाम के अनुसार ही देवी तीनों लोकों की स्वामिनी हैं, देवी साक्षात सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को धारण करती हैं और सम्पूर्ण जगत के पालन पोषण का दायित्व इन्हीं भुवनेश्वरी देवी पर हैं, परिणामस्वरूप ये जगन्-माता तथा जगत-धात्री के नाम से भी विख्यात हैं। आद्या शक्ति, भुवनेश्वरी स्वरूप में भगवान शिव के समस्त लीला विलास की सहचरी हैं, सखी हैं। देवी नियन्त्रक भी हैं तथा भूल करने वालों के लिए दण्ड का विधान भी तय करती हैं, इनके भुजा में व्याप्त अंकुश, नियन्त्रक का प्रतीक हैं। मां का स्वरूप सौम्य एवं अंग कांति अरुण हैं। भक्तों को अभय एवं सिद्धियां प्रदान करना इनका स्वाभाविक गुण है। इस महाविद्या की आराधना से साधक के अंदर सूर्य के समान तेज और ऊर्जा प्रकट होने लगती है। इनकी साधना से वह संसार का सम्राट भी बन सकता है। इस महाविद्या को अभिमंत्रित करने से लक्ष्मी की वर्षा होती है और संसार के सभी शक्ति स्वरूप महाबली चरणस्पर्श करने लगते हैं।

त्रिपुर भैरवी

भगवती त्रिपुर भैरवी महाभैरव की ही शक्ति है . उनकी मूल शक्ति होने के कारण उनसे भी सहस्त्र गुणा अधिक तीव्र और क्रियाशील है भैरव भय विनाशक हैं और त्रिपुर भैरवी को आधार बनाकर ही अपने शक्तियों का विस्तार करते हैं माँ त्रिपुर भैरवी तमोगुण एवं रजोगुण से परिपूर्ण हैं. माँ भैरवी के अन्य तेरह स्वरुप हैं इनका हर रुप अपने आप अन्यतम है. माता के किसी भी स्वरुप की साधना साधक को सार्थक कर देती है. माँ त्रिपुर भैरवी कंठ में मुंड माला धारण किये हुए है।माँ ने अपने हाथों में माला धारण कर रखी है।माँ स्वयं साधनामय हैं उन्होंने अभय और वर मुद्रा धारण कर रखी है जो भक्तों को सौभाग्य प्रदान करती है।भगवती त्रिपुर सुंदरी की आराधना से किसी भी तरह की तंत्र बाधा समाप्त हो जाती है, माँ की साधना के माध्यम से शत्रुबाधा निवारण,वाद विवाद मुकदमा आदि में विजय,आकस्मिक दुर्घटना टालना,रोग निवारण आदि को नियंत्रित किया जा सकता है।

छिन्नमस्ता

भगवती छिन्नमस्ता का स्वरूप अत्यंत ही गोपनीय है। ऐसा विधान है कि आधी रात अर्थात् चतुर्थ संध्याकाल में छिन्नमस्ता की उपासना से साधक को सरस्वती सिद्ध हो जाती हैं। छिन्नमस्ता का आध्यात्मिक स्वरूप अत्यन्त महत्वपूर्ण है। छिन्न यज्ञशीर्ष की प्रतीक ये देवी श्वेतकमल पीठ पर खड़ी हैं। दिशाएं ही इनके वस्त्र हैं। इनकी नाभि में योनिचक्र है। तम और रक्त रज गुणों की देवियां इनकी सहचरियां हैं। ये अपना शीश काटकर भी जीवित हैं। यह अपने आप में पूर्ण अन्तर्मुखी साधना का संकेत है। पलास और बेल पत्रों से छिन्नमस्ता महाविद्या की सिद्धि की जाती है। इनसे प्राप्त सिद्धियां मिलने से लेखन और कवित्व शक्ति की वृद्धि होती है। शरीर रोग मुक्त होता है। शत्रु परास्त होते हैं। योग, ध्यान और शास्त्रार्थ में साधक को संसार में ख्याति मिलती है।

धूमावती

धूमावती देवी का स्वरुप बड़ा मलिन और भयंकर प्रतीत होता है।देवी का स्वरूप चाहे जितना उग्र क्यों न हो वह संतान के लिए कल्याणकारी ही होता है।मां के दर्शन से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है मां धूमावती महाशक्ति स्वयं नियंत्रिका हैं। इनका कोई स्वामी नहीं है।ऋग्वेद में रात्रिसूक्त में इन्हें ‘सुतरा’ कहा गया है, अर्थात् यह सुखपूर्वक तारने योग्य हैं। इन्हें अभाव और संकट को दूर करने वाली मां कहा गया है। इस महाविद्या की सिद्धि के लिए तिल मिश्रित घी से होम किया जाता है।धूमावती महाविद्या के लिए यह भी जरूरी है कि व्यक्ति सात्विक, नियम संयम, लोभ-लालच से रहित और सत्यनिष्ठा का पालन करने वाला हो।इस महाविद्या के फल से देवी धूमावती सूकरी के रूप में प्रत्यक्ष प्रकट होकर साधक के सभी रोग,अरिष्ट और शत्रुओं का नाश कर देती हैं। इसके बाद उस साधक की ख्याति प्रबल, महाप्रतापी तथा सिद्ध पुरूष के रूप में हो जाती है।

बगलामुखी

भगवती बगलामुखी स्तंभव शक्ति की अधिष्ठात्री हैं। माँ अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनकी बुरी शक्तियों का नाश करती हैं।माँ बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है । इन्हें पीला रंग अति प्रिय है।देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है। इनकी साधना शत्रु भय से मुक्ति और वाक् सिद्धि के लिए की जाती है। पीतांबरा माला पर विधि-विधान के साथ मंत्र जाप करनी चाहिए । दसों महाविद्याओं में बगलामुखी सबसे अधिक प्रयोग में ली जाने वाली महाविद्या हैं। इनकी साधना सप्तऋषियों ने वैदिक काल में समय-समय पर की है। इनकी साधना से जहां घोर शत्रु अपनी ही विनाश बुद्धि से पराजित हो जाते हैं, वहीं साधक का जीवन निष्कंटक तथा लोकप्रिय बन जाता है।

मातंगी

मतंग शिव का ही नाम है। इनकी शक्ति मातंगी है। यह श्याम वर्ण और चंदमा को मस्तक पर धारण करती हैं। यह पूर्णतया वाग्देवी की ही पुत्री हैं। इनकी चार भुजाओं में चारों वेद हैं। मां मातंगी वैदिकों की सरस्वती हैं। पलाश और मल्लिका पुष्पों से युक्त बेल पत्रों की पूजा करने से व्यक्ति के अन्दर आकर्षण और स्तम्भन शक्ति का विकास होता है। ऐसा व्यक्ति, जो मातंगी महाविद्या की सिद्धि प्राप्त करेगा, वह अपने क्रीड़ा कौशल से या कला संगीत से दुनिया को अपने वश में कर लेता है। वशीकरण में भी यह महाविद्या कारगर होती है।

कमला

भगवती कमला की कांति सुवर्ण के समान होती है। श्वेत वर्ण के चार हाथी सूंड में सुवर्ण कलश लेकर मां को स्नान करा रहे हैं। कमल पर आसीन कमल पुष्प धारण किए हुए मां सुशोभित होती हैं। समृद्धि की प्रतीक, स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति, नारी, पुत्रादि के लिए इनकी साधना की जाती है। इस महाविद्या की साधना नदी, तालाब या समुद्र में गिरने वाले जल में आकंठ डूबकर की जाती है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति साक्षात कुबेर के समान धनी और विद्यावान हो जाता है। साथ ही व्यक्ति का यश और व्यापार या प्रभुत्व संसारभर में प्रचारित हो जाता है।

Xpose Now Desk
मुकेश महान-Msc botany, Diploma in Dramatics with Gold Medal,1987 से पत्रकारिता। DD-2 , हमार टीवी,साधना न्यूज बिहार-झारखंड के लिए प्रोग्राम डाइरेक्टर,ETV बिहार के कार्यक्रम सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार के लिए स्क्रिपट हेड,देशलाइव चैनल के लिए प्रोगामिंग हेड, सहित कई पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों में विभिन्न पदों पर कार्य का अनुभव। कई डॉक्यूमेंट्री के निर्माण, निर्देशन और लेखन का अनुभव। विविध विषयों पर सैकड़ों लेख /आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कला और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित। संपर्क-9097342912.